Ground Report from Dumranv Buxar during first phase poll for Bihar Election 2020 | बदलाव की चाह लेकिन मोदी पर भी भरोसा; कुछ की स्थानीय स्तर पर नाराजगी तो कुछ की सरकार से

डुमरांवएक घंटा पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र

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डुमरांव में मुख्य रूप से चार प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन सीधी लड़ाई में एनडीए और महागठबंधन ही हैं।

  • महिला कहती हैं, चाहे इसको वोट दो या उसको, कुछ फर्क पड़े तब तो मुद्दों की अहमियत
  • दिल्ली से वोटिंग के लिए आए युवक को बदलाव तो चाहिए लेकिन मोदी की कीमत पर नहीं

पहले चरण की वोटिंग आज खत्म हो गई। बिहार के लिए शायद यह पहला चुनाव है जब वोटिंग के दिन भी लोगों में उत्साह नहीं दिखा। कई लोग तो घरों से निकले ही नहीं, कई लोग अपने काम में ही लगे रहे। जो लोग वोटिंग के लिए पहुंचे उन्होंने भी खामोशी से वोट डाला और चलते बने। ज्यादातर लोग वोटिंग को लेकर न चर्चा के लिए तैयार हैं न ही उनकी बहुत दिलचस्पी है। कम ही लोग हैं जो खुलकर बोल रहे हैं। उनमें से भी ज्यादातर लोग प्रेस कार्ड देखकर किनारा कर लेते हैं।

दोपहर बाद करीब 2 बजे डुमरांव में एक चाय की दुकान पर कुछ लोग वोटिंग को लेकर चर्चा कर रहे हैं। चाय बेचने वाले से जब सवाल किया कि वोट देने गए कि नहीं, बोले, ‘ का भोट मारीं, कउनो फायदा बा का भोट मारला से। ( क्या वोट डालूं, कुछ फायदा है क्या वोट करने से)।

वहीं चाय की चुस्की ले रहे एक बुजुर्ग कहते हैं, ‘लॉकडाउन में हमारे बेटे की नौकरी छूट गई। वो उधर भूखे प्यासे तड़पता रह गया। सरकार ने कोई सुध नहीं ली। दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री बस भेजकर बुला रहे थे अपने लोगों को लेकिन इन्होंने तो बॉर्डर ही सील कर दिया था। किस हक से ये लोग वोट मांगने आ रहे हैं।

नारायणपुर गांव में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' की तर्ज पर मतदाताओं ने किया वोट का बहिष्कार।

नारायणपुर गांव में ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ की तर्ज पर मतदाताओं ने किया वोट का बहिष्कार।

आज की वोटिंग के बाद सबके जेहन में यही सवाल है कि क्या इस बार बिहार में बदलाव होगा या नीतीश कुमार अपनी साख और सत्ता बचाने में कामयाब हो पाएंगे। सुबह डुमरांव विधानसभा के एक बूथ पर हमें इसका मोटा मोटी जवाब मिल गया। वोट डालकर लौट रहे एक युवक से सवाल किया कि क्या माहौल है इसबार, किसका पलड़ा भारी है।

युवक ने कहा, ‘ माहौल तो शांत है, हो हल्ला नहीं है। कौन किसको वोट कर रहा है ये कौन देख रहा है लेकिन सुबह से ज्यादातर लोग यही कह रहे हैं कि इसबार बदलाव होगा। यहीं बाहर एक गुमटी के पास कुछ लोग बैठे हैं। इनमें पार्टियों के कार्यकर्ता भी हैं। इनके बीच भी यहीं चर्चा है कि इस बार परिवर्तन की बयार बह रही है।

अब इस बदलाव के भी कई मायने हैं। कुछ लोगों को स्थानीय स्तर पर नाराजगी है तो कुछ लोगों को सरकार से। इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें सरकार से नाराजगी तो है लेकिन वो मोदी के साथ हैं। एक युवक दिल्ली से वोटिंग के लिए आए हैं। कहते हैं बदलाव तो चाहिए लेकिन मोदी को हराने की कीमत पर नहीं। मजबूरी में ही सही हम नीतीश को वोट करेंगे।

डुमरांव राज हाई स्कूल में बने मतदान केंद्र से लौट रही कुछ महिलाओं का मन टटोलने की कोशिश की। उनसे पूछा कि किन मुद्दों को लेकर वोट किया। एक महिला कहती हैं, ‘मुद्दे तो हजार है, लेकिन इन मुद्दों की अहमियत चुनाव बाद होती कहां होती है। चाहे इसको वोट दो या उसको, कुछ फर्क पड़े तब तो मुद्दों की अहमियत होगी।

पूनम पांडे कहती हैं कि मैंने तो बदलाव के लिए वोट किया है। और ये बदलाव ऊपर से लेकर नीचे तक होना चाहिए। पूनम के पति भी वही बात दोहरा रहे हैं। वो भी चाहते हैं कि परिवर्तन हो।

यहां से हम डुमरांव विधानसभा के कुछ गांवों की तरफ निकले। कोरान सराय, नावानगर, केसठ, चौगाई, नंदन, अरियांव हर जगह परिवर्तन की चर्चा है। रास्ते में हम जिससे भी चुनाव का माहौल पूछ रहे हैं वो सीधे सीधे भले कुछ न कहे लेकिन उनकी बातों से पता चलता है कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट किया है। खासकर के गरीब और पिछड़े तबके के लोगों में। उन्हें राजनीतिक समझ भले न हो लेकिन जिसे वोट करना है, उसका चुनाव चिन्ह और नंबर रट लिया है या यह कहिए कि उन्हें रटा दिया गया है।

शाम 6 बजे डुमरांव स्टेशन के पास की दुकानों पर थोड़ी चहल पहल बढ़ी है। अब दुकानें खुल गई हैं, लोग भी घरों से निकल रहे हैं। जहां भी कुछ लोग जुटते हैं, चुनाव की चर्चा होना लाजमी है। चाय बना रहे एक बुजुर्ग कहते हैं माहौल पूछ कर भरमाइये मत, हमारा तेजस्वी सीएम बनेगा, लिख लीजिए और अपने अखबार में छाप दीजिएगा। हमने पूछा कि चाय वाले को चाय वाले पीएम से नाराजगी है क्या, उन्होंने कहा, ‘ कोई नाराजगी नहीं है, केंद्र में हम उनके साथ हैं लेकिन यहां नहीं, ई बेर सरकार बदल के रहेंगे। हालांकि वो कैमरे पर अपनी बात रखने के लिए तैयार नहीं है। कैमरा देखते ही पीछे मुड़ जाते हैं।

डुमरांव में इस बार मुख्य रूप से चार प्रत्याशी मैदान में हैं। एनडीए से अंजुम आरा और महागठबंधन से अजीत कुशवाहा। जबकि ददन यादव और शिवांग विजय निर्दलीय मैदान में है। सीधी लड़ाई में एनडीए और महागठबंधन ही हैं। इसमें भी महागठबंधन का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। अगर ऐसा होता है तो 1977 के बाद पहली बार यहां से वामदल का कोई विधायक बनेगा।

डुमरांव की सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी और राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले शिवांग विजय की युवाओं के बीच अच्छी लोकप्रियता है। लेकिन ये लोकप्रियता शहर तक ही सीमित है। गांवों में घुसते ही माले और जदयू के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो शिवांग एनडीए को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जबकि सिटिंग एमएलए ददन यादव शहर और ग्रामीण दोनों इलाके में कमजोर नजर आ रहे हैं।

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