Coronavirus ; COVID-19 ; Corona ; Loan ; EMI ; Banking ; Bank ; 45% debtors bounced installments in June due to increasing installment bounce due to economic recession | आर्थिक मंदी के कारण देश में बढ़ रहे किस्त बाउंस के मामले, जून में 45% कर्जदारों की किस्त हुई बाउंस

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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NACH द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जून में क़िस्त बाउंस की कुल रकम 26,850 करोड़ रुपए है

  • विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना क्राइसिस के कारण इसमें उछाल आया है
  • बीते 6 महीने में ये किस्त बाउंस की दर 31-38 फीसदी के बीच रही

राष्ट्रीय स्वचालित क्लियरिंग हाउस (NACH) प्लेटफॉर्म पर ऑटो-डेबिट किस्त बाउंस में जून महीने में उछाल आया है। जून में किस्त बाउंस के मामले बढ़कर 45 फीसदी पर पहुंच गए हैं। बीते 6 महीने में ये दर 31-38 फीसदी के बीच रही। NACH द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार क़िस्त बाउंस की कुल रकम 26,850 करोड़ रुपए जो कुल 6 महीने का का 38 फीसदी है। इनमें ज्यादातर लेनदेन ईएमआई भुगतान, बीमा प्रीमियम डेबिट या एसआईपी के जरिए किए जाते हैं। दो साल पहले तक इसमें उछाल दर लगभग 18-19% थी।

आर्थिक मंदी हो सकती  है इसका कारण
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना क्राइसिस के कारण देश में छाई आर्थिक मंदी भी इसका कारण हो सकता है। कोरोना के कारण कई लोगों की सैलरी पेंडिंग है तो कई लोगों को नकरी से भी हाथ धोना पड़ा है। ये भी क़िस्त बाउंस होने का एक मुख्य कारण है। 

मोरेटोरियम न चुन पाने के कारण भी बढ़ी किस्त बाउंस के संख्या
कई बैंकों और गैर-बैंकिंग कर्जदाताओं ने कहा है कि उन्होंने जून से शुरू होने वाले अपने दूसरे चरण में EMI मोराटोरियम (किस्त में छूट) का लाभ उठाने वाले ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी है। इसीलिए ऐसा माना जा रहा है कि कई कर्जदार बैंक को ये नहीं बता पाए कि वो आगे भी मोराटोरियम का लाभ लेना चाहते हैं। इस कारण उनकी किस्त बाउंस हुई हैं। लगभग 79 मिलियन लोगों ने अपने अकाउंट से किस्त ऑटो डेबिट की परमिशन दी। ये संख्या अप्रैल और मई में क्रमशः 64-68 मिलियन थी।

एनएसीएच क्या है?
नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किया गया है। एनएसीएच इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, हाई वॉल्यूम ट्रांसफर और आवधिक होने वाले अंतर-बैंक लेनदेन के लिए है। एनएसीएच का उपयोग प्राथमिक तौर पर सब्सिडी, वेतन, पेंशन, ब्याज और इसी तरह के अन्य चीजों के वितरण के लिए किया जाता है। इसका उपयोग टेलीफोन, बिजली, पानी, ऋण, म्यूचुअल फंड निवेश और बीमा प्रीमियम जैसे लेनदेन के लिए भी किया जा सकता है।

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