शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव (फाइल फोटो)
– फोटो : पीटीआई
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कोसी क्षेत्र में खासा प्रभाव रखने वाले मधेपुरा में चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। यहां की मधेपुरा विधानसभा और बिहारीगंज की लड़ाई पर सभी की नजर टिकी है। दो युवा चेहरे अपनी राजनीतिक विरासत संभालने पहली बार मैदान में हैं। मधेपुरा में पिछड़ों, दलितों व महादलितों का काफी असर है। जदयू भी इन्हें अपना वोटर मानती है, तो राजद भी इन वोटरों के बीच सेंधमारी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता।
मधेपुरा और बिहारीगंज विधानसभा में लड़ाई त्रिकोणीय है। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार की लहर थी, उस वक्त भी मधेपुरा सीट पर राजद प्रत्याशी प्रो. चंद्रशेखर ने जीती थी, उन्होंने अपनी जीत 2015 में भी दोहराई। कभी राजद में रहे पप्पू यादव के मधेपुरा में जन अधिकार पार्टी (जाप) के उम्मीदवार के तौर पर कूदने से मधेपुरा सीट पर मामला दिलचस्प हो गया है। उधर, जदयू उम्मीदवार के तौर पर वीपी मंडल (मंडल कमीशन के अध्यक्ष) के पौत्र निखिल मंडल ताल ठोक रहे हैं।
मधेपुरा सीट यादव मतदाता बाहुल्य है। मुस्लिम, पासवान, रविदास भी यहां निर्णायक भूमिका में हैं। वहीं, बिहारीगंज विधानसभा सीट इस बार हॉट बनी हुई है। राजग व महागठंधन के बीच होने वाली लड़ाई को इस बार पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी ने दिलचस्प बना दिया है। मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
महागठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर शरद यादव की बेटी सुभाषिनी सियासी पिच पर हैं। वहीं, जेडीयू ने मौजूदा विधायक निरंजन कुमार मेहता पर एक बार फिर भरोसा जताया है। उधर, बिहारीगंज विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन में कांग्रेस के खाते में जाने से यहां राजद के पुराने कद्दावर नेता इंजीनियर प्रभात को टिकट नहीं मिला। इससे खफा इंजीनियर प्रभात जन अधिकार पार्टी में चले गए। यहां की जनता में भी स्थानीय इंजीनियर प्रभात को टिकट न देने को लेकर रोष है।
मधेपुरा के मतदाता दीपक कुमार कहते हैं, नीतीश कुमार के पहले पांच साल एसएसएस (सड़क, सुरक्षा और शिक्षा) था, आखिरी के पांच साल अच्छा नहीं रहा।
सार
- मधेपुरा से वीपी मंडल के पौत्र और बिहारीगंज से शरद यादव की बेटी सुभाषिनी पहली बार मैदान में
- पप्पू यादव मधेपुरा और इंजीनियर प्रभात बिहारीगंज में बिगाड़ सकते हैं गणित
विस्तार
कोसी क्षेत्र में खासा प्रभाव रखने वाले मधेपुरा में चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। यहां की मधेपुरा विधानसभा और बिहारीगंज की लड़ाई पर सभी की नजर टिकी है। दो युवा चेहरे अपनी राजनीतिक विरासत संभालने पहली बार मैदान में हैं। मधेपुरा में पिछड़ों, दलितों व महादलितों का काफी असर है। जदयू भी इन्हें अपना वोटर मानती है, तो राजद भी इन वोटरों के बीच सेंधमारी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता।
मधेपुरा और बिहारीगंज विधानसभा में लड़ाई त्रिकोणीय है। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार की लहर थी, उस वक्त भी मधेपुरा सीट पर राजद प्रत्याशी प्रो. चंद्रशेखर ने जीती थी, उन्होंने अपनी जीत 2015 में भी दोहराई। कभी राजद में रहे पप्पू यादव के मधेपुरा में जन अधिकार पार्टी (जाप) के उम्मीदवार के तौर पर कूदने से मधेपुरा सीट पर मामला दिलचस्प हो गया है। उधर, जदयू उम्मीदवार के तौर पर वीपी मंडल (मंडल कमीशन के अध्यक्ष) के पौत्र निखिल मंडल ताल ठोक रहे हैं।
मधेपुरा सीट यादव मतदाता बाहुल्य है। मुस्लिम, पासवान, रविदास भी यहां निर्णायक भूमिका में हैं। वहीं, बिहारीगंज विधानसभा सीट इस बार हॉट बनी हुई है। राजग व महागठंधन के बीच होने वाली लड़ाई को इस बार पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी ने दिलचस्प बना दिया है। मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
महागठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर शरद यादव की बेटी सुभाषिनी सियासी पिच पर हैं। वहीं, जेडीयू ने मौजूदा विधायक निरंजन कुमार मेहता पर एक बार फिर भरोसा जताया है। उधर, बिहारीगंज विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन में कांग्रेस के खाते में जाने से यहां राजद के पुराने कद्दावर नेता इंजीनियर प्रभात को टिकट नहीं मिला। इससे खफा इंजीनियर प्रभात जन अधिकार पार्टी में चले गए। यहां की जनता में भी स्थानीय इंजीनियर प्रभात को टिकट न देने को लेकर रोष है।
मधेपुरा के मतदाता दीपक कुमार कहते हैं, नीतीश कुमार के पहले पांच साल एसएसएस (सड़क, सुरक्षा और शिक्षा) था, आखिरी के पांच साल अच्छा नहीं रहा।
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Fri Nov 6 , 2020
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