khaskhabar.com : सोमवार, 10 अगस्त 2020 6:26 PM
पटना। जनतांत्रिक विकास पार्टी (जविपा) के प्रमुख अनिल कुमार ने सोमवार को आरोप लगाया कि जब भी बिहार की जनता मुसीबत में आई, तब नीतीष सरकार ‘गुमशुदा’ हो जाती है। कोरोना संकट ताजा उदाहरण है जब खुद नीतीश कुमार भी गुमशुदा नजर आए। जविपा के अध्यक्ष अनिल कुमार ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा कि गुमशुदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल के कार्यकलापों का पोल खोलने के लिए 16 अगस्त को ‘बिहार नवनिर्माण रैली’ के नाम से डिजिटल रैली की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कोरोना में देश में अचानक लॉकडाउन के दौरान अपने ही राज्य के लोगों को लाने के लिए तैयार नहीं थे और जब हम लोगों ने सरकार पर दवाब बनाया, तो उनकी वापसी हुई। कुमार ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए।
उन्?होंने कहा, “हमने पहले से ही सरकार को प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर आगाह किया था, लेकिन प्रदेश की गुमशुदा नीतीश सरकार सुनने को तैयार नहीं थी। नतीजा आज बिहार में कोरोना संक्रमण के केस 80 हजार को पार करने वाले हैं। बिहार ऐसा पहला प्रदेश बन गया, जहां कोरोना काल में तीन-तीन स्वास्थ्य सचिव बदल दिये गए।”
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के कारण भारत में होने वाली डॉक्टर की कुल मौतों का 0.5 प्रतिशत है जबकि बिहार में, डॉक्टरों की मृत्यु का प्रतिशत 4.75 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से नौ गुना अधिक है। ऐसे में थाली, ताली, दीया और फूल की वर्षा तो खूब हुई, मगर उनके जान की हिफाजत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
उन्होंने मौत के षिकार हुए सभी कोरोना वॉरियर्स के के परिजनों को एक करोड़ का अनुदान राशि देने तथा उन्हें सभी को शहीद का दर्जा देने की मांग की।
कुमार ने कहा कि पटना में एनएमसीएच 700 बेड का अस्पताल है, लेकिन कोरोना काल में 100 बेड भी तैयार नहीं थी। जब इसकी शिकायत एनएमसीएच अधीक्षक ने की तो उन्हें ही निलंबित कर दिया गया। पटना एम्स को भी केवल वीवीआई का इलाज के लिए बना दिया गया।
–आईएएनएस
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Web Title-Nitish government becomes lost leaving the public in trouble: Javipa