Bihar Election 2020 Political Cinerio Cm Nitish Kumar Tejaswi Yadav Chirag Paswan Nda Jdu Ljp Rjd – Bihar Election 2020: 15 साल से बिहार में ‘बहार’, पास या फेल नीतीश कुमार?

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बिहार में पहले चरण के तहत 71 सीटों पर मतदान हो चुका है। दूसरे चरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार में हैं तो गठबंधन के पक्ष में रुख मोड़ने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी कसर नहीं छोड़ रहे। इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। वैसे बिहार में नीतीश के ‘सुशासन काल’ के 15 साल बीत चुके हैं और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दिया गया नारा ‘बिहार में बहार है’ भी इस बार फीका पड़ चुका है। पिछले 15 साल के दौरान बिहार की जनता की नजर में नीतीश कुमार पास हुए या फेल? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में…

दबाव में हैं नीतीश?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लगातार 3 बार बिहार जीतने वाले नीतीश इस वक्त दबाव में हैं। इसका आकलन उनके व्यवहार और बयानों को देखते हुए लगाया जा रहा है। दरअसल, सारन की रैली में लालू जिंदाबाद के नारे लगे तो नीतीश आपा खो बैठे थे। इसके अलावा वह खुद भी कह चुके हैं कि इस बार का चुनाव पहले से अलग है। 

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नीतीश के खिलाफ हैं ये मुद्दे

बिहार के लोग नीतीश कुमार को आज भी विकास पुरुष के रूप में देखते हैं, लेकिन अब मतदाताओं की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। बिहार के मतदाताओं का कहना है कि पिछले 15 साल के दौरान नीतीश कुमार ने मूलभूत सुविधाएं दी हैं। इनमें सड़क, पीने का पानी और बिजली आदि शामिल हैं। अपने अगले कार्यकाल में वह खेतों तक पानी पहुंचाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में उन्हें रोजगार देने में 50 साल लग जाएंगे। दरअसल, बिहार में रोजगार, उद्योग और पलायन अब भी सबसे बड़ी दिक्कत है। कोरोना संकट ने इस चुनौती को और ज्यादा बढ़ा दिया है। दरअसल, दूसरे राज्यों में रहने वाले प्रवासी मजदूर भी बिहार लौट आए, जिससे रोजगार का बड़ा संकट आ गया।

रोजगार गिराएगा नीतीश की सरकार?

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने 17 लाख प्रवासियों की स्किल मैपिंग की है। साथ ही, उन्हें रोजगार देने का वादा भी किया है। इसके बावजूद लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसा संकट आया क्यों? पिछले 15 साल के दौरान नीतीश कुमार ने इस दिशा में काम क्यों नहीं किया? 

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शराबबंदी ने भी बिगाड़े हालात?

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार में शराबबंदी के कारण भी लोग सरकार से नाराज हो गए। उनका कहना है कि शराबबंदी से लोगों की नौकरियां छिन गईं। ये ऐसे लोग थे, जो बॉटलिंग प्लांट जैसी जगहों पर काम करते थे। 

चिराग पासवान ने बढ़ाईं चुनौती!

जब बिहार चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी, उस वक्त एनडीए गठबंधन काफी मजबूत लग रहा था। हालांकि, बाद में चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ खड़े हो गए। इससे जदयू के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं। दरअसल, भाजपा की 143 सीटों में से लोजपा सिर्फ पांच पर ही मैदान में है, जबकि जदयू के सभी प्रत्याशियों के सामने चिराग पासवान की चुनौती है। ऐसे में अनुमान है कि लोजपा प्रत्याशी जदयू के वोट काट सकते हैं। इसके अलावा यह टकराव राजद और तेजस्वी को फायदा पहुंचा सकता है।

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जदयू को अब भी जीत का भरोसा

बिहार में तमाम चुनौतियां हैं। इसके बावजूद जदयू और भाजपा सामाजिक समीकरण को लेकर आश्वस्त है। दरअसल, राजद के पक्ष में मुस्लिमों और यादवों का वोट बैंक माना जा रहा है। ऐसे में भाजपा को भूमिहार और सवर्णों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। वहीं, जदयू निचली जातियों और महादलितों के समर्थन से किला जीतने की तैयारी में है। जदयू के एक नेता का कहना है कि सामाजिक समीकरण से एनडीए को 10 से 12 प्रतिशत की बढ़त मिलने की उम्मीद है। लोगों के जेहन में 2005 से पहले के जंगलराज की यादें अब भी जीवित हैं। इस वक्त लोगों में गुस्सा जरूर है, लेकिन यह वक्त ‘जंगलराज’ से लाख गुना बेहतर है।

बिहार में पहले चरण के तहत 71 सीटों पर मतदान हो चुका है। दूसरे चरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार में हैं तो गठबंधन के पक्ष में रुख मोड़ने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी कसर नहीं छोड़ रहे। इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। वैसे बिहार में नीतीश के ‘सुशासन काल’ के 15 साल बीत चुके हैं और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दिया गया नारा ‘बिहार में बहार है’ भी इस बार फीका पड़ चुका है। पिछले 15 साल के दौरान बिहार की जनता की नजर में नीतीश कुमार पास हुए या फेल? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में…

दबाव में हैं नीतीश?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लगातार 3 बार बिहार जीतने वाले नीतीश इस वक्त दबाव में हैं। इसका आकलन उनके व्यवहार और बयानों को देखते हुए लगाया जा रहा है। दरअसल, सारन की रैली में लालू जिंदाबाद के नारे लगे तो नीतीश आपा खो बैठे थे। इसके अलावा वह खुद भी कह चुके हैं कि इस बार का चुनाव पहले से अलग है। 

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रोजगार गिराएगा नीतीश की सरकार?

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने 17 लाख प्रवासियों की स्किल मैपिंग की है। साथ ही, उन्हें रोजगार देने का वादा भी किया है। इसके बावजूद लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसा संकट आया क्यों? पिछले 15 साल के दौरान नीतीश कुमार ने इस दिशा में काम क्यों नहीं किया? 

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चिराग पासवान ने बढ़ाईं चुनौती!

जब बिहार चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी, उस वक्त एनडीए गठबंधन काफी मजबूत लग रहा था। हालांकि, बाद में चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ खड़े हो गए। इससे जदयू के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं। दरअसल, भाजपा की 143 सीटों में से लोजपा सिर्फ पांच पर ही मैदान में है, जबकि जदयू के सभी प्रत्याशियों के सामने चिराग पासवान की चुनौती है। ऐसे में अनुमान है कि लोजपा प्रत्याशी जदयू के वोट काट सकते हैं। इसके अलावा यह टकराव राजद और तेजस्वी को फायदा पहुंचा सकता है।

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