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- Bihar Vidhansabha Chunav Voting May Be Reduced By 10 15 Percent Due To Corona Crisis; People Suffering From Serious Illness Are Unlikely To Vote, Paid Voters Will Increase More Nitish Kumar, Lalu Prasad Yadav, Ramvilas Paswan, Chirag Paswan, Narendra Modi
पटना27 मिनट पहले
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इस बार विधानसभा चुनाव में इस तरह की तस्वीर शायद ही देखने को मिले, क्योंकि कोरोना संकट के चलते मतदान कम होने की आशंका है। (फाइल)
- 2015 के विधानसभा चुनाव में 56.91% वोटिंग हुई थी, इस बार भी कोरोना के चलते बहुत बड़ा तबका शायद ही मतदान करने निकले
- बिहार में कोरोना से 50 साल या अधिक के 75% मरीजों की मौत हुई, इसलिए 10-15% तक वोटिंग प्रतिशत गिरने की आशंका है
निर्वाचन आयोग अक्टूबर-नवंबर में बिहार चुनाव की तैयारियां दिखा रहा है। सत्तारूढ़ जनता दल यू भी समय पर चुनाव चाहता है। अब भाजपा ने भी सहमति दे दी है। हालांकि, राजद चुनाव टालना चाह रहा है और तैयारी भी कर रहा है। कांग्रेस पूरी तरह विरोध में है। लेकिन, जिसे वोट देना है, वह तो कोरोना के कारण चुनाव बहिष्कार के लिए मजबूर है। यह बहिष्कार वोट प्रतिशत के रूप में दिख सकता है। क्यों और कैसे होगा यह, आम वोटर, राजनैतिक विश्लेषक और डॉक्टर बता रहे हैं…
कोरोना और बाढ़: एक साथ दो परेशानी
बिहार में एक तरफ कोरोना के केस थम नहीं रहे और दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी है। निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के कारण समय पर चुनाव की तैयारी भी तेज हो गई है। लेकिन, इसके साथ ही मतदान का बहिष्कार भी तय हो गया है। वोट बहिष्कार तो बिहार में हर चुनाव के दौरान होता है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में यह अघोषित रूप से और बड़े पैमाने पर होगा। 2015 के चुनाव में 56.91% मतदान हुआ था। इस बार यह 40 से 45% तक रह सकता है। करीब 3000 डॉक्टरों के अलावा उनके परिजन भीड़ में जाने का खतरा नहीं उठाएंगे। यही निर्णय अन्य चिकित्साकर्मियों का भी हो सकता है।
सवा लाख परिवार को संक्रमण का डर
जिन घरों में हार्ट, बीपी, शुगर, कैंसर, किडनी, लिवर आदि के रोगी हैं, उनके भी वोटर संक्रमण के डर से नहीं निकलेंगे। जिन 615 से ज्यादा घरों में कोरोना से मौत हो चुकी है या जिन 1.22 लाख लोगों ने कोरोना संक्रमण के कारण बहुत कुछ झेला है, उनके घरों से भी वोट देने लोग शायद ही निकलें। इसके अलावा जिन घरों में 50 साल से अधिक उम्र के लोग हैं या 15 साल से कम उम्र के बच्चे हैं, उन परिवारों से भी कम ही वोटर भीड़ में निकलने का खतरा उठाएंगे। मरने वालों में 50 साल या अधिक के ही 75%, इसलिए वोट प्रतिशत गिरेगा। बिहार में कोरोना से मौत का सरकारी आंकड़ा अभी 615 के आसपास है। इनमें से 500 मृतकों के विश्लेषण में सामने आया कि 375 लोगों की उम्र 50 से 92 साल के बीच थी।

फोटो बेगूसराय की है। यहां बारिश के चलते खेतों में खड़ी फसल खराब हो गई है। ज्यादातर गांवों में अब भी पानी भरा हुआ है।
डॉक्टर क्या कहते हैं
राज्य के सीनियर फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि “कोरोना के केस भी बिहार में बहुत तेज हैं। चुनाव में 50 साल से ज्यादा वालों के निकलने की उम्मीद मुझे नहीं लगती है। उनका या उनके परिवार के किसी व्यक्ति का संक्रमित होना तब ज्यादा खतरनाक हो जाएगा, जब कोई हार्ट, बीपी, शुगर, कैंसर, किडनी, लिवर में से किसी का रोगी हो।” बिहार के 500 मृतकों में से 138 को पहले से बीपी था, जबकि 133 की रिपोर्ट में शुगर का जिक्र पुरानी बीमारी के रूप में था। मरने वालों में 103 तो हार्ट पेशेंट ही थे।
खास बात यह भी कि इनमें से ज्यादातर खुद बाहर निकलकर संक्रमित नहीं हुए, बल्कि बिना लक्षण के संक्रमित होकर घर आने वालों के कारण इनकी यह स्थिति हुई। डॉ. तेजस्वी कहते हैं कि “जिस देश में ह्यूमिडिटी के बीच कोरोना रोगियों की संख्या 20 लाख से 30 लाख होने में मात्र 16 दिन लगे हों, वहां ठंड में इसके प्रसार की गति का अनुमान लगाना मुश्किल है।” वह यह भी जोड़ते हैं कि बिहार में जिस गति से डॉक्टरों की मौत हुई है और जैसे लोगों की लापरवाही के कारण डॉक्टरों को संक्रमण से लड़ना पड़ रहा है, उसमें डॉक्टर तो शायद ही मतदान में शामिल होने का खतरा उठाएंगे।
किसानों का नजरिया
बेगूसराय के किसान राम पदारथ राय कहते हैं, “जिन परिवारों महिलाएं कोरोना को लेकर जागरूक हैं और पुरुष लापरवाह, उन परिवार से लोग शायद कम वोट देने निकलें। पढ़ी-लिखी महिलाएं और बुजुर्ग तो निकलेंगे ही नहीं। मतलब, 10% कम वोटर निकलेंगे। वैसे, कोरोना के साथ कई जिलों में बाढ़ है और कई जिलों में भीषण बारिश से ही बाढ़ की स्थिति है। खेत बह गया है। आयोग अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराएगा तो कोई क्या करेगा! जो लोग मास्क के बगैर सड़क पर लापरवाह घूम रहे हैं, वह कोरोना के डर से मताधिकार नहीं छोड़ेंगे।”
यह बात राजनीतिक दल भी समझ रहे हैं। यही कारण है कि अपने-अपने वोट बैंक को देखते हुए एक तरफ सत्तारूढ़ दलों का हवाई सर्वेक्षण और राहत कार्य तेज है तो दूसरी तरफ विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव प्रभावित क्षेत्रों में घूमकर सरकारी प्रयासों को कमजोर बता रहे हैं।

फोटो पटना में गंगा नदी के घाट की है। इनमें न तो सोशल डिस्टेंसिंग दिख रही और न मास्क नजर आ रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में संक्रमण बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
कैडर, समर्थक, लापरवाह जरूर निकलेंगे, पेड वोटर्स ज्यादा बढ़ेंगे
स्टेट बैंक सहरसा के रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर रंजीत कांत वर्मा कहते हैं कि कैडर और पार्टी या नेता के घोर समर्थक वोट डालने जरूर जाएंगे। वर्मा कहते हैं, “मैं खगड़िया में रहता हूं, यहां जब लोग कोरोना से डरे बगैर बाजार में बिना मास्क के घूम रहे हैं तो वोट देने भी जरूर जाएंगे। हां, शिक्षित लोग अगर अभी बाजार में नहीं घूम रहे तो वोट डालने भी कम निकलेंगे। कैडर और घोर समर्थकों के साथ वैसे वोटर जरूर निकलेंगे, जिन्हें कुछ दे-दिलाकर मतदान केंद्र तक लाया जाता है। लॉकडाउन के कारण उपजे आर्थिक संकट में शायद ज्यादा आसानी से ऐसे पेड वोटर्स मिलेंगे।”
दूसरी तरफ, केंद्र की हिंदी सलाहकार समिति के साथ भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य वीरेंद्र कुमार यादव कोरोना के कारण वोट प्रतिशत के प्रभावित होने की बात मानते हैं, लेकिन साफ कहते हैं कि कोरोना तो इस साल के अंत तक रहेगा इसलिए जनतांत्रिक देश में निर्वाचन आयोग भी चुनाव टालना नहीं चाहेगा। वह कहते हैं- “बिहार राजनीतिक रूप से जागा हुआ प्रदेश है और यहां कैडर और पार्टी समर्थक दूसरे मतदाताओं को भी मतदान के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए, संक्रमण से बचाने का उपाय होगा तो वोट प्रतिशत पर कम असर पड़ेगा।”
कैडर या अंध समर्थक नहीं तो पढ़े-लिखे और अमीर कम निकलेंगे
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी कहते हैं, “भाजपा और जदयू का वर्चुअल सम्मेलन चल रहा है। राजद ने भी शुरू किया है। कांग्रेस समेत ज्यादातर दल इस मामले में पीछे हैं। जिन्हें अपनी पार्टी या अपने नेता के समर्थकों पर ज्यादा भरोसा लग रहा, वह किसी भी हालत में अभी ही चुनाव चाहेंगे। अभी मतदान होगा तो निश्चित तौर पर उन दलों को फायदा मिल जाएगा, जो किसी भी तरह आमजन तक अपनी बात पहुंचा सके हैं। जहां तक कोरोना का सवाल है तो वोट प्रतिशत पर असर पड़ना तय है। शिक्षित लोगों में जो कोरोना संक्रमण के खतरे को समझेंगे, वह वोट डालने नहीं जाएंगे। डॉक्टर, इंजीनियर, आर्थिक रूप से संपन्न लोग, बुजुर्ग, महिलाएं…इन सभी को इस श्रेणी में रख सकते हैं।”
जिन 500 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, उनका आयु-वर्ग
आयु-वर्ग | मौत |
11-20 | 5 |
21-30 | 15 |
31-40 | 45 |
41-50 | 92 |
51-60 | 161 |
61-70 | 110 |
71-80 | 57 |
81-92 | 15 |

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