फैसलों का साल – year of decision

NBT

इस साल उपभोक्ता अदालतों ने उपभोक्ताओं के हक में कई सारे महत्वपूर्ण फैसले दिए। पेश है, चंद महत्वूपर्ण फैसलों की जानकारी:

– नैशनल कमिशन ने मई महीने में डीएलएफ बनाम निर्मला देवी गुप्ता के मामले में अपना आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि किसी कारणवश कंस्यूमर द्वारा प्लॉट कैंसल करने की स्थिति में बिल्डर कंस्यूमर ने जितना पैसा जमा किया है, उसे पूरा का पूरा जब्त नहीं किया जा सकता। नए रियल एस्टेट बिल में तय किए गए 10% कटौती के नियम से ही पैसा काटा जा सकता है। ऐसा ही निर्णय बाद के शिप्रा एस्टेट लिमिटेड और जय कृष्णा एस्टेट डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम कविता आहूजा के मामले में भी दोहराया गया। इन फैसलों ने यह स्थापित कर दिया है कि रियल एस्टेट पर बने नए कानूनों से कंस्यूमर्स को उपभोक्ता अदालतों में काफी मदद मिलने वाली है।

– यह नियम एकदम स्पष्ट है कि 20 लाख रुपये से ज्यादा राशि के मामले स्टेट कंस्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेशल कमिशन के पास ही जाएंगे, लेकिन कंस्यूमर अक्सर इसे लेकर कंफ्यूज्ड रहते हैं। लोग यह नहीं समझ पाते कि कुल 20 लाख की सीमा में वस्तु या सेवा से जुड़ी राशि ही केवल कोर्ट चुनने का मानदंड होगा या उपभोक्ता द्वारा मांग की गई मुआवज़े और खर्च की राशि भी उसमें जोड़ी जानी चाहिए। इस साल नैशनल कमिशन ने इस कंफ्यूजन को दूर कर दिया। मुनीश मल्होत्रा बनाम एरा लैंडमार्क्स इंडिया लिमिटेड के मामले में यह स्पष्ट किया गया कि अदालत का क्षेत्राधिकार तय करने के लिए वस्तु या ली गई सेवा की कीमत के साथ-साथ मुआवज़े और खर्च के रूप में मांगी गई राशि भी जोड़ी जानी चाहिए। अगर ये मिलाकर 20 लाख से ऊपर का मामला बनता है तो मामला स्टेट कमिशन ले जाना होगा।

– भारतीय जीवन बीमा निगम ने महेशभाई मगनभाई त्रिवेदी को इस आधार पर मुआवजा देने से मना कर दिया कि ऐक्सिडेंट में दोनों टांगों के कट जाने के बाद भी वह कुछ काम कर सकता है इसलिए पूर्ण अपंगता का आधार बनाकर मुआवजा नहीं मांगा जा सकता। नैशनल कंस्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेशल कमिशन ने इसे पूरी तरह से अपंगता मानकर मुआवजा देने का आदेश दिया। जाहिर है, लाखों उपभोक्ताओं के लिए यह बड़ी रहत की बात है।

– नैशनल कमिशन ने इस साल कंस्यूमर्स को चेताया भी है कि अपनी ही गलतियों के कारण वे अदालत में अपना केस मजबूत नहीं कर पाते हैं। दरअसल, एक मामले में सुशीला देवी एन के कुकिंग गैस एजेंसी के विरुद्ध अपना केस इसलिए हार गईं क्योंकि नियम के अनुसार सिलिंडर लगाने का काम एजेंसी के कर्मचारी को ही करना चाहिए। यदि सिलिंडर उपभोक्ता ने खुद से लगाया है तो उसके रिसने का दोष एजेंसी को नहीं माना जा सकता।

– एजुकेशन फील्ड के एक मामले की सुनवाई करते हुए एक कंस्यूमर कोर्ट ने फैसला दिया कि एडमिशन लेने के बाद फीस उसी सूरत में लौटाई जाएगी जब कोर्स शुरू होने से पहले ही कोर्स छोड़ने की सूचना इंस्टिट्यूट को दे दी गई हो। कोर्स बीच में छोड़कर बिना सूचना चले जाने पर आप रिफंड के हकदार नहीं बनते।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

The Complicated History Of Disneyland's Splash Mountain And Song of the South

Mon Jun 15 , 2020
When I’m visiting Disneyland, which attraction is my favorite usually shifts with my mood. But on a hot summer day, that favorite attraction is frequently Splash Mountain. The fourth “mountain” attraction at Disneyland, which also exists at Walt Disney World’s Magic Kingdom and Tokyo Disneyland, is a favorite for a […]