Japanese Fever Havoc In Bihar, 11 Children Died In Muzaffarpur Since March 27 – बिहार में जापानी बुखार का कहर, मुजफ्फरपुर में 27 मार्च से अब तक 11 बच्चों की मौत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुजफ्फरपुर

Updated Wed, 16 Sep 2020 11:14 PM IST

बिहार में दिमागी बुखार के कारण बच्चों की मौत (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला

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बिहार में कोरोना महामारी और बाढ़ के बाद अब जापानी बुखार ने कहर बरपाया है। मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने बताया कि यहां 27 मार्च से अब तक, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम / जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित 76 बच्चे यहां भर्ती हुए। इनमें से 11 बच्चों की मौत हो गई है और 2 बच्चे पीआईसीयू वार्ड में भर्ती हैं। वहीं 60 बच्चों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

बता दें कि जापानी बुखार से हर साल बिहार में खासतौर पर मुजफ्फरपुर में कई मौतें होती हैं। पिछले साल जून 2019 में ही यहां पर 161 बच्चों की मौत हुई थी। जानकारी के मुताबिक यह बीमारी 15 साल के कम उम्र के बच्चों में होती है। बुखार, उलटी और सिरदर्द इसके लक्षण हैं, जिनसे इसकी पहचान होती है।

 

रिपोर्ट के मुताबिक, मुजफ्फरपुर जिले में इस बीमारी का पहला मामला 1995 में दर्ज किया गया था। इसके बाद यहां 2013 में 143 मौतें हुईं, 2014 में 355, 2015 में 11, 2016 में चार, 2017 में 11 और 2018 में 7 मौतें हुईं। हालांकि हाल के वर्षों में इससे मरने वालों की संख्या में कमी आई है और इसके इलाज के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस बीमारी का पहला मामला साल 1871 में सामने आया था। 

बिहार में कोरोना महामारी और बाढ़ के बाद अब जापानी बुखार ने कहर बरपाया है। मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने बताया कि यहां 27 मार्च से अब तक, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम / जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित 76 बच्चे यहां भर्ती हुए। इनमें से 11 बच्चों की मौत हो गई है और 2 बच्चे पीआईसीयू वार्ड में भर्ती हैं। वहीं 60 बच्चों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

बता दें कि जापानी बुखार से हर साल बिहार में खासतौर पर मुजफ्फरपुर में कई मौतें होती हैं। पिछले साल जून 2019 में ही यहां पर 161 बच्चों की मौत हुई थी। जानकारी के मुताबिक यह बीमारी 15 साल के कम उम्र के बच्चों में होती है। बुखार, उलटी और सिरदर्द इसके लक्षण हैं, जिनसे इसकी पहचान होती है।

 

रिपोर्ट के मुताबिक, मुजफ्फरपुर जिले में इस बीमारी का पहला मामला 1995 में दर्ज किया गया था। इसके बाद यहां 2013 में 143 मौतें हुईं, 2014 में 355, 2015 में 11, 2016 में चार, 2017 में 11 और 2018 में 7 मौतें हुईं। हालांकि हाल के वर्षों में इससे मरने वालों की संख्या में कमी आई है और इसके इलाज के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस बीमारी का पहला मामला साल 1871 में सामने आया था। 



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