अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Updated Mon, 09 Nov 2020 04:09 AM IST
बिहार विधानसभा चुनाव 2020
– फोटो : PTI
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इस चुनाव में बीते चुनाव के मुकाबले मतदान में आधा फीसदी कम मतदान हुआ। हालांकि कोरोना महामारी के जारी रहते और राज्य में एक बड़े हिस्से में बाढ़ की तबाही के कारण मतदान में भारी कमी की आशंका जताई जा रही थी। वर्तमान चुनाव में महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यकों में मतदान के प्रति ज्यादा क्रेज देखा गया।
राज्य में पहले दो चरणों के मुकाबले तीसरे चरण में सर्वाधिक 57.92 फीसदी मतदान हुआ। तीसरे चरण में सीमांचल सहित कुल तीन दर्जन सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की हिस्सेदारी 50 से 70 फीसदी है। इसके अलावा पिछले चुनाव की तरह इस बार भी महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले मतदान का ज्यादा क्रेज दिखा। नए समीकरण में इस बार युवाओं ने मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की। बीते विधानसभा चुनाव में 56.91 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार मतदान का 56.41 फीसदी रहा।
बीते चुनाव की बात करें तो महिलाओं की भागीदारी बढ़ने का लाभ राजग को मिला था। पंचायतों में महिला सशक्तिकरण के उठाए गए कदमों की महिलाओं की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। हालांकि इस बार युवाओं और अल्पसंख्यकों में मतदान के प्रति बढ़े उत्साह को राजग के हितों के विपरीत माना जा रहा है। एग्जिट पोल का अनुमान है कि युवाओं ने महागठबंधन की ओर से सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में दस लाख लोगों को नौकरी देने की घोषणा को हाथों हाथ लिया, जबकि अल्पसंख्यकों ने सीएए और
एनआरसी से मुक्ति की उम्मीद में महागठबंधन के पक्ष में बढ़ चढ़ कर मतदान किया।
हालांकि बिहार के तीन दशकों का चुनावी इतिहास बताता है कि जब भी पचास फीसदी से कम मतदान हुआ है तब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ है। साल 2005 में करीब 46 फीसदी मत पड़े थे। इसी साल बिहार की राजनीति से लालू-राबड़ी राज की विदाई हुई थी। इससे पहले और बाद में हुए सभी चुनावों में 50 फीसदी से अधिक वोट पड़े थे।
इस चुनाव में बीते चुनाव के मुकाबले मतदान में आधा फीसदी कम मतदान हुआ। हालांकि कोरोना महामारी के जारी रहते और राज्य में एक बड़े हिस्से में बाढ़ की तबाही के कारण मतदान में भारी कमी की आशंका जताई जा रही थी। वर्तमान चुनाव में महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यकों में मतदान के प्रति ज्यादा क्रेज देखा गया।
राज्य में पहले दो चरणों के मुकाबले तीसरे चरण में सर्वाधिक 57.92 फीसदी मतदान हुआ। तीसरे चरण में सीमांचल सहित कुल तीन दर्जन सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की हिस्सेदारी 50 से 70 फीसदी है। इसके अलावा पिछले चुनाव की तरह इस बार भी महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले मतदान का ज्यादा क्रेज दिखा। नए समीकरण में इस बार युवाओं ने मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की। बीते विधानसभा चुनाव में 56.91 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार मतदान का 56.41 फीसदी रहा।
बीते चुनाव की बात करें तो महिलाओं की भागीदारी बढ़ने का लाभ राजग को मिला था। पंचायतों में महिला सशक्तिकरण के उठाए गए कदमों की महिलाओं की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। हालांकि इस बार युवाओं और अल्पसंख्यकों में मतदान के प्रति बढ़े उत्साह को राजग के हितों के विपरीत माना जा रहा है। एग्जिट पोल का अनुमान है कि युवाओं ने महागठबंधन की ओर से सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में दस लाख लोगों को नौकरी देने की घोषणा को हाथों हाथ लिया, जबकि अल्पसंख्यकों ने सीएए और
एनआरसी से मुक्ति की उम्मीद में महागठबंधन के पक्ष में बढ़ चढ़ कर मतदान किया।
हालांकि बिहार के तीन दशकों का चुनावी इतिहास बताता है कि जब भी पचास फीसदी से कम मतदान हुआ है तब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ है। साल 2005 में करीब 46 फीसदी मत पड़े थे। इसी साल बिहार की राजनीति से लालू-राबड़ी राज की विदाई हुई थी। इससे पहले और बाद में हुए सभी चुनावों में 50 फीसदी से अधिक वोट पड़े थे।
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Mon Nov 9 , 2020
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