Had it joined hands with BSP in MP, Congress would have won 14 instead of 9 | मप्र में बसपा से हाथ मिला लिया होता, तो 9 की जगह 14 सीट जीत जाती कांग्रेस

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भोपाल6 घंटे पहले

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कांग्रेस नेता जिद नहीं करते तो शायद मध्यप्रदेश की सियासी तस्वीर दूसरी होती।

  • उपचुनाव में 5 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और बसपा के बीच वोट बंट जाने से भाजपा जीत गई

मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में दो सबसे बड़े किरदार थे। पहले- ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे- बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार। नेताओं के बीच सियासी कद की लड़ाई में कांग्रेस ने पहले सिंधिया को खोया और फिर जिद में बसपा से दूरी बना ली। नतीजा सबके सामने है। बसपा कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हो गई। उसने 5 सीटों पर जीत भाजपा की झोली में डाल दी। यही कारण रहा कि भाजपा 19 सीट जीती और कांग्रेस के हाथ 9 सीट ही आईं। अगर बसपा कांग्रेस साथ लड़ती, तो 5 सीटों पर परिणाम पलट सकता था। ऐसी स्थिति में भाजपा और कांग्रेस गठबंधन 14-14 सीट जीतकर बराबरी पर रह सकते थे।

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प्रदेश की भांडेर, जौरा, मल्हरा, मेहगांव और पोहरी जैसी सीटें देखें, तो वहां कांग्रेस की हार के लिए बसपा ही जिम्मेदार रही। जौरा में बसपा-कांग्रेस के वोट प्रतिशत को मिला दें, तो यह भाजपा से 20% ज्यादा निकलेगा। लेकिन, वोट बंट जाने की वजह से भाजपा आसानी से जीत गई।

भांडेर: कांग्रेस को भाजपा से महज 0.2% वोट कम मिले

कांग्रेस के फूलसिंह बरैया और भाजपा की रक्षा सिरोनिया के बीच रोचक मुकाबला हुआ। शुरुआत में बरैया ने बढ़त बनाई और वह मजबूत भी लगे, लेकिन बाद में पांसा पलट गया। बसपा के महेंद्र बौद्ध ने 7500 वोट लाकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। बरैया को 45.1% वोट मिले हैं, जबकि रक्षा को 45.3%। इधर, बौद्ध 5.6% वोट ले गए। यानी यदि कांग्रेस और बसपा के वोट जोड़ दें, तो वह जीतने वाली भाजपा से 5.4%

ज्यादा होता है।

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जौरा: कांग्रेस-बसपा का वोट भाजपा से 20% ज्यादा

यह सीट भी त्रिकोणीय मुकाबले के कारण कांग्रेस के हाथ से छिटक गई। यहां कांग्रेस के पंकज उपाध्याय को 31.2% वोट मिले हैं, जबकि विजेता उम्मीदवार भाजपा के सूबेदारसिंह के खाते में 39% वोट आए। इनके बीच बसपा के सोनेराम कुशवाह 28% वोट ले गए। उनके वोट कांग्रेस से करीब दो प्रतिशत ही कम हैं। पंकज और सोनेराम के वोट मिला दें, तो वह 59% होते हैं जो भाजपा से 20% ज्यादा हैं।

मल्हरा : अखंड दादा ने बिगाड़ा रामसिया का गणित

भाजपा के प्रद्युम्न लोधी की जीत के सबसे बड़े किरदार बसपा के अखंड प्रताप सिंह हैं। वे यहां 20502 वोट यानी 13.7% वोट ले गए। कांग्रेस को 33.4% वोट ही मिले। यदि कांग्रेस की रामसिया भारती और अखंड दादा के वोट जोड़ दें, तो 47.1% होते हैं। यह भाजपा के उम्मीदवार प्रद्युमन से दो प्रतिशत ज्यादा हैं। विजेता प्रद्युम्न लोधी को 45.1% वोट मिले हैं।

मेहगांव : कटारे के वोट काट गए योगेश, बने हार की वजह

यहां मंत्री ओपीएस भदौरिया चुनाव जीत गए, लेकिन यह जीत बड़ी मुश्किल से मिली। उन्हें 45.1% वोट मिले हैं। कांग्रेस के हेमंत कटारे को 37.7% वोट मिले। बसपा के योगेश नरवरिया को 22 हजार 305 वोट मिले, जो कुल वोट का 13.7% है। यदि बसपा और कांग्रेस के वोट जोड़ें तो यह मंत्री भदौरिया के वोट शेयर से 6.3% ज्यादा है।

पोहरी : बसपा ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया

कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला की हार का सबसे बड़ा कारण बसपा के कैलाश कुशवाह ही रहे और कांग्रेस को यहां तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया। यहां बसपा का वोट शेयर 26% रहा, जबकि कांग्रेस का 25.2% ही रहा। भाजपा के विजयी उम्मीदवार मंत्री सुरेश धाकड़ ने 39.2% वोट पाए। यदि बसपा-कांग्रेस साथ देखें तो यह भाजपा से 12% ज्यादा है।

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