Bihar Election 2020, Nitish Kumar Wants To Help Voters By Announcing Yogi Opposition And Final Election – बिहार चुनावः योगी का विरोध और अंतिम चुनाव की घोषणा कर वोटरों को साधना चाह रहे नीतीश

नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
– फोटो : Facebook

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बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के पूर्व बुधवार को दो प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के सीएए को लेकर परस्पर विरोधी बयानों ने मीडिया की खूब सुर्खियां बटोरीं। तीसरे चरण का मतदान मुस्लिम और यादव बहुल सीमांचल इलाके में है इसलिए दोनों मुख्यमंत्रियों के बयानों के भी तमाम मतलब निकाले जाने लगे हैं। इसके ठीक बाद गुरुवार को नीतीश कुमार ने उस सभा में अपने अंतिम चुनाव की घोषणा कर दी। हालांकि, इसके ठीक पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लोगों के नाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में एक पत्र जारी किया जिसे राजनीतिक गलियारे में डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। 

दरअसल, बुधवार चार नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोधाभासी बयान दिए। इन जटिल परिस्थितियों के बीच बिहार विधानसभा चुनाव का अंतिम चरण एनडीए के ही घटक दलों के बीच उलझ सा गया है। जाहिर है कि बिहार चुनाव के तीसरे चरण के ठीक पहले पीएम मोदी का बिहार की जनता से आह्वान और सीएम नीतीश कुमार की घोषणा ने सीमांचल और कोसी के लोगों को जदयू और भाजपा के बीच बढ़ी वैचारिक दूरी से भी परिचित कराने वाला है। 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जनसभाओं में हो रहे उनके विरोध से मर्माहत हैं, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की तीखी आलोचनाओं से वे आहत हैं और महागठबंधन के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की शालीन प्रतिक्रियाओं और उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ से वो चिंतित हैं।

इन सबके बीच योगी आदित्यनाथ का घुसपैठियों को लेकर बयान नागवार गुजरा और अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर सजग रहने वाले नीतीश कुमार ने उसी दिन चुनावी सभा में अपना पक्ष रखा और योगी आदित्यनाथ से अलग अपनी बात रखी। इन विकट परिस्थितियों के बीच फंसे एनडीए घटक दल के नेता नीतीश कुमार महागठबंधन का गढ़ माने जाने वाले सीमांचल, कोसी और मिथिला के मतदाताओं को एक रणनीति के तहत भावुक संदेश देकर अपने पक्ष में गोलबंद करने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है।    

गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णियां के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में अपनी सभा के दौरान कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव है, अंत भला तो सब भला। इसके ठीक पूर्व उसी दिन पीएम का एक पत्र बिहारवासियों के नाम जारी हुआ जिसमे प्रधानमंत्री ने कहा कि वे बतौर मुख्यमंत्री वे नीतीश कुमार को ही देखना पसंद करेंगे। लोग प्रधानमंत्री के पत्र को एनडीए के दो बड़े दलों के बीच बढ़ती दूरी को कम करने वाले एक डैमेज कंट्रोल कैप्सूल की तरह देख रहे हैं।    

मुख्यमंत्री के बयान के बाद पार्टी के लगभग सभी प्रदेश प्रवक्ता हरकत में आ गए। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद का मानना है कि नीतीश कुमार और राज्य के अन्य नेताओं में वही फर्क है जो किसी नेता और राजनेता (स्टेट्समैन) के बीच होता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक बिहार को विकसित राज्य बनाने का जो संकल्प है उसको पूरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने चुनाव नहीं लड़ने के संबंध में संकेत दिए हैं। यह कहकर उन्होंने बिहार के चुनावी परिदृश्य को एक नई दिशा दी है। जहां छोटे- छोटे समझौते के जरिए लोग कुछ भी हासिल करने के लिए बेचैन हैं वहां उन्होंने इस तरह का ऐलान किया है।

वहीं पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता सुहैली मेहता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी भावना को व्यक्त किया है। बिहार की जनता और पार्टी के कार्यकर्ता नहीं चाहेंगे की वो चुनाव को छोड़ें. हम सभी चाहेंगे कि वो बिहार की सेवा करते रहें। हमें गर्व है कि राजनीति में उन्होंने नया इतिहास गढ़ा है। पूरे देश में बिरले ऐसे राजनीतिक सुचिता वाले उदहारण मिलते हैं जो यह कहे कि यह मेरा अंतिम चुनाव है।

हम सभी कार्यकर्ता चाहेंगे कि वो बिहार की सेवा करते रहें। वहीं प्रवक्ता प्रगति मेहता ने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने का आशय यही था कि यह अंतिम चुनावी सभा है और अंत भला तो सब भला। वे न थके हैं और न ही रुकने वाले हैं।

वहीं राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि पिछले 15 साल उन्होंने क्या किया है। नीतीश कुमार अब तक सीएए आदि मुद्दों पर मौन रहे हैं। योगी जी का क्या है वह तो उनके एजेंडे में ही है। अंतिम

समय में नीतीश कुमार को लग रहा है कि शायद अंतिम समय में ऐसा बोलने से उन्हें कुछ लाभ हो सकता है। वे समझ चुके हैं कि अब सब कुछ उनके हाथों से निकल चुका है। वे जमीनी हकीकत जानकर हताश हो चुके हैं। इसलिए ऐसी घोषणा की है। कांग्रेस के पूर्व विधायक हरखू झा ने कहा कि मुख्यमंत्री को हार नजर आ रही है।             

दोनों गठबंधनों की बयानी खींचातानी के बीच विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय लोगों और ट्रेंड को देखें तो पहले चरण के मतदान में महागठबंधन की बढ़त है तो दूसरे चरण में एनडीए आगे है। ऐसे में तीसरे और अंतिम चरण का मतदान दोनों गठबंधनों के लिए निर्णायक है।

जाहिर है जिसकी बढ़त होगी सरकार उसी की बनेगी। इस परिपेक्ष्य में चुनाव के अंतिम दिनों योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार के विरोधाभासी बयान, प्रधानमंत्री की चिट्ठी और मुख्यमंत्री नीतीश की घोषणा ये सब कहीं न कहीं सीमांचल- कोसी के चुनाव को प्रभावित करने के लिए ही दिए गए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के पूर्व बुधवार को दो प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के सीएए को लेकर परस्पर विरोधी बयानों ने मीडिया की खूब सुर्खियां बटोरीं। तीसरे चरण का मतदान मुस्लिम और यादव बहुल सीमांचल इलाके में है इसलिए दोनों मुख्यमंत्रियों के बयानों के भी तमाम मतलब निकाले जाने लगे हैं। इसके ठीक बाद गुरुवार को नीतीश कुमार ने उस सभा में अपने अंतिम चुनाव की घोषणा कर दी। हालांकि, इसके ठीक पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लोगों के नाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में एक पत्र जारी किया जिसे राजनीतिक गलियारे में डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। 

दरअसल, बुधवार चार नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोधाभासी बयान दिए। इन जटिल परिस्थितियों के बीच बिहार विधानसभा चुनाव का अंतिम चरण एनडीए के ही घटक दलों के बीच उलझ सा गया है। जाहिर है कि बिहार चुनाव के तीसरे चरण के ठीक पहले पीएम मोदी का बिहार की जनता से आह्वान और सीएम नीतीश कुमार की घोषणा ने सीमांचल और कोसी के लोगों को जदयू और भाजपा के बीच बढ़ी वैचारिक दूरी से भी परिचित कराने वाला है। 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जनसभाओं में हो रहे उनके विरोध से मर्माहत हैं, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की तीखी आलोचनाओं से वे आहत हैं और महागठबंधन के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की शालीन प्रतिक्रियाओं और उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ से वो चिंतित हैं।

इन सबके बीच योगी आदित्यनाथ का घुसपैठियों को लेकर बयान नागवार गुजरा और अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर सजग रहने वाले नीतीश कुमार ने उसी दिन चुनावी सभा में अपना पक्ष रखा और योगी आदित्यनाथ से अलग अपनी बात रखी। इन विकट परिस्थितियों के बीच फंसे एनडीए घटक दल के नेता नीतीश कुमार महागठबंधन का गढ़ माने जाने वाले सीमांचल, कोसी और मिथिला के मतदाताओं को एक रणनीति के तहत भावुक संदेश देकर अपने पक्ष में गोलबंद करने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है।    


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