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- China Opposed The Infrastructural Facilities Being Built By India In Ladakh, Saying No Action Should Be Taken Which Increases The Tension
बीजिंगएक घंटा पहले
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इस साल जून में गलवान घाटी में हिंसा के बाद सड़क के रास्ते लद्दाख के फॉरवर्ड पोस्ट तक जाते भारतीय सेना के जवान। सेना ने एलएसी के पास कई अहम सड़कें और ढांचागत सुविधाएं तैयार कर ली है। -फाइल फोटो
- चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा- भारत ने गैर कानूनी ढंग से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया है, चीन इसे मान्यता नहीं देता
- चीन ने कहा- एलएएसी पर लंबे समय से हमारी गतिविधियां जारी हैं, हालांकि, इसमें दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन नहीं होता है
चीन ने मंगलवार को लद्दाख के सीमाई इलाकों में भारत की ओर से मिलिट्री से जुड़ी ढांचागत सुविधाएं बनाने पर ऐतराज जताया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा- भारत ने गैर कानूनी ढंग से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। चीन इसे मान्यता नहीं देता। वह लद्दाख में चीन से सटी ऊंचाई वाले इलाकों में रोड नेटवर्क तैयार कर रहा है।
वेनबिन ने कहा- हम सीमाई इलाकों में मिलिट्री के इस्तेमाल के मकसद से ढांचागत सुविधाएं बनाने का विरोध करते हैं। दोनों देशों के बीच बनी सहमति के मुताबिक, कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे तनाव बढ़े।
एलएसी पर हमारी ओर से ढांचे तैयार करने की खबरें झूठीं: चीन
उन्होंने चीन की ओर से भारत सीमा पर तैयार की जा रही ढांचागत सुविधाओं से जुड़े सवाल पर कहा- कुछ संस्थानों ने ऐसी रिपोर्ट जारी की हैं, जोकि पूरी तरह झूठी हैं। इन्हें गलत मकसद से जारी किया गया है। चीन भारत के साथ हुए समझौतों का कड़ाई से पालन करता है। हम भारत से सटी सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना चाहतें हैं। हालांकि, हम अपनी संप्रभुता और सीमा की रक्षा करने के लिए भी दृढ़ हैं।
‘एलएसी पर चीन की गतिविधियां समझौते के मुताबिक’
वेनबिन ने कहा- लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल ( एलएएसी) पर लंबे समय से चीन की गतिविधियां जारी हैं। हमारे सभी काम दोनों देशों के बीच हुए आपसी समझौते के मुताबिक होते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी ऐसा ही करेगा। भारत को सीमा पर तनाव कम करने के लिए और स्थिति सुधारने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
पूर्वी लद्दाख में पांच महीने से आमने सामने हैं भारत-चीन
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन बीते पांच महीने से आमने-सामने हैं। 21 सितंबर को दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर्स लेवल की बातचीत हुई थी। यह चर्चा करीब 14 घंटों तक चली थी। इसके बाद दोनों देशों ने एक साझा बयान में कहा था कि फ्रंटलाइन पर और ज्यादा सैनिकों को नहीं भेजने का फैसला किया गया है।
इससे पहले 10 सितंबर को रूस की राजधानी मॉस्को में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी।