Donald Trump Joe Biden, Supreme Court Update | Here’s US Presidential Election Result 2020 | क्या नतीजों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे पाएंगे ट्रम्प, वहां उनका समर्थन ज्यादा, लेकिन राह आसान नहीं

वॉशिंगटन9 घंटे पहले

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस समेत कुल 9 जज होते हैं। यह संख्या विषम इसलिए रखी गई ताकि अहम मामलों में चीफ जस्टिस का वोट निर्णायक हो सके।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है। जो बाइडेन और डेमोक्रेट पार्टी आगे नजर आ रही है। वहीं, डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी रिपब्लिकन पार्टी भी जीत का दावा ठोक रही है। ट्रम्प ने काउंटिंग में धांधली के आरोप लगाए। गिनती रोकने की मांग की। मिशिगन और जॉर्जिया की निचली अदालतों तक पहुंच गए। लेकिन, फिलहाल काउंटिंग रोकी नहीं गई है। वैसे, चुनाव के पहले ही फ्लोरिडा और पेन्सिलवेनिया की रैली में वे कह चुके थे कि राष्ट्रपति चुनाव का फैसला शायद इस बार सुप्रीम कोर्ट में हो।

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अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ‘कौन बनेगा राष्ट्रपति’ वाले सवाल का जवाब दे पाएगा। या फिर हल लोकतांत्रिक संस्थाओं जैसे सीनेट या हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के जरिए निकलेगा।

पहले कानूनी पहलू समझिए
ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी दो राज्यों में नतीजों को चुनौती दे चुकी है। काउंटिंग रोकने की मांग कर रही है। उसका आरोप है कि जॉर्जिया में 53 पोस्टल बैलट फर्जी थे। ऐसा अन्य राज्यों में भी हुआ होगा। कानून के मुताबिक, जिन राज्यों में केस दायर किए गए हैं, वहां की अदालतें पहले सुनवाई करेंगी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा। यानी हमारे देश जैसी व्यवस्था है।

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लेकिन, इसका असर क्या होगा?
जाहिर तौर पर कानूनी लड़ाई जब तक चलेगी, तब तक राष्ट्रपति का फैसला नहीं हो पाएगा। इसमें कुछ दिन या कुछ हफ्ते लग सकते हैं। लेकिन, इस बात की आशंका बिल्कुल नहीं है कि ये 20 जनवरी या उसके बाद तक लटकेगा।

ट्रम्प सुप्रीम कोर्ट की धमकी क्यों दे रहे है?
कैम्पेन के वक्त से ही ट्रम्प ऐसा कर रहे हैं। ‘द गार्डियन’ के मुताबिक, इसकी एक वजह सुप्रीम कोर्ट में रूढ़िवादी (कंजर्वेटिव) जजों का बहुमत है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 9 जज हैं। 3 की नियुक्ति ट्रम्प के कार्यकाल में हुई। इनमें से एक एमी कोने बैरेट तो चुनाव के महज एक हफ्ते पहले चुनी गईं। साफ तौर पर यहां 6 जज ट्रम्प यानी रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कहा जाता है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के जज कई बार उस पार्टी के समर्थकों की तरह व्यवहार करते हैं जिसने उन्हें कुर्सी तक पहुंचाया है। हालांकि, ऐसा करते हुए भी उन्हें निचली अदालतों के फैसले और राष्ट्रीय कानून को ध्यान में रखना होता है।

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ये नौबत क्यों आई?
इसकी मुख्य वजह तो कोरोनावायरस है। इसकी वजह से राज्यों ने कुछ नियम (कानून नहीं) बनाए या बदले। इनकी वजह से पोस्टल और मेल इन बैलट कई गुना बढ़ गए। ट्रम्प का आरोप है कि इन्हीं वोटों के जरिए धांधली हुई। उन्होंने चुनाव के पहले ही इस तरह की वोटिंग का विरोध किया। ट्रम्प सिर्फ ‘मेन इन पर्सन’ यानी सीधे बूथ जाकर ही वोटिंग चाहते थे। बहरहाल, ट्रम्प की मांग मानी भी नहीं जा सकती और मानी भी नहीं गई। वरना करोड़ों लोग वोटिंग ही नहीं कर पाते।

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कानूनी मामले और धमकी नई बात नहीं
साल 2000 और 2016 में भी कई मामले अदालतों तक पहुंचे पर कुछ हुआ नहीं। रिपब्लिकन्स और डेमोक्रेट्स चुनाव के पहले ही करीब 50 मामले एक-दूसरे पर दायर कर चुके हैं। अगर पेन्सिलवेनिया और जॉर्जिया से तस्वीर साफ नहीं हो पाती तो ट्रम्प या बाइडेन की अपील पर सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है।

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