मीरजापुर। जिले के छानबे क्षेत्र के बरी दूबे गांव में पांच साल पहले हुए 27 लाख के बहुचर्चित इंदिरा आवास घोटाले में क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अरुण कुमार दुबे ने लगभग 12 कथित लाभार्थियों का बयान दर्ज किया। वित्तीय वर्ष 2014-15 में गांव के गरीब तबके के 36 ग्रामीणों का फर्जी फोटो व प्रमाणपत्र लगाकर इंदिरा आवास के नाम पर बिहसड़ा, विजयपुर व गैपुरा स्थित राष्ट्रीयकृत बैंक शाखाओं से 27 लाख निकाल लिया गया। मामले का खुलासा होने पर तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी अमित सिंह के निर्देश पर सेक्रेटरी ने 18 अक्टूबर 2016 को प्रधान पति के खिलाफ के विरूद्ध सरकारी धनराशि के गबन – घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके कुछ ही दिन बाद बीडीओ ने तत्कालीन सेक्रेटरी, एडीओ मैकेनिकल, एडीओ कोआपरेटिव के अलावा तीन बैंक शाखा प्रबंधकों और 36 लाभार्थियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
इस मामले में लीपापोती का आलम यह रहा कि एक-एक कर छह जांच अधिकारी बदल गए। फिर भी विवेचना की फाइल धूल फांकती रही। लगभग एक वर्ष पहले विवेचनाधिकारी मनोज पाण्डेय ने तत्कालीन प्रधान के पति रमेश कुमार को मुख्य आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मनोज के तबादले के बाद एक बार फिर जांच कार्रवाई ठंडे बस्ते मे डाल दी गई। अंतत: मामले की जांच क्त्राइम ब्रांच को सौंप दी गई। विवेचनाधिकारी अरुण दुबे ने लाभार्थियों का बयान दर्ज किया। मानिक चंद, राजेंद्र, मूलचंद, कल्लू ,नंदू ,कैलाश, नन्हें, राधिका, विजय शंकर, रीगद आदि ने बयान दर्ज कराया। अपने बयान में लाभार्थियों ने जांच अधिकारी को बताया कि उन्हें फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। इस दौरान यह भी पता चला कि अभिलेखों में फोटो किसी और का नाम किसी और का है, हस्ताक्षर किसी और ने किया है। विवेचनाधिकारी ने रविवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि सरकारी धनराशि के घोटाले में सेक्रेटरी, बीडीओ, जांच अधिकारी बने एडीओ व बैंककर्मी भी कार्रवाई के दायरे में हैं। शीघ्र ही विवेचना पूर्ण कर दोषियों को सजा दिलाई जायेगी।
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