पटनाएक घंटा पहले
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- नमो एप के जरिये कोई भी व्यक्ति इस क्विज का प्रतिभागी बन सकता है
17 सितंबर का दिन, यूं तो विश्वकर्मा पूजा को लेकर खास माना जाता है लेकिन देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करनेवाली बीजेपी के लिए बीते एक दशक से ये दिन साल का सबसे खास दिन बन चुका है। और इसकी वजह है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,जिनका जन्मदिन 17 सितंबर को है।
इस दिन को पूरे देश में भाजपाई अलग-अलग अंदाज में मना रहे हैं। किसी ने 70 किलो दूध से जलाभिषेक कर पीएम के लिए आर्शीर्वाद मांगा,तो किसी ने 70 किलो के लड्डू बनवा दिये,कोई हवन पूजा कर रहा है तो कोई केक काट रहा है। कुल मिलाकर जो जहां है वही उसने पीएम के जन्मदिन को खास बनाने की कोशिश की।
कार्यकर्ताओं और नेताओं की तरफ से निजी तौर पर किए इन आयोजनों के साथ ही बीजेपी की तरफ से भी कई कार्यक्रम हुए जिसमें रक्तदान शिविर,स्वच्छता अभियान और मंदिर, मठों में दिये जलाने का कार्यक्रम शामिल है। लेकिन इस से परे बहुत खास और अलग खेल शुरू हुआ नमो एप पर जिसपर आज से शुरू किया गया है एक क्विज,इस क्विज का नाम है know namo ।
नमो एप के जरिये कोई भी व्यक्ति इस क्विज का प्रतिभागी बन सकता है। इस क्विज में हिस्सा लेने वालों को पीएम नरेन्द्र मोदी से जुडे सवालों का जबाब देना होगा। क्विज है तो जाहिर है जीतने पर इनाम भी मिलेगा। और इनाम होगा नरेन्द्र मोदी के ऑटोग्राफ वाली किताबें। जिस नमो एप पर इस क्विज की शुरूआत की गई है उसके फिलहाल 10 मिलियन से भी ज्यादा सब्स्क्राइबर हैं। ऐसे में वो लोग जो पहले से इस एप से जुड़े हैं वो इस एप पर जाकर नमो क्विज का हिस्सा बन सकते है लेकिन जिन्होंने अब तक एप को सब्स्क्राइबर नही किया है उन्हें एप को डाउनलोड करना होगा।और तब वो इस क्विज में हिस्सा ले सकेंगे।
पहले भी नमो एप के जरिये बीजेपी पीएम नरेन्द्र मोदी को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने की कोशिशें करती है,और ये क्विज आइडिया भी पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है।पार्टी की इस नई कोशिश को बिहार चुनाव के नजरिये से अहम माना जा सकता है,क्योंकि इस क्विज के जरिए बीजेपी युवाओं में पीएम के प्रति आकर्षण का आकलन करना चाहती है।ऐसे समय में जब बिहार में चुनाव है और सूबे की विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी के मुद्दे पर बिहार के युवाओं को अपने साथ जोड़ने में लगी हैं तो बीजेपी को इस क्विज के जरिए युवाओं की सोच तक पहुंचने में मदद की उम्मीद है।
एक आंकड़े के मुताबिक बिहार में 30 से 39 साल के युवाओं की संख्या 1.98 करोड़ है और यही वो लोग हैं जिसे विरोधी पार्टियां बेरोजगारी के मुद्दे पर अपने पाले में लाना चाहती है।यही नही कोरोना काल में बुजुर्गों के वोट देने के लिए घरों से निकलने पर संशय बना हुआ है। ऐसे में हर पार्टी को ये पता है कि जीत उसी को होगी जिसके साथ युवा आबादी होगी।लिहाज ये क्या सोच रहे हैं ये समझना बीजेपी के लिए बेहद अहम है और यही वजह है कि बीजेपी ने अपने युवा कार्यकर्ताओं को इस क्विज से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोडने के निर्देश दिए हैं।
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