ISRO Chandrayaan-2, Chandrayaan-2 Lander, Chandrayaan-2 Rover, NASA, ISRO, Space Station, ISRO Latest News Update | शनमुग सुब्रमण्यम ने कहा- चंद्रयान-2 का रोवर चंद्रमा की सतह पर ही मौजूद, अब इसरो करेगा शनमुग के दावों की जांच

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चेन्नई2 घंटे पहले

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नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) की फोटो ट्वीट करते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि व्हाइट डॉट अन्य पेलोड के अलावा लैंडर हो सकता है और ब्लैक डॉट रोवर होना चाहिए।

  • सुब्रमण्यम ने बताया कि 4 जनवरी 2020 को एलआरओ की तस्वीरों में चंद्रमा की सतह पर रोवर के ट्रैक के निशान मिले थे
  • इसरो चीफ के. सीवन ने कहा कि हमें जानकारी मिली है, हमारे एक्सपर्ट इसकी जांच में जुट गए हैं

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा खोजने वाले स्पेस एंथोसियास्ट शनमुग सुब्रमण्यम ने शनिवार को एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान -2 का रोवर ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा की सतह पर ही मौजूद है। प्रज्ञान लैंडर से कुछ मीटर की दूरी पर लुढ़का हुआ है।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने अब इन दावों की जांच करने की तैयारी कर ली है। इसरो चीफ के. सीवन ने कहा कि हमें सुब्रमण्यम ने इसकी जानकारी दी है। हमारे एक्सपर्ट इसकी जांच में जुट गए हैं।

रफ लैडिंग की वजह से पृथ्वी तक नहीं पहुंच रहे कमांड्स
चंद्रमा की सतह के फोटो के साथ सुब्रमण्यम ने कई सारे ट्वीट किए। इन ट्वीट्स में उन्होंने बताया कि रफ लैंडिंग की वजह से चंद्रयान-2 का रोवर प्रज्ञान, विक्रम लैंडर से दूर हो गया। प्रज्ञान लैंडर कुछ मीटर की दूरी पर चंद्रमा की सतह पर ही मौजूद है।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि लैंडर को कई दिनों तक कमांड्स भी भेजे गए। इसकी भी काफी संभावना है कि लैंडर उन कमांड्स को रिसीव कर रहा हो और उसे रोवर पर रिले कर रहा हो। लेकिन, लैंडर उन कमांड्स को वापस पृथ्वी पर भेजने में सक्षम न रहा हो।

नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर की फोटो ट्वीट की
नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) की फोटो ट्वीट करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि व्हाइट डॉट अन्य पेलोड के अलावा लैंडर हो सकता है और ब्लैक डॉट रोवर होना चाहिए। उनके मुताबिक, चंद्रमा की सतह पर अब भी रोवर के मौजूद होने की संभावनाएं हैं। 4 जनवरी 2020 को एलआरओ की तस्वीरों में चंद्रमा की सतह पर लैंडर से रोवर के ट्रैक को देखा गया था।

चंद्रमा पर हुई थी चंद्रयान-2 की रफ लैंडिंग
चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम 6 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था, लेकिन तय समय से 69 सेकंड पहले उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया था। इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था, लेकिन इससे पहले ही लैंडर का इसरो से संपर्क टूट गया था।

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