डॉक्टर ने मकान का प्रलोभन देकर आदिवासी लड़की का 2 साल तक किया शारीरिक शोषण

रामगढ़। वैसे तो डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। लेकिन कुछ लोग इस महान पेशे को भी कलंकित कर देते हैं। रामगढ़ में पतंजलि हाउस नाम से चला रहे क्लीनिक के डॉक्टर पीके तिवारी ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा किया है। उसने अपनी एक महिला कर्मचारी का 2 साल तक शारीरिक शोषण किया। यहां तक की उसे इन 2 वर्षों का मानदेय भी नहीं दिया। पीड़िता रश्मिता ने गुरुवार को रामगढ़ महिला थाना में न्याय की गुहार लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। रश्मिता सिमडेगा जिले के रेंगाडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत बाघचट्टा गांव की निवासी है। उसने बताया कि वह वर्ष 2018 से डॉक्टर पीके तिवारी के साथ काम कर रही है। 

डॉ पीके तिवारी 21 जुलाई 2018 उससे पलामू जिले के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत ठाकुर दीदरी में मिले थे। उसने 10000 प्रति महीना मानदेय देने का प्रलोभन दिया। इसके बाद रश्मिता उनके साथ उनके क्लीनिक बालूमाथ पहुंच गई। लगभग 10 महीने बाद बालूमाथ से अपना क्लीनिक बंद कर डॉक्टर पीके तिवारी रामगढ़ शहर के रांची रोड इलाके में आ गए। यहां लगभग डेढ़ महीने तक रश्मिता ने काम किया। इसके बाद पतंजलि हाउस के नाम से रामगढ़ ब्लॉक के क्लीनिक खोला में भी वह काम करती थी। 

रश्मिता ने कहा कि दिन में क्लीनिक और रात में डॉक्टर उसे अपने आवास पर काम कराते थे। इस दौरान उसका शारीरिक शोषण भी होता था। डॉक्टर पीके तिवारी ने उसे रामगढ़ में ही जमीन खरीद कर मकान बना देने का प्रलोभन भी दिया। इसलिए उसे प्रति महीना मानदेय भी नहीं मिलता था। 

बीच में कई बार रश्मिता ने पैसे की मांग की, तो डॉक्टर पीके तिवारी ने कहा कि उसका पैसा उसे एक ही बार में मिल जाएगा। 7 मार्च को रश्मिता अपने घर सिमडेगा चली गई और इसी दौरान लॉकडाउन की घोषणा हो गई। जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो वह लौटकर रामगढ़ आई। रश्मिता को पता चला कि डॉ पीके तिवारी ने अपनी एक दुकान पोचरा में भी खोल ली है। वह जब वहां गई तो डॉक्टर पीके तिवारी ने उसे पहचानने से भी इंकार कर दिया और ना उसे पैसे देने से भी मना कर दिया।

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