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- After Reaching The Police After 10 Years Of The Rape Incident In Muzaffarpur, The Police Said With Folded Hands No Longer Want Justice
मुजफ्फरपुर16 मिनट पहले
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- 10 साल बाद सिटी एसपी की समीक्षा में खुला केस तो अनुसंधान के लिए भेजे गए आईओ
- 22 अगस्त 2010 को नगर थाने में दर्ज हुआ था मामला, एसपी ने समीक्षा की तो खुला केस
(गुलशाद) अखाड़ाघाट रोड इलाके के एक मोहल्ले में 10 साल पहले 17 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म हुआ था। पीड़िता के विरोध पर दरिंदे ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया था। किराए के मकान में रहने वाले आरोपित को नामजद करते हुए पीड़िता ने कोर्ट में शिकायत की थी। काेर्ट के आदेश पर 22 अगस्त 2010 को नगर थाने में दुष्कर्म की धारा 376 और जानलेवा हमले की धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर के बाद पीड़िता व परिजन कार्रवाई के लिए थाने से लेकर अन्य अधिकारियों के पास चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस ने उक्त फाइल काे लंबित कांड के पुलिंदे में बांध दिया।
पिता बोले- अब बख्श दीजिए, केस को यहीं खत्म कर दें
अब 10 साल बाद सिटी एसपी नीरज सिंह की समीक्षा में जब यह केस खुला तो अनुसंधान शुरू हुआ। पीड़िता का पुनः बयान लेने का निर्देश वर्तमान आईओ दारोगा राजपत कुमार को दिया गया। गुरुवार को काफी मशक्कत के बाद दारोगा की पीड़िता के पिता से मुलाकात हुई। जब दुष्कर्म के केस की छानबीन के लिए पहुंचने की बात दारोगा ने बताई तो पीड़िता के पिता हाथ जोड़ कर खड़े हो गए।
कहा-हुजूर बख्श दीजिए। अब हमें न्याय नहीं चाहिए। बेटी की शादी हो चुकी है। इस केस के चक्कर में उसका बसा-बसाया परिवार ही उजड़ जाएगा। जो आरोपित था वह भी कब का मोहल्ला छोड़कर जा चुका। किसे गिरफ्तार कीजिएगा। इसलिए छोड़ दिया जाए। अब केस खत्म कर दीजिए। पिता का बयान लेकर दारोगा लौट गए। बताया कि अब यह केस साक्ष्य की कमी के आधार पर फाइनल कर दिया जाएगा। इसके लिए केस डायरी में बयान अंकित कर लिया गया है।
भास्कर एक्सपर्ट: ऐसे ही मामलों से पीड़ित पक्ष का उठ जाता है न्याय से भरोसा, पूर्व आईओ पर होनी चाहिए कार्रवाई
यह मामला जस्टिस डिलेड, जस्टिस डिनाइड की श्रेणी का है। ऐसे मामलाें से ही पीड़ित पक्ष का न्याय से भरोसा उठ जाता है। इसे नजीर के रूप में लेकर वरीय अधिकारियों को सीख लेनी चाहिए और तय समय सीमा में अनुसंधान पूरा कराया जाना चाहिए। वैसे तो इस मामले में पूर्व के आईओ पर कार्रवाई की जानी चाहिए। -डाॅ. संगीता शाही, वरीय अधिवक्ता
पुराने कांडों की हो रही है समीक्षा
सभी पुराने कांडों की समीक्षा की जा रही है। ऐसे मामले में निश्चित रूप से पूर्व के आईओ पर कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है। हालांकि, पुराने आईओ स्थानांतरित होकर दूसरे जिले में जा चुके होते हैं, इसलिए उनपर होने वाली कार्रवाई की जानकारी लोगों को नहीं हो पाती है। -नीरज सिंह, सिटी एसपी
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