IPL 2020 – VIVO Sponsorship | BCCI Removed Chinese Smartphone Maker Vivo Sponsor | BCCI को सालाना 440 करोड़ देने वाली चीनी कंपनी के स्पॉन्सरशिप छोड़ने की चर्चा; ऐसा हुआ तो बाद में 3 साल के लिए बोर्ड नई डील कर सकता है

18 मिनट पहले

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  • रिपोर्ट्स में कहा गया- वीवो खुद ही स्पॉन्सरशिप छोड़ देगी, बीसीसीआई सूत्र बोले- स्थिति में कोई बदलाव नहीं
  • आईपीएल का वीवो के साथ 5 साल का करार 2022 में खत्म होना था, जो 2021 से 2023 तक बढ़ सकता है

इस बार होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग में चीन की मोबाइल कंपनी वीवो की टाइटल स्पॉन्सरशिप रहेगी या नहीं, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। मंगलवार शाम आई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वीवो खुद ही स्पॉन्सरशिप छोड़ देगी। इसके बाद न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने बीसीसीआई के सूत्रों के हवाले से खबर दी कि स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। यानी वीवो की टाइटल स्पॉन्सरशिप बनी रहेगी। हालांकि, 10 मिनट बाद एक और न्यूज एजेंसी पीटीआई ने कहा कि वीवाे एक साल के लिए हट सकती है। बाद में नया कॉन्ट्रैक्ट हो सकता है।

1. विवाद कहां से शुरू हुआ?
इस बार आईपीएल 19 सितंबर से 10 नवंबर तक यूएई में होगा। टूर्नामेंट शुरू होने से पहले वीवो पर विवाद है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ समेत कई संगठन आईपीएल का बायकॉट करने की बात कर रहे हैं। संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा था, ‘‘जब से गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं, तब से देशभर में चीन और उनकी कंपनियों के खिलाफ विरोध चल रहा है। ऐसे में आईपीएल के ऑर्गनाइजर्स ने चीनी कंपनी को स्पॉन्सर बना दिया। यह दिखाता है कि उनकी भावनाएं सही नहीं हैं। यदि जल्द ही करार को खत्म नहीं किया गया, तो हमारे पास आईपीएल का बायकॉट करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होगा।’’

2. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा- बोर्ड ने कॉन्ट्रैक्ट तोड़ा
मंगलवार शाम आई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बीसीसीआई ने वीवो के साथ करार खत्म कर दिया गया है, जबकि 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट 2022 में खत्म होना था। इसके तहत बोर्ड को हर साल 440 करोड़ रुपए मिलते हैं। अब बीसीसीआई ने नए टाइटल स्पॉन्सर की तलाश शुरू कर दी है।

3. स्थिति में कोई बदलाव नहीं
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से खबर दी कि वीवो की स्पॉन्सरशिप के मामले में पैनिक होने की जरूरत नहीं है। स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। अगर हालात बदलते हैं, तो उस हिसाब से विचार किया जाएगा।

4. एक साल के लिए वीवो हट सकती है, फिर 3 साल का नया कॉन्ट्रैक्ट हो सकता है
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बोर्ड के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि वीवो खुद ही एक साल के लिए स्पॉन्सरशिप छोड़ सकती है। भारत-चीन के बीच बिगड़ते डिप्लोमैटिक रिश्तों की वजह से कंपनी यह फैसला कर सकती है। यह एक साल की रोक की तरह हो सकता है। अगर दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरते हैं तो बीसीसीआई वीवो से 2021 से 2023 के लिए तीन साल का नया कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है।

बीसीसीआई के सीनियर ऑफिसर ने कहा, ‘‘वीवो और बीसीसीआई अधिकारी (बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह) के बीच बातचीत हुई है। पूरी संभावना है कि वीवो एक साल के लिए टाइटल स्पॉन्सरशिप से हट जाए।’’

गवर्निंग काउंसिल ने करार जारी रखने का फैसला किया था
रविवार को हुई आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में वीवो के साथ करार जारी रखने का फैसला किया गया था। इसके अगले दिन सभी फ्रेंचाइजियों के साथ बैठक हुई। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ज्यादातर फ्रेंचाइजी इस बात से नाराज नजर आए।

भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों का दबदबा
पिछले तीन-चार साल में चीनी स्मार्टफोन कंपनियों Xiaomi, Vivo, Oppo, Honor का दबदबा देखा गया है। इन कंपनियों के स्मार्टफोन्स को भारतीय बाजार में यूजर्स काफी पसंद कर रहे हैं। विज्ञापन इंडस्ट्री में भी चाइनीज ब्रैंड ओप्पो, शाओमी और वीवो का दबदबा है। ओप्पो का एडवर्टाइजमेंट बजट 700 करोड़ रुपए सालाना है। शाओमी का 200 करोड़ रुपए का बजट है। पिछले साल वीवो ने आईपीएल के स्पॉन्सर पर 2,199 करोड़ खर्च किए थे। वीवो से बीसीसीआई को करीब 440 करोड़ रुपए का मुनाफा होता है। आईपीएल के एक सीजन में चीन के टीवी ब्रांड का 127 करोड़ का बजट होता है।

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