Bihar Election Pm Modi Lay Foundation Stone Of Nine National Highway Project Optical Fibre Network Nitish Kumar – Live: कृषि विधेयक पर बोले पीएम मोदी- मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Mon, 21 Sep 2020 01:36 PM IST

प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी
– फोटो : Twitter @BJPLive

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर


कहीं भी, कभी भी।

*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!

ख़बर सुनें

बिहार में अक्तूबर-नवंबर के महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक लगभग रोजाना राज्य को नई-नई सौगात दे रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को प्रधानमंत्री ने नौ राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने राज्य के 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने वाली सेवा ‘घर तक फाइबर प्रोजेक्ट’ का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अब ये भी जरूरी है कि देश के गांवों में अच्छी क्वालिटी, तेज रफ्तार वाला इंटरनेट भी हो। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में तेज इंटरनेट पहुंचेगा तो गांव में पढ़ाई आसान होगी। गांव के बच्चे, युवा भी एक क्लिक पर दुनिया की किताबों तक, तकनीक तक आसानी से पहुंच पाएंगे। वहीं कृषि विधेयक को लेकर उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथ लते हुए कहा कि कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिख रहा है। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा।

यहां पढ़ें प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें-

  • 21वीं सदी के भारत का ये दायित्व है कि वो देश के किसानों के लिए आधुनिक सोच के साथ नई व्यवस्थाओं का निर्माण करे। देश के किसानों को, देश की खेती को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। इसमें निश्चित तौर पर कनेक्टिविटी की बड़ी भूमिका है।
  • इस साल कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीजन में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है। इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए MSP पर दिया गया है। ये राशि भी पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा है।
  • बीते 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है और 2014 से पहले के 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है, उसके आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। मैं अगर दलहन और तिलहन की ही बात करूं तो पहले की तुलना में, दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद करीब 24 गुना अधिक की गई है।
  • मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।
  • कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग एमएसपी पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं। ये वही लोग हैं, जो बरसों तक एमएसपी पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अपने पैरों की नीचे दबाकर बैठे रहे।
  • जहां डेयरी होती हैं, वहां आसपास के पशुपालकों को दूध बेचने में आसानी तो होती है, डेयरियां भी पशुपालकों का, उनके पशुओं का ध्यान रखती हैं। इन सबके बाद भी दूध भले ही डेयरी खरीद लेती है, लेकिन पशु तो किसान का ही रहता है। ऐसे ही बदलाव अब खेती में भी होने का मार्ग खुल गया है।
  • मध्यप्रदेश, यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दालें बहुत होती हैं। इन राज्यों में पिछले साल की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा दाम सीधे किसानों को मिले हैं। दाल मिलों ने वहां भी सीधे किसानों से खरीद की है, सीधे उन्हें ही भुगतान किया है। अब देश अंदाजा लगा सकता है कि अचानक कुछ लोगों को जो दिक्कत होनी शुरू हुई है, वो क्यों हो रही है। कई जगह ये भी सवाल उठाया जा रहा है कि कृषि मंडियों का क्या होगा। कृषि मंडियां कतई बंद नहीं होंगी।
  • बहुत पुरानी कहावत है कि संगठन में शक्ति होती है। आज हमारे यहां ज्यादा किसान ऐसे हैं जो बहुत थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं। जब किसी क्षेत्र के ऐसे किसान अगर एक संगठन बनाकर यही काम करते हैं, तो उनका खर्च भी कम होता है और सही कीमत भी सुनिश्चित होती है।

    कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।
  • कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।
  • मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है।
  • नए कृषि सुधारों ने देश के हर किसान को आजादी दे दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल, अपने फल-सब्जियां बेच सकता है। अब उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
  • हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता?
  • कल देश की संसद ने, देश के किसानों को नए अधिकार देने वाले बहुत ही ऐतिहासिक कानूनों को पारित किया है। मैं देश के लोगों को, देश के किसानों, देश के उज्ज्वल भविष्य के आशावान लोगों को भी इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये सुधार 21वीं सदी के भारत की जरूरत हैं।
  • गंडक और कोसी नदियों पर भी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। आज चार लेन के तीन नए पुलों का शिलान्यास हुआ है। इसमें से दो पुल गंगा नदी पर और एक पुल कोसी नदी पर बनने वाला है।
  • बिहार की कनेक्टिविटी में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते रही है। यही कारण है कि जब पीएम पैकेज की घोषणा हो रही थी तो पुलों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया था। पीएम पैकेज के तहत गंगा जी के ऊपर कुल 17 पुल बनाए जा रहे हैं, जिसमें से अधिकतर पूरे हो चुके हैं।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर अब जिस स्केल पर काम हो रहा है, जिस स्पीड पर काम हो रहा है, वो अभूतपूर्व है। 2014 से पहले की तुलना में आज हर रोज दोगुनी से भी तेज गति से हाइवे बनाए जा रहे हैं।
  • इतिहास साक्षी है कि दुनियाभर में उसी देश ने सबसे तेज तरक्की की है, जिसने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर गंभीरता से निवेश किया है। लेकिन भारत में दशकों तक ऐसा रहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े और व्यापक बदलाव लाने वाले प्रोजेक्ट्स पर उतना ध्यान नहीं दिया गया।
  • 21वीं सदी का भारत, 21वीं सदी का बिहार, अब पुरानी कमियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। आज देश में मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। अब हाईवे इस तरह बन रहे हैं कि वो रेल रूट को, एयर रूट को सपोर्ट करें। रेल रूट इस तरह बन रहे हैं कि वो पोर्ट से इंटर-कनेक्टेड हों।
  • बिहार की लाइफलाइन के रूप में मशहूर महात्मा गांधी सेतु आज नए रंगरूप में सेवाएं दे रहा है। लेकिन बढ़ती आबादी और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए, अब महात्मा गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का एक नया पुल बनाया जा रहा है। नए पुल के साथ 8 लेन का ‘पहुंच पथ’ भी होगा। 
  • टेलिमेडिसिन के माध्यम से अब दूर-सुदूर के गांवों में भी सस्ता और प्रभावी इलाज गरीब को घर बैठे ही दिलाना संभव हो पाएगा। हमारे किसानों को तो इससे बहुत अधिक लाभ होगा। अच्छी फसल, मौसम का हाल, जैसी कई जानकारियां उन्हें आसानी से मिलेंगी।
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ देश आगे बढ़ रहा है। गांव-गांव में तेज इंटरनेट पहुंचेगा तो गांव में पढ़ाई आसान होगी। गांव के बच्चे, युवा भी एक क्लिक पर दुनिया की किताबों तक, तकनीक तक आसानी से पहुंच पाएंगे।
  • यही नहीं बीते 6 साल में देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर भी ऑनलाइन जोड़े गए हैं। अब यही कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य साथ देश आगे बढ़ रहा है।
  • इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अब ये भी जरूरी है कि देश के गांवों में अच्छी क्वालिटी, तेज रफ्तार वाला इंटरनेट भी हो। सरकार के प्रयासों की वजह से देश की करीब डेढ़ लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहले ही पहुंच चुका है। 
  • भारत के गांवों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या शहरों से ज्यादा हो जाएगी, ये कुछ वर्षों तक सोचना मुश्किल था। किसान, गांव के युवा, महिलाएं इतनी आसानी से इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगीं, इस पर भी कुछ लोग सवाल उठाते थे, लेकिन अब सारी स्थितियां बदल गई हैं।
  • आज बिहार की विकास यात्रा का एक और अहम दिन है। अब से कुछ देर पहले बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ाने वाली 9 परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। इन परियोजनाओं के लिए बिहार के लोगों को बहुत बहुत बधाई देता हूं। इन परियोजनाओं में हाइवे को चार लेन और छह लेन का बनाने और नदियों पर तीन बड़े पुलों के निर्माण का काम शामिल है।

 

बिहार की जनता विपक्ष को उचित जवाब देगी

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी का बिहार और पूरे देश में सम्मान है। कल संसद में उनके साथ हुई घटना से अघोषित रूप से बिहार के लोगों को चोट लगी है। बिहार की जनता विपक्ष को उचित जवाब देगी।’

उन्होंने कहा, ‘बिहार में छह पुल प्रधानमंत्री पैकेज का हिस्सा हैं, छह पुल राज्य सरकार बना रही है। इस प्रकार आगे आने वाले दिनों में गंगा नदी पर कुल 17 पुल और 62 लेन की क्षमता बिहार के लोगों को प्राप्त हो जाएगी। हर 25 किमी पर औसतन एक पुल लोगों को मिलेगा।’

बिहार में अक्तूबर-नवंबर के महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक लगभग रोजाना राज्य को नई-नई सौगात दे रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को प्रधानमंत्री ने नौ राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने राज्य के 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने वाली सेवा ‘घर तक फाइबर प्रोजेक्ट’ का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अब ये भी जरूरी है कि देश के गांवों में अच्छी क्वालिटी, तेज रफ्तार वाला इंटरनेट भी हो। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में तेज इंटरनेट पहुंचेगा तो गांव में पढ़ाई आसान होगी। गांव के बच्चे, युवा भी एक क्लिक पर दुनिया की किताबों तक, तकनीक तक आसानी से पहुंच पाएंगे। वहीं कृषि विधेयक को लेकर उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथ लते हुए कहा कि कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिख रहा है। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा।

यहां पढ़ें प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें-

  • 21वीं सदी के भारत का ये दायित्व है कि वो देश के किसानों के लिए आधुनिक सोच के साथ नई व्यवस्थाओं का निर्माण करे। देश के किसानों को, देश की खेती को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। इसमें निश्चित तौर पर कनेक्टिविटी की बड़ी भूमिका है।
  • इस साल कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीजन में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है। इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए MSP पर दिया गया है। ये राशि भी पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा है।
  • बीते 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है और 2014 से पहले के 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है, उसके आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। मैं अगर दलहन और तिलहन की ही बात करूं तो पहले की तुलना में, दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद करीब 24 गुना अधिक की गई है।
  • मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।
  • कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग एमएसपी पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं। ये वही लोग हैं, जो बरसों तक एमएसपी पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अपने पैरों की नीचे दबाकर बैठे रहे।
  • जहां डेयरी होती हैं, वहां आसपास के पशुपालकों को दूध बेचने में आसानी तो होती है, डेयरियां भी पशुपालकों का, उनके पशुओं का ध्यान रखती हैं। इन सबके बाद भी दूध भले ही डेयरी खरीद लेती है, लेकिन पशु तो किसान का ही रहता है। ऐसे ही बदलाव अब खेती में भी होने का मार्ग खुल गया है।
  • मध्यप्रदेश, यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दालें बहुत होती हैं। इन राज्यों में पिछले साल की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा दाम सीधे किसानों को मिले हैं। दाल मिलों ने वहां भी सीधे किसानों से खरीद की है, सीधे उन्हें ही भुगतान किया है। अब देश अंदाजा लगा सकता है कि अचानक कुछ लोगों को जो दिक्कत होनी शुरू हुई है, वो क्यों हो रही है। कई जगह ये भी सवाल उठाया जा रहा है कि कृषि मंडियों का क्या होगा। कृषि मंडियां कतई बंद नहीं होंगी।
  • बहुत पुरानी कहावत है कि संगठन में शक्ति होती है। आज हमारे यहां ज्यादा किसान ऐसे हैं जो बहुत थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं। जब किसी क्षेत्र के ऐसे किसान अगर एक संगठन बनाकर यही काम करते हैं, तो उनका खर्च भी कम होता है और सही कीमत भी सुनिश्चित होती है।


    कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।

  • कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।
  • मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है।
  • नए कृषि सुधारों ने देश के हर किसान को आजादी दे दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल, अपने फल-सब्जियां बेच सकता है। अब उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
  • हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता?
  • कल देश की संसद ने, देश के किसानों को नए अधिकार देने वाले बहुत ही ऐतिहासिक कानूनों को पारित किया है। मैं देश के लोगों को, देश के किसानों, देश के उज्ज्वल भविष्य के आशावान लोगों को भी इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये सुधार 21वीं सदी के भारत की जरूरत हैं।
  • गंडक और कोसी नदियों पर भी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। आज चार लेन के तीन नए पुलों का शिलान्यास हुआ है। इसमें से दो पुल गंगा नदी पर और एक पुल कोसी नदी पर बनने वाला है।
  • बिहार की कनेक्टिविटी में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते रही है। यही कारण है कि जब पीएम पैकेज की घोषणा हो रही थी तो पुलों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया था। पीएम पैकेज के तहत गंगा जी के ऊपर कुल 17 पुल बनाए जा रहे हैं, जिसमें से अधिकतर पूरे हो चुके हैं।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर अब जिस स्केल पर काम हो रहा है, जिस स्पीड पर काम हो रहा है, वो अभूतपूर्व है। 2014 से पहले की तुलना में आज हर रोज दोगुनी से भी तेज गति से हाइवे बनाए जा रहे हैं।
  • इतिहास साक्षी है कि दुनियाभर में उसी देश ने सबसे तेज तरक्की की है, जिसने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर गंभीरता से निवेश किया है। लेकिन भारत में दशकों तक ऐसा रहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े और व्यापक बदलाव लाने वाले प्रोजेक्ट्स पर उतना ध्यान नहीं दिया गया।
  • 21वीं सदी का भारत, 21वीं सदी का बिहार, अब पुरानी कमियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। आज देश में मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। अब हाईवे इस तरह बन रहे हैं कि वो रेल रूट को, एयर रूट को सपोर्ट करें। रेल रूट इस तरह बन रहे हैं कि वो पोर्ट से इंटर-कनेक्टेड हों।
  • बिहार की लाइफलाइन के रूप में मशहूर महात्मा गांधी सेतु आज नए रंगरूप में सेवाएं दे रहा है। लेकिन बढ़ती आबादी और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए, अब महात्मा गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का एक नया पुल बनाया जा रहा है। नए पुल के साथ 8 लेन का ‘पहुंच पथ’ भी होगा। 
  • टेलिमेडिसिन के माध्यम से अब दूर-सुदूर के गांवों में भी सस्ता और प्रभावी इलाज गरीब को घर बैठे ही दिलाना संभव हो पाएगा। हमारे किसानों को तो इससे बहुत अधिक लाभ होगा। अच्छी फसल, मौसम का हाल, जैसी कई जानकारियां उन्हें आसानी से मिलेंगी।
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ देश आगे बढ़ रहा है। गांव-गांव में तेज इंटरनेट पहुंचेगा तो गांव में पढ़ाई आसान होगी। गांव के बच्चे, युवा भी एक क्लिक पर दुनिया की किताबों तक, तकनीक तक आसानी से पहुंच पाएंगे।
  • यही नहीं बीते 6 साल में देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर भी ऑनलाइन जोड़े गए हैं। अब यही कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य साथ देश आगे बढ़ रहा है।
  • इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अब ये भी जरूरी है कि देश के गांवों में अच्छी क्वालिटी, तेज रफ्तार वाला इंटरनेट भी हो। सरकार के प्रयासों की वजह से देश की करीब डेढ़ लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहले ही पहुंच चुका है। 
  • भारत के गांवों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या शहरों से ज्यादा हो जाएगी, ये कुछ वर्षों तक सोचना मुश्किल था। किसान, गांव के युवा, महिलाएं इतनी आसानी से इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगीं, इस पर भी कुछ लोग सवाल उठाते थे, लेकिन अब सारी स्थितियां बदल गई हैं।
  • आज बिहार की विकास यात्रा का एक और अहम दिन है। अब से कुछ देर पहले बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ाने वाली 9 परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। इन परियोजनाओं के लिए बिहार के लोगों को बहुत बहुत बधाई देता हूं। इन परियोजनाओं में हाइवे को चार लेन और छह लेन का बनाने और नदियों पर तीन बड़े पुलों के निर्माण का काम शामिल है।

 

बिहार की जनता विपक्ष को उचित जवाब देगी

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी का बिहार और पूरे देश में सम्मान है। कल संसद में उनके साथ हुई घटना से अघोषित रूप से बिहार के लोगों को चोट लगी है। बिहार की जनता विपक्ष को उचित जवाब देगी।’

उन्होंने कहा, ‘बिहार में छह पुल प्रधानमंत्री पैकेज का हिस्सा हैं, छह पुल राज्य सरकार बना रही है। इस प्रकार आगे आने वाले दिनों में गंगा नदी पर कुल 17 पुल और 62 लेन की क्षमता बिहार के लोगों को प्राप्त हो जाएगी। हर 25 किमी पर औसतन एक पुल लोगों को मिलेगा।’



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Will Satyameva Jayate 2 CLASH with Salman Khan’s Radhe on Eid 2021? Milap Zaveri BREAKS silence : Bollywood News

Mon Sep 21 , 2020
2 years ago, director Milap Zaveri unleashed his 2.0 avatar with the action thriller Satyameva Jayate, starring John Abraham and Manoj Bajpayee. The film might have been slammed by the high-nosed intellectuals but the masses went crazy over the film, making it one of the biggest hits of 2018. His […]

You May Like