न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Sat, 19 Sep 2020 05:22 AM IST
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राष्ट्रीय जनता दल(राजद) द्वारा वाम दल को महागठबंधन में शामिल करने की कोशिश नाकाम होते नजर आ रही है। दरअसल भाकपा(माले) ने राजद के सीट शेयरिंग प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। साथ ही, पार्टी अपने मजबूत सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी में फिर से जुट गई है। इस मामले पर जवाब देते हुए पार्टी ने कहा कि अगर बात नहीं बनती है तो पार्टी एकला चलो रे की नीति पर चलेगी।
माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने शुक्रवार को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि उनकी पार्टी ने प्रस्ताव खारिज कर इसकी सूचना पत्र के माध्यम से राजद को दे दी है। उन्होंने कहा कि हालांकि महागठबंधन को लेकर अभी बात पूरी तरह से बंद नहीं हुई है, लेकिन मामला जरूर फंस गया है। वर्ष 2015 के चुनाव को आधार मानकर सीट का बंटवारा उन्हें किसी भी स्थिति में मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा की लगभग सौ सीटों पर चुनाव लड़ती रही हैं। लेकिन महागठबंधन में जाने के लिए हमने सीटों की संख्या घटाकर 53 सीटें कर दी। लेकिन बाद में राजद द्वारा दी गई सीटों की संख्या का प्रस्ताव हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है।
हालांकि उन्होंने राजद की ओर से दी जाने वाली सीटों के बारे में कुछ नहीं बताया लेकिन इतना जरूर कहा कि वह जिन सीटों पर चुनाव जीता है उसमें कई विधायक दूसरे दलों में चले गए हैं। निचले स्तर पर भी कार्यकर्ताओं ने दल बदला है। पिछले विधानसभा में उनके साथ जदयू भी था। लिहाजा ना वह पहले वाला गठबंधन है और ना वह परिस्थिति। ऐसे में उस चुनाव को आधार मानना सही नहीं है।
भट्टाचार्या ने कहा कि यह चुनाव आंदोलन का रूप लेगा, जहां बेरोजगार व छात्र सड़क पर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। उन्होंने वर्तमान सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है।
राष्ट्रीय जनता दल(राजद) द्वारा वाम दल को महागठबंधन में शामिल करने की कोशिश नाकाम होते नजर आ रही है। दरअसल भाकपा(माले) ने राजद के सीट शेयरिंग प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। साथ ही, पार्टी अपने मजबूत सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी में फिर से जुट गई है। इस मामले पर जवाब देते हुए पार्टी ने कहा कि अगर बात नहीं बनती है तो पार्टी एकला चलो रे की नीति पर चलेगी।
माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने शुक्रवार को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि उनकी पार्टी ने प्रस्ताव खारिज कर इसकी सूचना पत्र के माध्यम से राजद को दे दी है। उन्होंने कहा कि हालांकि महागठबंधन को लेकर अभी बात पूरी तरह से बंद नहीं हुई है, लेकिन मामला जरूर फंस गया है। वर्ष 2015 के चुनाव को आधार मानकर सीट का बंटवारा उन्हें किसी भी स्थिति में मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा की लगभग सौ सीटों पर चुनाव लड़ती रही हैं। लेकिन महागठबंधन में जाने के लिए हमने सीटों की संख्या घटाकर 53 सीटें कर दी। लेकिन बाद में राजद द्वारा दी गई सीटों की संख्या का प्रस्ताव हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है।
हालांकि उन्होंने राजद की ओर से दी जाने वाली सीटों के बारे में कुछ नहीं बताया लेकिन इतना जरूर कहा कि वह जिन सीटों पर चुनाव जीता है उसमें कई विधायक दूसरे दलों में चले गए हैं। निचले स्तर पर भी कार्यकर्ताओं ने दल बदला है। पिछले विधानसभा में उनके साथ जदयू भी था। लिहाजा ना वह पहले वाला गठबंधन है और ना वह परिस्थिति। ऐसे में उस चुनाव को आधार मानना सही नहीं है।
भट्टाचार्या ने कहा कि यह चुनाव आंदोलन का रूप लेगा, जहां बेरोजगार व छात्र सड़क पर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। उन्होंने वर्तमान सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है।
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Sat Sep 19 , 2020
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