न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 04 Nov 2020 12:59 PM IST

परमेश्वर कुंवर और लहटन चौधरी।
– फोटो : सोशल मीडिया
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बिहार में दूसरे चरण का मतदान हो चुका है और सभी राजनीतिक दल तीसरे चरण के लिए कमर कस चुके हैं। इस दौरान नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, लेकिन बिहार की राजनीति हमेशा से ऐसी नहीं रही। एक वक्त ऐसा भी था, जब नेता भले ही धुर-विरोधी होते थे, लेकिन उनके आपसी प्रेम में कभी कड़वाहट नजर नहीं आती थी। ऐसे ही दो नेता थे लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर, जिनकी राजनीति और व्यवहारिकता की चर्चा बिहार में आज भी होती है।
स्वतंत्रता सेनानी थे ये दोनों नेता
गौरतलब है कि लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर दोनों ही स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी के बाद दोनों के बीच महिषी विधानसभा क्षेत्र में दशकों तक कांटे का मुकाबला चलता रहा। इसके बावजूद उनके बीच का प्रेम कभी कम नहीं हुआ। यहां तक कि दोनों कई बार एक साथ चुनाव प्रचार भी करते नजर आए।
1952 में शुरू हुई थी चुनावी जंग
चुनावी किस्सों के जानकार बताते हैं कि लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर के बीच चुनावी जंग 1952 में शुरू हुई थी, जो कई दशक जारी रही। दरअसल, आजादी के बाद 1952 में सुपौल सीट पर लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर पहली बार चुनाव मैदान में आमने-सामने आए थे, लेकिन पहली बार लहटन चौधरी के हाथ लगी थी।
साल-दर-साल चली कांटे की टक्कर
जानकारों के मुताबिक, 1957 और 1962 में आम चुनाव हुए तो धरहरा सुपौल से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर परमेश्वर कुंवर ने जीत हासिल की। इसके बाद महिषी विधानसभा गठित हुई तो 1967 में भी जीत का सेहरा परमेश्वर कुंवर के सिर ही बंधा। 1969 में लहटन चौधरी ने वापसी की और इसके बाद 1972, 1980 और 1985 में अपने बलबूते कांग्रेस का परचम लगातार लहराया। 1990 में लहटन चौधरी ने राजनीति से संन्यास ले लिया और अपने शिष्य आनंद मोहन को विरासत सौंप दी। लोग बताते हैं कि 1962 के चुनाव परिणाम के बाद लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर के बीच इलेक्शन सूट का मुकदमा चला था। कहा जाता है कि दरभंगा में कोर्ट की कार्रवाई के बाद दोनों नेता एक दूसरे के साथ चाय-नाश्ता करते थे और हंसी-ठहाके लगाते थे।
जब दोनों नेताओं ने एक साथ किया प्रचार
जानकार बताते हैं कि एक बार चुनाव प्रचार के दौरान लहटन चौधरी की गाड़ी खराब हो गई। उसी दिन चंद्रायन में लहटन चौधरी के समर्थन में नारायण मिश्र की सभा थी, जिसमें उनका पहुंचना बेहद जरूरी था। उस दौरान परमेश्वर कुंवर अपने समर्थकों के साथ वहां से गुजर रहे थे। लहटन चौधरी ने परमेश्वर कुंवर से अपनी गाड़ी देने को कहा। बताया जाता है कि परमेश्वर कुंवर ने एक मिनट के लिए भी कुछ नहीं सोचा और कार से अपना झंडा उतारकर गाड़ी लहटन चौधरी को दे दी। कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया तो कुंवर ने उन्हें काफी डांटा था। इसके बाद कई बार ऐसा भी हुआ कि कुंवर पैदल चुनाव प्रचार में थे और लहटन चौधरी से मुलाकात हुई तो उनकी गाड़ी में सवार होकर प्रचार करने लगे। एक बार लहटन चौधरी ने कहा कि लोग हम दोनों को एक साथ देखेंगे तो क्या सोचेंगे? इस पर कुंवर बोले थे कि आप अपने लिए वोट मांगना और हम अपने लिए।