न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 30 Aug 2020 12:48 AM IST
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आतंकी संगठनों की फंडिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की लटकती तलवार और घाटी में सुरक्षा बलों की जबरदस्त सख्ती केबावजूद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकत जारी है।
पाकिस्तानी एजेंसी की मदद से करीब एक साल में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीर के45 युवकों को अपने संगठन में शामिल किया है। सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद खासतौर पर दक्षिण कश्मीर से युवकों को गायब होने की घटना में तेजी से इजाफा हुआ है।
मामले से जुड़े उच्चपदस्थ अधिकारी के मुताबिक, दो साल में गायब होने वाले युवकों की संख्या 80 से ऊपर रिकार्ड की गई है। इनमें से ज्यादातर आतंकी संगठन के संपर्क में हैं, जिनकी अलग-अलग स्तर पर ट्रेनिंग चल रही है। सूत्रों ने बताया कि पुलवामा हमले के आत्मघाती आतंकी आदिल डार को बुरहान वानी की तर्ज पर शहीद और हीरो बताकर युवकों को आतंक की तरफ आने के लिए गुमराह किया जा रहा है।
युवाओं का आतंक की राह पर जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई सिरदर्दी
सूत्रों के मुताबिक, अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद घाटी में आतंकी संगठनों ने तबाही की कई खतरनाक योजनाएं बनाई थीं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की बिना थमे की जा रही कार्रवाइयों में लगातार जैश और अन्य संगठनों के आतंकी मारे जा रहे हैं।
हालांकि, दूरदराज के इलाकों से युवकों का आतंकी संगठनों में शामिल होने से चुनौती बढ़ती जा रही है। सूत्रों ने बताया कि कई मुठभेड़ के दौरान आखिरी वक्त में स्थानीय युवकों के माता पिता को बुलाकर लाउडस्पीकर से सरेंडर करने की गुजारिश भी करवाई गई, लेकिन इसमें एक सफलता भी नहीं मिली है। यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई सिरदर्दी साबित हो रहा है।
आतंकी संगठनों की फंडिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की लटकती तलवार और घाटी में सुरक्षा बलों की जबरदस्त सख्ती केबावजूद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकत जारी है।
पाकिस्तानी एजेंसी की मदद से करीब एक साल में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीर के45 युवकों को अपने संगठन में शामिल किया है। सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद खासतौर पर दक्षिण कश्मीर से युवकों को गायब होने की घटना में तेजी से इजाफा हुआ है।
मामले से जुड़े उच्चपदस्थ अधिकारी के मुताबिक, दो साल में गायब होने वाले युवकों की संख्या 80 से ऊपर रिकार्ड की गई है। इनमें से ज्यादातर आतंकी संगठन के संपर्क में हैं, जिनकी अलग-अलग स्तर पर ट्रेनिंग चल रही है। सूत्रों ने बताया कि पुलवामा हमले के आत्मघाती आतंकी आदिल डार को बुरहान वानी की तर्ज पर शहीद और हीरो बताकर युवकों को आतंक की तरफ आने के लिए गुमराह किया जा रहा है।
युवाओं का आतंक की राह पर जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई सिरदर्दी
सूत्रों के मुताबिक, अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद घाटी में आतंकी संगठनों ने तबाही की कई खतरनाक योजनाएं बनाई थीं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की बिना थमे की जा रही कार्रवाइयों में लगातार जैश और अन्य संगठनों के आतंकी मारे जा रहे हैं।
हालांकि, दूरदराज के इलाकों से युवकों का आतंकी संगठनों में शामिल होने से चुनौती बढ़ती जा रही है। सूत्रों ने बताया कि कई मुठभेड़ के दौरान आखिरी वक्त में स्थानीय युवकों के माता पिता को बुलाकर लाउडस्पीकर से सरेंडर करने की गुजारिश भी करवाई गई, लेकिन इसमें एक सफलता भी नहीं मिली है। यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई सिरदर्दी साबित हो रहा है।
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Sun Aug 30 , 2020
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