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- Bapu, JP, Lohia, Ambedkar And Karpoori Are Not Allowed To Bear The Picture Of A Family Of Five: Raghuvansh Prasad
पटना/दिल्ली10 घंटे पहले
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राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के बीच चिट्ठियों का दौर चला और अब रुक भी गया। रघुवंश के इस्तीफे की चिट्ठी के बाद लालू ने रांची से बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से पत्र लिखकर उन्हें पार्टी में बने रहने कहा था। लेकिन, अब रघुवंश सिंह ने उनकी चिट्ठी का जवाब नहीं देकर एक संदेश “संदर्भ” नाम से जारी किया है। इस चिट्ठी के जरिये रघुवंश ने साफ लिखा है कि बापू, जेपी, लोहिया, अंबेडकर और कर्पूरी की जगह एक परिवार के पांच की तस्वीर उन्हें बर्दाश्त नहीं।
विभिन्न माध्यमों से सामने आ रही इस चिट्ठी में रघुवंश ने बिना नाम लिए राजद के अंदर चल रहे परिवारवाद पर तल्ख टिप्पणी की है। रघुवंश के लेटरहेड पर सामने आई इस संदेश का शीर्षक है-“राजनीति मतलब बुराई से लड़ना, धर्म मतलब अच्छा करना”।

रघुवंश के लेटरहेड से यह संदेश सामने आया है।
इस संदेश में उन्होंने लिखा है कि-
“वर्तमान में राजनीति में इतनी गिरावट आ गई है, जिससे लोकतंत्र पर खतरा है। कुछ पार्टियों द्वारा सीटों की, टिकट की खरीद-बिक्री, वोटों की खरीद-बिक्री से कार्यकर्ताओं की हकमारी हो रही है। लोकतंत्र पर ही खतरा है क्योंकि लोकतंत्र मतलब वोट का राज और वोट प्रणाली ही चौपट जाए तो लोकतंत्र कैसे बचेगा।
महात्मा गांधी, बाबू जय प्रकाश नारायण, डॉ लोहिया, बाबा साहब और जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम और विचारधारा पर लाखों लोग रहे, कठिनाइयां सही लेकिन डगमग नहीं हुए। समाजवाद की जगह सामंतवाद जातवाद, वंशवाद, परिवारवाद, सांप्रदायवाद आ गया। यह सभी उतनी ही बुराई है जिसके खिलाफ समाजवाद का जन्म हुआ था।
उपरोक्त पांचों महान पुरुष की फोटो की जगह एक ही परिवार के पांच का छपने लगा। पद हो जाने से धन कमाना और धन कमाकर ज्यादातर लोग पद खोज रहे हैं। राजनीति की परिभाषा के अनुसार इन सभी बुराइयों से लड़ना ही पड़ेगा।”
रघुवंश ने राजद से दिया इस्तीफा, लालू ने मनाने के लिए लिखा पत्र
इससे पहले गुरुवार को रघुवंश प्रसाद सिंह ने तेजस्वी से तंग एम्स से ही लालू को इस्तीफा भेजा था। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा था, ‘‘जन नायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 साल तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं। पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन का बड़ा स्नेह मिला, मुझे क्षमा करें।’’
रघुवंश के इस्तीफे पर लालू ने पत्र लिखकर उन्हें मनाने की कोशिश की। अपने पत्र में लालू ने लिखा था कि प्रिय रघुवंश बाबू। आपके द्वारा कथित तौर पर लिखित एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है। मुझे तो विश्वास ही नहीं होता। अभी मेरे परिवार और मेरे साथ मिलकर रहिए। राजद परिवार आपको शीघ्र स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है। चार दशकों में हमने हर राजनीतिक सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में भी मिल बैठकर ही विचार किया है। आप जरूर स्वस्थ हों फिर बैठ के बात करेंगे। आप कहीं नहीं जा रहे हैं! समझ लीजिए।
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