न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Sun, 08 Nov 2020 12:52 AM IST
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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए मतदान हो चुका है। अब नतीजों के लिए 10 नवंबर का इंतजार है। मतदाताओं से लेकर राजनीतिक पार्टियों और नेताओं तक की नजर फिलहाल नतीजों से पहले आने वाले रुझानों यानी कि एग्जिट पोल पर है। माना जाता है कि ये एग्जिट पोल, सीटों का पलड़ा किस ओर झुक रहा है, इसे बताने में कुछ हद तक कामयाब रहते हैं।
कैसे होता है एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल हमेशा मतदान वाले दिन ही होता है। बूथ पर वोट डालने के बाद मतदाता जब बाहर निकलता है, तो उससे कुछ सवाल पूछे जाते हैं और मतदाता के मिजाज को टटोलने की कोशिश की जाती है। जिससे ये पता लग सके कि वोटर किस दल को या किस प्रत्याशी को अपना कीमती वोट देकर आ रहा है।
वोटिंग के दिन जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण कर चुनाव के आखिरी दिन शाम को एग्जिट पोल दिखाया जाता है। लेकिन जब मतदान कई चरणों में हो, जैसा कि बिहार विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में मतदान हुआ है, तो आखिरी दौर के बाद ही एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं।
चुनाव खत्म होने के बाद ही क्यों दिखाया जाता है एग्जिट पोल?
यह एक बड़ा सवाल है कि चुनाव खत्म होने के बाद ही एग्जिट पोल क्यों दिखाया जाता है तो इसकी वजह यह है कि पहले एग्जिट पोल दिखाए जाने से मतदाताओं के ऊपर मानसिक दबाव बन सकता है। मतदाताओं के उपर किसी भी तरह का मनसिक दबाव नहीं बन पाए इसलिए एग्जिट पोल मतदान के बाद ही दिखाया जाता है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के मुताबिक मतदान के दौरान ऐसी कोई भी चीज नहीं होनी चाहिए जो वोटरों पर मनोविज्ञानिक असर डाले या उनके वोट देने कि फैसले को प्रभावित करे। ये तभी प्रसारित होता है जब सभी दौर का मतदान संपन्न हो चुका होता है।
कब शुरु हुआ एग्जिट पोल?
माना जाता है कि एग्जिट पोल की शुरुआत साल 1967 में हुई थी। नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनीतिज्ञ मार्सेल वान डेन ने अपने देश के चुनाव के दौरान एग्जिट पोल किया था। हालांकि ये भी कहा जाता है इसी साल अमेरिका में एक राज्य के चुनाव के दौरान पहली बार एग्जिट पोल किया गया था।
क्या हमेशा सच होते हैं एग्जिट पोल?
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सही साबित होते हैं। कई बार ये गलत भी हुए हैं। जिसकी एक मुख्य वजह है, वोटिंग के दिन इकट्ठा किया जाने वाला डाटा। मतदान के दिन जब कोई एक वोटर से बात कर रहा होता है, उस बीच कई वोटरों की राय शामिल नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से कई बार एग्जिट पोल गलत साबित भी होते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए मतदान हो चुका है। अब नतीजों के लिए 10 नवंबर का इंतजार है। मतदाताओं से लेकर राजनीतिक पार्टियों और नेताओं तक की नजर फिलहाल नतीजों से पहले आने वाले रुझानों यानी कि एग्जिट पोल पर है। माना जाता है कि ये एग्जिट पोल, सीटों का पलड़ा किस ओर झुक रहा है, इसे बताने में कुछ हद तक कामयाब रहते हैं।
कैसे होता है एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल हमेशा मतदान वाले दिन ही होता है। बूथ पर वोट डालने के बाद मतदाता जब बाहर निकलता है, तो उससे कुछ सवाल पूछे जाते हैं और मतदाता के मिजाज को टटोलने की कोशिश की जाती है। जिससे ये पता लग सके कि वोटर किस दल को या किस प्रत्याशी को अपना कीमती वोट देकर आ रहा है।
वोटिंग के दिन जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण कर चुनाव के आखिरी दिन शाम को एग्जिट पोल दिखाया जाता है। लेकिन जब मतदान कई चरणों में हो, जैसा कि बिहार विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में मतदान हुआ है, तो आखिरी दौर के बाद ही एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं।
चुनाव खत्म होने के बाद ही क्यों दिखाया जाता है एग्जिट पोल?
यह एक बड़ा सवाल है कि चुनाव खत्म होने के बाद ही एग्जिट पोल क्यों दिखाया जाता है तो इसकी वजह यह है कि पहले एग्जिट पोल दिखाए जाने से मतदाताओं के ऊपर मानसिक दबाव बन सकता है। मतदाताओं के उपर किसी भी तरह का मनसिक दबाव नहीं बन पाए इसलिए एग्जिट पोल मतदान के बाद ही दिखाया जाता है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के मुताबिक मतदान के दौरान ऐसी कोई भी चीज नहीं होनी चाहिए जो वोटरों पर मनोविज्ञानिक असर डाले या उनके वोट देने कि फैसले को प्रभावित करे। ये तभी प्रसारित होता है जब सभी दौर का मतदान संपन्न हो चुका होता है।
कब शुरु हुआ एग्जिट पोल?
माना जाता है कि एग्जिट पोल की शुरुआत साल 1967 में हुई थी। नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनीतिज्ञ मार्सेल वान डेन ने अपने देश के चुनाव के दौरान एग्जिट पोल किया था। हालांकि ये भी कहा जाता है इसी साल अमेरिका में एक राज्य के चुनाव के दौरान पहली बार एग्जिट पोल किया गया था।
क्या हमेशा सच होते हैं एग्जिट पोल?
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सही साबित होते हैं। कई बार ये गलत भी हुए हैं। जिसकी एक मुख्य वजह है, वोटिंग के दिन इकट्ठा किया जाने वाला डाटा। मतदान के दिन जब कोई एक वोटर से बात कर रहा होता है, उस बीच कई वोटरों की राय शामिल नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से कई बार एग्जिट पोल गलत साबित भी होते हैं।
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Sun Nov 8 , 2020
There is no challenging the saying ‘Punctuality always pays’. And, who better than Akshay Kumar can be a gleaming example of what magic punctuality can do in an individual’s life. Besides being known for doing varied roles, Akshay Kumar is equally known for his punctuality and discipline. As per Bollywood […]