नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
– फोटो : Facebook
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को पटना मेट्रो रेल सहित विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास व कार्य आरंभ किया। नीतीश ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम सात विभागों- पथ निर्माण, जल संसाधन, स्वास्थ्य, नगर विकास एवं आवास, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, सहकारिता एवं पर्यटन विभाग- की कुल 4,733 करोड़ रुपये की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास व कार्य आरंभ किया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना मेट्रो रेल परियोजना का आज कार्य आरंभ किया जा रहा है। इसका शिलान्यास 17 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री जी ने किया था। पटना मेट्रो रेल का निर्माण कार्य दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के द्वारा किया जा रहा है। 13,590 करोड़ रुपये की लागत से इसके दो खंडों का कार्य पांच वर्ष के भीतर पूर्ण हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि अभी मलाही पकड़ी से बस टर्मिनल तक के कार्य की शुरुआत की जा रही है। पटना मेट्रो की शुरुआत होने से शहर के लोगों को काफी सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार द्वारा भी यह कानून समाप्त किया गया है। इससे किसानों को काफी सुविधा होगी।
नीतीश ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2006 में एपीएमसी अधिनियम खत्म किया। उन्होंने कहा कि बिहार में पैक्स के माध्यम अनाज की खरीद व भंडारण किया जाता है। इससे पैक्स की आमदनी बढ़ी है।
नीतीश ने कहा कि वर्ष 2019-20 में 21 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हुई। पैक्स को धान की अधिप्राप्ति के एवज में 141 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 के पूर्व पैक्सों की क्या स्थिति थी, सदस्यता कितनी थी सबको पता है। 2,927 पैक्सों को सहायता दी जा रही है। पैक्स को कृषि यंत्र वितरित किये जा रहे हैं जिसका उपयोग किसान अपने कृषि कार्यों के लिए कर सकेंगे।
नीतीश ने कहा कि कृषि यंत्रों पर 25 प्रतिशत सब्सिडी राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) के माध्यम केंद्र सरकार दे रही है और 25 प्रतिशत सब्सिडी राज्य सरकार दे रही है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कृषि संयंत्र योजना की आज शुरुआत की गयी है। इसमें कृषि कार्यों के यंत्रों के साथ-साथ मौसम के अनुकूल फसल के लिए और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपयोगी यंत्रों को क्रय किया जाना शामिल है। इससे किसानों की लागत घटेगी और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
नीतीश ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध संस्थान भवन का आज शिलान्यास किया गया है। पांच अक्टूबर 2009 को राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में हमने गांगेय डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित करने की मांग की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। गंगा नदी की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए हमलोग कार्य कर रहे हैं। गंगा नदी की स्वच्छता एवं निर्मलता पर ही डॉल्फिन की संख्या निर्भर करती है जैसे की अच्छे जंगल पर बाघों की संख्या निर्भर करती है। राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध भवन का आज शिलान्यास होने से मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रसन्नता हो रही है।