Postponement of the competitive students led to depression, in two years millions of students overages also took place in uttar pradesh. students Demands Age exemption IN UPPSC or UPSC | कोरोना ने चौपट किया करियर, बार-बार परीक्षाएं टलने से डिप्रेशन में छात्र; दो साल में लाखों प्रतियोगी ओवरएज भी हुए

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प्रयागराज8 घंटे पहले

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परीक्षाएं टलने और विश्वविद्यालय बंद होने के चलते इविवि के सारे हॉस्टल खाली पड़े हैं। - Dainik Bhaskar

परीक्षाएं टलने और विश्वविद्यालय बंद होने के चलते इविवि के सारे हॉस्टल खाली पड़े हैं।

एक-दो साल में नौकरी का सपना संजोने वाले लाखों प्रतियोगियों की उम्मीदों पर कोरोना ने पानी फेर दिया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग मध्य क्षेत्र ने अपनी मई-जून में होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के टलने से प्रतियोगियों में अवसाद पनप रहा है। सबसे बड़ा खतरा उन कंपटीटरों पर है जो ओवरएज होने की कगार पर खड़े हैं। या दो सालों में हो गए हैं। जिनके पीसीएस, आइएएस में एक दो अटेम्प्ट ही बचे हैं। ऐसे में लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं।

उधर, कोरोना के बढ़ते मामलों और परीक्षाओं के स्थगित होने के कारण इलाहाबाद विश्वविद्यालय और उसके संघटक महाविद्यालयों के छात्रावासों और डेलिगेसी में मातमी सन्नाटा पसरा है। हमेशा छात्रों की चहलकदमी से गुलजार रहने वाले प्रयागराज की यूनिवर्सिटी रोड, लल्ला चुंगी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा में भी सड़कें और मकान सूने हैं। इसका नतीजा यह रहा कि छात्रों पर आधारित छोटे व्यापारी और उद्योगों की भी कमर टूट गई है।

कोरोना के चलते परीक्षा कराना संभव नहीं: आयोग
लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार मिश्रा कहते हैं कि कोविड के ताजा हालात में परीक्षाएं करवा पाना संभव नहीं है। सत्र विलंबित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इन परीक्षाओं के निरस्त होने के कारण यूपीपीएससी का सत्र भी विलंबित होगा। हमारा प्रयास रहेगा कि हम माहौल ठीक होते ही पीसीएस प्री. व अन्य स्थगित परीक्षाएं करा सकें। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी आयोग की वेबसाइट को रेगुलर विजिट करते रहें जैसे ही कोई अपडेट होगा उन्हें मिल जाएगा।

प्रयागराज में एक साल में 36 प्रतियोगी छात्रों ने आत्महत्या की
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह कहती हैं कि परीक्षाओं के स्थगित होने के कारण छात्र अवसाद में हैं। गांवों से नौकरी का सपना देखकर जब कोई छात्र इलाहाबाद पहुंचता है तो उसके कंधे पर परिवार वालों की उम्मीदों का बोझ होता है। जब वह ओवरएज होने की कगार पर होता है तो उसके ऊपर यह बोझ और बढ़ जाता है। ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या लाखों में है। परीक्षाओं के टलने से सत्र लेट होता है और छात्रों में निराशा पनपनी है। इस एक साल में प्रयागराज में अवसाद 36 प्रतियोगियों ने आत्महत्या की है। इसके पीछे कौन जिम्मेदार है। सरकार को चाहिए कि परीक्षाओं को सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए जल्द से जल्द कराए। आयोग का कैलेंडर न पीछे हो।

लाखों बेरोजगारों पर दबाव बढ़ा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, रोहित मिश्रा बताते हैं कि जब आयोग का सत्र लेट होता है तो लाखों बेरोजगारों पर दबाव बढ़ता है। यह दबाव समाज, घर का होता ही है उनका अपना भी होता है। अब 35 वर्ष तक तैयारी का जमाना गया। अब छात्र अपने गांव से आता है तो पांच से छह वर्ष का प्रोजेक्ट अपने मन में लेकर आता है। तीन से पांच साल में पीजी करता है और उसके एक-दो साल में नौकरी हासिल करना चाहता है। ऐसे में परीक्षाओं के टलने से लाखों प्रतियोगियों के मन में दबाव बनता है और वो अवसाद में चले जाते हैं। सरकार को चाहिए कि वो परीक्षाएं जल्द कराए।

ओवरएज होने वाले छात्रों को मौका मिले
प्रतियोगी छात्र विवेक उपाध्याय कहते हैं कि कोरोना के माहौल में परीक्षा स्थगित करने का सरकार का निर्णय सही है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एक वार्षिक चक्र में होती है। ऐसे में परीक्षा टलने से सबसे बड़ी परेशानी तैयारी की लय का टूट जाना है। एक तो कोरोना महामारी के कारण समाज में भय का माहौल है। सरकार को चाहिए कि कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए नियमित अंतराल पर परीक्षाएं होती रहें। इसके अलावा जो प्रतियोगी ओवरएज होने की कगार पर हैं उन्हें एक-दो मौके अतिरिक्त दिए जाएं।

हालात सामान्य होते ही परीक्षाएं कराई जाएं
प्रतियोगी छात्र वीरेंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि कोविड को देखते हुए सरकार द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के निरस्त करने के निर्णय से सभी छात्र सहमत हैं, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थिति सामान्य होने पर सभी परीक्षाएं जल्द से जल्द पूर्ण कराई जाएं। क्योंकि पीसीएस-आइएएस की परीक्षा क्लीयर होने में दो से तीन वर्ष लग जाते हैं। ऐसे में एक बार परीक्षा का टलने का मतलब है कि दो से तीन वर्ष पीछे चले जाना। अब जो ओवरएज होने की कगार पर हैं उनकी पूरी जिंदगी दांव पर लग जाती है। यही कारण है कि प्रतियोगियों में अवसाद घर कर रहा है। छात्रों के मन में इस समय घोर निराशा का माहौल है।

छात्रों के लिए जीवन और मरण का सवाल
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. ताराचंद्र छात्रावास में रहने वाले शेखर विक्रम सिंह बताते हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राएं अवसाद में हैं। परीक्षा टल गई और आगे की भी स्थिति अभी स्पष्ट नही है। ऐसे में ओवरएज की कगार पर पहुंच चुके प्रतियोगियों के लिए जीवन और मरण का सवाल है। उन्हें अतिरिक्त अवसर अवश्य मिलना चाहिए। जो छात्र 21 की उम्र में परीक्षा में बैठने योग्य हो रहा था वह अब 23 की उम्र में प्रथम अवसर पाएगा ऐसी स्थिति में भी सभी प्रतियोगी छत्रों के हितों का ध्यान रखते हुए उन्हें भी अतिरिक्त अवसर मिलना चाहिए। कई छात्र जोकि बेहद गरीब परिवार से आते हैं उन्हें आर्थिक तंगी के कारण पुनः घर का रुख करना पड़ा है। ऐसे में उनका भविष्य कोरोना के साथ-साथ अधर में पड़ा नजर आता है।

बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र परेशान
प्रतियोगी छात्र आशीष मौर्या कहते हैं कि संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं टलने से घर से बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मध्यम वर्गीय छात्रों को राशन की समस्या और मकान के किराए की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं में अंतिम दौर में हैं उन्हें अनियमितता और उम्र का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार को चाहिए कि सरकारी दुकानों पर विद्यार्थियों के लिए भी राशन की व्यवस्था करे। अंतिम दौर के छात्रों को दो अतिरिक्त मौके मिलने चाहिए।

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