न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Sat, 10 Oct 2020 08:55 AM IST
महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए का हिस्सा बन गए हैं मुकेश सहनी
– फोटो : PTI
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बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को हराने के लिए विपक्ष ने राष्ट्रीय जनता दल (रादज) के नेतृत्व में महागठबंधन बनाया हुआ है। हालांकि पर्याप्त सीटें न मिलने की वजह से कुछ पार्टियां महागठबंधन से अलग हो गई हैं।
ऐसी ही एक पार्टी है विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) जिसके अध्यक्ष हैं मुकेश सहनी। वे खुद को सन ऑफ मल्लाह कहते हैं। सहनी के एनडीए का हिस्सा बनने पर भाजपा ने उन्हें अपने कोटे की 11 सीटें दी हैं। दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला था और अब वे उसका ही हिस्सा हैं।
सहनी ने भाजपा में आने की वजह बताते हुए कहा, ‘2014 में जब मैं मुंबई से बिहार लौटा तो मैं मोदी जी के लिए वापस आया था। मैंने अमित शाह के साथ मिलकर काम किया, जो तब पार्टी अध्यक्ष थे। मुझे मोदी जी पर भरोसा था। मैंने तब एक सामाजिक संगठन चलाया। 2014 लोकसभा और 2015 के बिहार चुनाव में एनडीए के लिए प्रचार किया। लेकिन तब मुझे इस बात की चिंता थी कि निषाद समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है, इसलिए मैंने पार्टी छोड़ दी।’
यह भी पढ़ें- बिहार में चार धुरंधर दो इंजीनियर, एक डीएसपी, एक क्लर्क… जिंदगी कहां से कहां ले आई
उन्होंने कहा कि मैंने 2018 में एक राजनीतिक पार्टी बनाई और एनडीए के साथ गठबंधन किया। लेकिन एक राजनीतिक पार्टी का काम चुनाव लड़ना है और एनडीए में शामिल होकर मैं चुनाव नहीं लड़ पाया इसलिए मैं महागठबंधन में शामिल हो गया। हालांकि मैं इस फैसले से पूरी तरह खुश नहीं था फिर भी मैंने ऐसा किया। मुझे तेजस्वी यादव ने आश्वासन दिया था कि बिहार विधानसभा में 25 सीटें और उप मुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा। आखिरी समय पर उन्होंने कहा कि वीआईपी को केवल दो सीटें मिलेंगी। तब मैंने महागठबंधन से बाहर जाने का फैसला किया।
सहनी का कहना है कि तेजस्वी ने उनकी पीठ पर छुरा भोंका जबकि अमित शाह ने जख्म पर मरहम लगाया है। यही कारण रहा कि वे दोबारा एनडीए का हिस्सा बन गए हैं। वीआईपी के अध्यक्ष ने तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें पार्टी विरासत में मिली है। उनके पिता लालू प्रसाद यादव बड़े नेता हैं लेकिन उनके पास अनुभव और अनुशासन की कमी है।
बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को हराने के लिए विपक्ष ने राष्ट्रीय जनता दल (रादज) के नेतृत्व में महागठबंधन बनाया हुआ है। हालांकि पर्याप्त सीटें न मिलने की वजह से कुछ पार्टियां महागठबंधन से अलग हो गई हैं।
ऐसी ही एक पार्टी है विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) जिसके अध्यक्ष हैं मुकेश सहनी। वे खुद को सन ऑफ मल्लाह कहते हैं। सहनी के एनडीए का हिस्सा बनने पर भाजपा ने उन्हें अपने कोटे की 11 सीटें दी हैं। दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला था और अब वे उसका ही हिस्सा हैं।
सहनी ने भाजपा में आने की वजह बताते हुए कहा, ‘2014 में जब मैं मुंबई से बिहार लौटा तो मैं मोदी जी के लिए वापस आया था। मैंने अमित शाह के साथ मिलकर काम किया, जो तब पार्टी अध्यक्ष थे। मुझे मोदी जी पर भरोसा था। मैंने तब एक सामाजिक संगठन चलाया। 2014 लोकसभा और 2015 के बिहार चुनाव में एनडीए के लिए प्रचार किया। लेकिन तब मुझे इस बात की चिंता थी कि निषाद समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है, इसलिए मैंने पार्टी छोड़ दी।’
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उन्होंने कहा कि मैंने 2018 में एक राजनीतिक पार्टी बनाई और एनडीए के साथ गठबंधन किया। लेकिन एक राजनीतिक पार्टी का काम चुनाव लड़ना है और एनडीए में शामिल होकर मैं चुनाव नहीं लड़ पाया इसलिए मैं महागठबंधन में शामिल हो गया। हालांकि मैं इस फैसले से पूरी तरह खुश नहीं था फिर भी मैंने ऐसा किया। मुझे तेजस्वी यादव ने आश्वासन दिया था कि बिहार विधानसभा में 25 सीटें और उप मुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा। आखिरी समय पर उन्होंने कहा कि वीआईपी को केवल दो सीटें मिलेंगी। तब मैंने महागठबंधन से बाहर जाने का फैसला किया।
सहनी का कहना है कि तेजस्वी ने उनकी पीठ पर छुरा भोंका जबकि अमित शाह ने जख्म पर मरहम लगाया है। यही कारण रहा कि वे दोबारा एनडीए का हिस्सा बन गए हैं। वीआईपी के अध्यक्ष ने तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें पार्टी विरासत में मिली है। उनके पिता लालू प्रसाद यादव बड़े नेता हैं लेकिन उनके पास अनुभव और अनुशासन की कमी है।
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Sat Oct 10 , 2020
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