शिकायत चुस्त तो एक्शन दुरुस्त – perfect complaint helps in proper justice

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कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करना बेहद आसान है और फैसला भी यहां जल्द होता है। आइए जानते हैं, यहां मामला दर्ज कराने की प्रक्रिया और उसकी सुनवाई के बारे में :

1- कंज्यूमर कोर्ट में केस दायर करने के लिए सबसे पहले प्राथमिक सुनवाई होती है, जो शिकायत दर्ज करने के 21 दिनों के भीतर ही कर ली जाती है। कोर्ट में आप विवाद शुरू होने के 2 साल के अंदर शिकायत कर सकते हैं।

2- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करने के लए तकनीकी रूप से कंज्यूमर होना जरूरी है।

कंज्यूमर होने की चंद शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी है-

1- किसी चीज को खरीदने या सेवाएं लेने के लिए दाम का चुकाया जाना जरूरी है। यदि आपने कोई चीज खरीदी ही नहीं है तो आप इसके कंज्यूमर नहीं हो सकते। अगर कोई चीज गिफ्ट में मिली है तो यह जरूरी है कि गिफ्ट देने वाले ने उस वस्तु का दाम चुकाया हो, तभी आप खराबी होने पर कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर सकते हैं। बस गिफ्ट देने वाले से आपको दाम चुकाने का प्रमाण/रसीद लेना होगा।

2- रसीद न होने पर इनसे भी काम चल सकते है जैसे कुछ खरीदने से पहले दिए हुए एडवांस की रसीद या विजिटिंग कार्ड पर लिखा बैलेंस भुगतान आदि। वैसे, हर मामले में ऐसा नहीं हो सकता, इसलिए दाम चुकाने का प्रमाण ही आपको सही मायने में कंस्यूमर बना सकता है। यह भी जान लें कि जो व्यापारी ग्राहकों को बेचने के लिए सामान खरीदते हैं, वे कंज्यूमर की श्रेणी में नहीं आते।

3- नाबालिग बच्चे के लिए माता-पिता शिकायत कर सकते है, पति-पत्नी एक दूसरे के लिए शिकायत कर सकते हैं और गिफ्ट के मामले में वस्तु का वास्तविक इस्तेमाल करने वाला शिकायत कर सकता है। यदि कोई खुद केस लड़ने के लिए अदालत नहीं जा सकता, तो शिकायत करने के बाद किसी भी दूसरे इंसान को अपनी तरफ से अदालत की कार्रवाई में भाग लेने के लिए अधिकृत कर सकता है।

किसकी सुनवाई कहां?

1- 20 लाख रुपये तक की रकम के लिए डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं।

2- 20 लाख से 1 करोड़ तक के मामले स्टेट कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं।

3- 1 करोड़ से ज्यादा के मामले के लिए नैशनल कंज्यूमर कमिशन मे मामला दर्ज होगा। कंज्यूमर अपनी शिकायत उस जिले के कोर्ट में कर सकता है, जिसमें प्रतिवादी का ऑफिस/दुकान /शोरूम आदि हो। कंज्यूमर अपने हिसाब से आसपास की अदालत नहीं चुन सकता।

कैसे करें शिकायत

डॉक्युमेंट: खरीद की रसीद, चिट्ठी, रिमाइंडर या कोई भी ऐसा डॉक्युमेंट, जो साबित करता हो कि आपकी शिकायत बनती है।

ऐप्लिकेशन: ऐप्लिकेशन सादे कागज पर दी जा सकती है।

सेवा में- कंज्यूमर रेड्रेसल फोरम, जगह का नाम

अपना नाम पता vs जिसके खिलाफ केस बनता हो

विषय- यहां शॉर्ट में अपनी शिकायत के बारे में बताएं

ब्यौरा- अपनी शिकायत के बारे में सिलसिलेवार तरीके से लिखें। किसी खास घटना से जुड़े (रिफ्यूजल या फॉर्मल रिक्वेस्ट आदि) डॉक्युमेंट्स होने पर उसे भी अटैच करें।

प्रार्थना – ऐप्लिकेशन के अंत में रिक्वेस्ट के तौर पर लिखें कि आप कोर्ट से क्या चाहते हैं। मिसाल के तौर पर सामान बदलना चाहते हैं, नुकसान की भरपाई चाहते हैं, मानसिक परेशानी के लिए मुआवजा चाहते हैं, मुकदमे का खर्च चाहते हैं या फिर इनमें से सब चाहते हैं। इसे लिखना इसलिए भी जरूरी है कि कोर्ट उस आधार पर ही शिकायत करने वाले को राहत पहुंचाती है। ऐसा न लिखने से कोर्ट की दी हुई किसी भी पेनल्टी पर प्रतिवादी विरोध कर सकता है।

फीस- 20 लाख रुपये तक के वाद में 500 रुपये

अगर न हो कोर्ट के आदेश का पालन

कंज्यूमर के हक में आए फैसले पर अगर प्रतिवादी अमल नहीं करता है, तो उसे दस हज़ार रुपये की पेनल्टी और तीन साल तक की सज़ा दी जा सकती है। सज़ा भुगतने के बाद भी आदेश का पालन करना बाकी रहता है तो जरूरत के मुताबिक आदेश का पालन करवाने के लिए प्रॉपर्टी भी जब्त की जा सकती है।

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