CG board exam result expert opinion; such an assessment would increase the challenges, the first-tier would have to prove each time | कोरोना संकट में बीच का रास्ता निकालना था, लेकिन ऐसा मूल्यांकन चुनौतियां बढ़ाएगा, प्रथम श्रेणी वालों को हर बार साबित करना होगा

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रायपुर9 घंटे पहले

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छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने आज 10वीं परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना लिखित परीक्षा के ही परिणाम जारी हुआ। ऐसा कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए किया गया। लेकिन शिक्षाविदों का कहना है कि ऐसा मूल्यांकन नई चुनौतियां लेकर आया है।

दैनिक भास्कर से बातचीत में शिक्षाविद डॉ. जवाहर शुरिशेट्‌टी ने बताया, इस तरह के मूल्यांकन के अपने फायदे भी हैं और नुकसान भी। फायदा तो यह है कि औपचारिक परीक्षा के दौरान कोई विद्यार्थी बीमार हो गया तो उसका एक साल बर्बाद चला जाता। इसकी भरपाई नहीं थी। कोरोना संकट के समय इसकी आशंका अधिक थी। इसलिए इंटरनल असेसमेंट का तरीका आजमाया गया। लेकिन सच तो यही है कि इस तरह विद्यार्थी की प्रतिभा का सही आकलन नहीं हाेता। बहुत से औसत विद्यार्थियों को भी इस आधार पर प्रतिभावान विद्यार्थी से अधिक अंक मिल सकते हैं कि किन्हीं वजहों से शिक्षक उसे पसंद करता है। अगर स्कूलों पर ही मूल्यांकन को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर स्कूल परिणाम सुधारने के लिए अधिक से अधिक अंक देंगे। यह इस बार दिख भी रहा है। 97% परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं।

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार:10वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम में कोई फेल नहीं हुआ, बिना लिखित परीक्षा के जारी हुआ रिजल्ट, 97% बच्चे फर्स्ट डिवीजन

छत्तीसगढ़ RTI फोरम के प्रदेश संयोजक गौतम बंद्योपाध्याय कहते हैं कि कोरोना संकट में परीक्षा को ताे टाला जाना चाहिए था, लेकिन मूल्यांकन के विकल्पों पर सभी स्टेक होल्डर से चर्चा जरूर होनी चाहिए थी। पूरे वर्ष वैसे ही पढ़ाई नहीं हुई। अब जो परिणाम आए हैं, उनमें विद्यार्थी कितना सीख पाया है, उसका मूल्यांकन तो शामिल ही नहीं है। आशंका है कि भविष्य में इस वर्ष पास हुए लोगों की मेरिट पर लोग संदेह करें। ऐसा नहीं भी हुआ तो विद्यार्थी को अगली कक्षाओं में बार-बार अपनी मेरिट को सही साबित करने की चुनौती बनी रहेगी।

ऐसी भी चुनौतियां आ सकती हैं

डॉ. शुरिशेट्‌टी ने बताया, अमूमन होता यह है 11वीं कक्षा में जब विषय चुनने की बारी आती है तो कम नंबर वाले को फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ-बायोलॉजी जैसे विषय नहीं दिए जाते। अभी एक कक्षा के अधिकतर विद्यार्थियों को एक जैसे नंबर मिले हैं। ऐसे में मूल्यांकन मुश्किल है कि किसे कौन सा विषय दिया जाए ताकि उनका बेहतर विकास हो।

CBSE ने मूल्यांकन का अलग तरीका बनाया है

शिक्षाविदों ने बताया, इसी तरह की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (CBSE) ने मूल्यांकन का अलग तरीका बनाया है। इसके मुताबिक किसी स्कूल का परिणाम पिछले वर्ष हुई परीक्षा के औसत परिणाम से अधिक नहीं हो सकता है। इससे नंबरों के एकदम से अधिक कर देने की प्रवृत्ति पर कुछ हद तक अंकुश लगा है।

जयप्रकाश के 97 प्रतिशत अंक आने पर परिवार में खुशी का माहौल था।

जयप्रकाश के 97 प्रतिशत अंक आने पर परिवार में खुशी का माहौल था।

अभिभावकों ने कहा, पिछली कक्षाओं में भी मेधावी रहा है बेटा

परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद विद्यार्थियों में अच्छे अंकों के साथ पास होने का उत्साह दिख रहा है। अमलेश्वर के जयप्रकाश त्रिपाठी और रायपुरा के झंकार व्यास ने 600 मेें 582 अंक पाए हैं। मतलब कुल अंकों का 97 प्रतिशत। उनका कहना था कि वे परीक्षा होती तब भी कम अंक की उम्मीद नहीं कर रहे थे। जयप्रकाश के पिता नरेंद्र त्रिपाठी ने बताया, 9वीं और 8वीं कक्षा में भी उनके बेटे को 95 प्रतिशत से अधिक अंक मिले थे। झंकार की मां संगीता व्यास का कहना था, उनका बेटा शुरू से मेधावी रहा है। वे लोग इस साल बेहतर परिणाम का इंतजार कर रहे थे।

सबसे अधिक अंकों के साथ हाई स्कूल परीक्षा पास होने पर झंकार व्यास के घर वालों ने भी उसे आशीष दिया।

सबसे अधिक अंकों के साथ हाई स्कूल परीक्षा पास होने पर झंकार व्यास के घर वालों ने भी उसे आशीष दिया।

ऐसा रहा है 10वीं का परीक्षा परिणाम

माध्यमिक शिक्षा मंडल ने आज 10वीं परीक्षा के परिणाम जारी किए। परीक्षा में कुल 4 लाख 61 हजार 93 बच्चों का आंतरिक मूल्यांकन किया गया था। इसमें सभी पास हो गए हैं। जिन बच्चों ने असाइनमेंट जमा नहीं किया था, उनको भी न्यूनतम अंक देकर पास कर दिया गया है। इनमें से 4 लाख 46 हजार 393 परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं। यह कुल परीक्षार्थियों को 97% है।

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