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- The Election Commission Put Up Hoardings And Said Leave All Your Work, First Let’s Vote
पटना33 मिनट पहले
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पटना के बेली रोड पर लगा पोस्टर।
- होर्डिंग्स पर स्लोगन भी लिखे हुए है- ‘छोड़ें अपने सारे काम, पहले चलो करें मतदान’
- चुनाव आयोग ने कई होर्डिंग्स पर मतदाता हेल्पलाईन नंबर 1950 जारी किया है
चुनाव आयोग के अफसरों ने पहले ही कहा है कि कोरोना काल में बिहार विधानसभा चुनाव कराना उसके लिए चुनौती है। आयोग की ओर से पटना की मुख्य सड़क पर कई सारे होर्डिंग लगाए गए हैं। ये होर्डिंग वोटिंग के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए लगाए गए हैं।
बेली रोड पर पहले इतने सारे होर्डिंग नहीं दिखते थे। सच यह है कि कोरोना की वजह से लोगों में बूथ पर जाने से डर है। सड़क पर जाम लगने, लोगों की आवाजाही बढ़ने और बूथ तक उसी के हिसाब से लोगों के उमड़ने में फर्क है। इसकी आशंका चुनाव आयोग को भी है कि वोटिंग प्रतिशत का हाल कैसा रहेगा? लोकतंत्र का उत्सव इस बार कैसा रहेगा?
पुनाईचक चौराहे के पास तो एक से सटे दूसरे कई होर्डिंग चुनाव आयोग ने लगाए हैं। इन होर्डिंग्स पर स्लोगन भी लिखे हुए है- ‘छोड़ें अपने सारे काम, पहले चलो करें मतदान’। कोई मतदाता न छूटे इस पर फोकस है। दिव्यागों को जागरुक करने के लिए जो होर्डिंग लगे हैं उसमें एक नेत्रहीन व्यक्ति को हाथ पकड़ कर एक महिला बूथ की तरफ ले जा रही है। इसी होर्डिंग में दूसरी तस्वीर है, जिसमें दिव्यांग वोटर को दूसरी महिला व्हील चेयर पर ले जाती हुई दिखती है। बेली रोड पर एक दिव्यांग से हमने कुछ सवाल किए। इस युवक का नाम है विजेंद्र कुमार मेहता। उसने कहा कि हम इस बार भी वोट देने जाएंगे। कोरोना तो कहने के लिए है। बड़े लोग कमाने में लगे हैं और गरीब लाचारी में जी रहा है। वह कहता है कि सिर्फ वोट लेने के लिए होर्डिंग लगाए गए हैं। इससे हमारा क्या भला होगा? हम तो वहीं के वहीं हैं। हम पेट कैसे काट रहे हैं। यह हमारा कलेजा जानता है। इससे किसी को थोड़े ना कोई मतलब है।

विजेंद्र कुमार मेहता।
‘मास्क पहनकर बूथ चलेंगे वोट करेंगे’,‘वोट हमारा अधिकार करें नहीं इसको बेकार’ जैसे कई नारे अलग-अलग होर्डिंग्स पर हैं। ये नारे जमीन पर कितना उतर पाएंगे यह लोगों की बातचीत से भी साफ होता है। पिछले 24 साल से बाइक मैकेनिक का काम कर रहे राजू दो टूक लहजे में कहते हैं कि चुनाव आयोग की होर्डिंग का कोई असर नहीं होगा। मैं तो वोट देने जाऊंगा पर माता-पिता को कैसे भेज सकते हैं। कोरोना का काफी डर है। पिता की उम्र 62 साल है और मां की 55 साल। कोरोना के डर से हम उन्हें जाने से मना करेंगे बाकी उनकी मर्जी। हम जानते हैं कि इंतजाम कितना जमीन पर होता है और कितना कागज पर। हमसे पूछिए तो हम मन से कहते हैं कि इस कोरोना काल में चुनाव ही नहीं होना चाहिए था।
चुनाव आयोग ने कई होर्डिंग्स पर मतदाता हेल्प लाईन नंबर 1950 जारी किया है। बताया गया है किसी को कोई असुविधा वोट देने में ना हो इसके लिए रैम्प व व्हील चेयर, ब्रेल रहित ईवीएम, सांकेतिक भाषा, विशेष स्वयंसेवी, यातायात सुविधा और मतदाता हेल्प लाइन का इंतजाम है। सहज, सुगम, सुरक्षित मतदान का संकल्प चुनाव आयोग की कमोबेश हर होर्डिंग पर दिखता है।
बेली रोड पर पैदल चल रहे मोतीलाल की उम्र 75 साल है। वे चुनाव आयोग की ओर से लगी होर्डिंग को देखते हुए कुछ सोच रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि कोरोना से हमको भी डर लग रहा है, पर बाकी लोग जैसे जाएंगे वोट देने हम भी जाएंगे। लाइन में लगने के नाम से ही डर लग रहा है, पता नहीं कैसे इलेक्शन का डेट रख दिया गया है।

75 साल के मोतीलाल।
संतोष कुमार विक्रम थाना के दतियाना के रहने वाले हैं और किसी काम से पटना आए हुए हैं। पटना में बेली रोड पर ऑटो से उतरे तो हमने बात की। वे कहते हैं कि हम वोट करने जाएंगे। होर्डिंग नहीं भी रहता तो वोट देने जाते ही। मास्क लगाकर वोट देंगे। लेकिन यह भी समझ लीजिए हर आदमी उतना पढ़ा लिखा नहीं है जो होर्डिंग में लिखी बातों को समझ लेगा। कोरोना के डर के बीच लोगों को यह समझाना मुश्किल है कि वोट देने जाना जरूरी है। हर किसी को अपने से ज्यादा परिवार की चिंता है। बाकी चुनाव हो रहा है तो कौन रोकने वाला है? होने दीजिए। होर्डिंग लगने से क्या होगा, वोटिंग परसेंटेज पर तो असर इस बार जरूर पड़ेगा।
कंटेंट: प्रणय प्रियंवद