अय्याश युवक ने भतीजी को अगवा करने की रची साजिश, ऐसे पकड़े गए आरोपी

नई दिल्ली। जुए और अय्याशी में अपना सब कुछ गंवाने वाले एक युवक ने अपने ही भाई की बच्ची को अगवा करने की साजिश रच दी। उसे 37 लाख रुपये की सख्त जरूरत थी। वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी ने दो दोस्तों को भेज दिया। लेकिन आरोपी की भाभी की बहादुरी और पड़ोसियों की मदद से बदमाश बच्ची को अगवा नहीं कर पाए। बदमाशों को मौके पर ही अपनी बाइक व पिस्टल वाला बैग छोड़कर भागना पड़ा। शकरपुर थाना पुलिस ने बाइक बाइक की मदद से पूरी वारदात को सुलझा लिया। पुलिस इस संबंध में बच्ची के चाचा उपेंद्र उर्फ बिट्टू (27) और उसके दोस्त धीरज (26) को गिरफ्तार कर लिया है। उपेंद्र अपने भाई की बेटी को अगवा कर उससे 40 से 50 लाख रुपये फिरौती मांगने की फिराक में था। पुलिस को मामले में बेहराइच के रहने वाले दो युवकों की तलाश है।

जिला पुलिस उपायुक्त जसमीत सिहं ने बताया कि मंगलवार शाम को शकरपुर के सुंदरम ब्लॉक में पुलिस को एक बच्ची के अगवा होने के प्रयास की सूचना मिली थी। पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां आरोपियों की एक बाइक व बैग बरामद हुआ। बैग में एक पिस्टल व तीन कारतूस भी मिले। वारदात पास में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई। चार साल की बच्ची की मां ने बताया कि दो युवकों ने पानी मांगने के बहाने उसका दरवाजा खुलवाया। जैसे ही वह पानी लेने अंदर जाने लगी ‌इसी दौरान बदमाश गेट पर खेल रही उसकी बच्ची को उठाकर ले जाने लगे। महिला फौरन बदमाशों से भिड़ गई और शोर मचा दिया। पड़ोसी भी मदद को आ गए। बदमाश बाइक से खाली हाथ भागने लगे तो एक पड़ोसी ने स्कूटी अड़ा दी। बदमाशों ने पिस्टल निकाल ली और मौके पर एक बैग व बाइक छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज व बाइक से मामले की जांच की।

ऐसे पकड़े गए आरोपी

शकरपुर पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। बाइक पर फर्जी नंबर प्लेट मिली। पुलिस ने बाइक के असली रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच की तो पता चला कि बाइक किसी धीरज नामक युवक के नाम पर है। पुलिस न्यू गोविंदपुरा उसके घर पहुंची तो पता चला कि वह पांच साल पहले ही अपना किराए का मकान खाली कर चला गया है। पुलिस ने जांच के बाद उसे कृष्णा नगर से ढूंढ निकाला। उसने वारदात में अपना हाथ होने की बात कबूल कर ली। धीरज ने बताया कि बच्ची को अगवा करने की साजिश उसके चाचा ने रची थी। पुलिस ने धीरज से पूछताछ के बाद उसके चाचा उपेंद्र उर्फ बिट्टू को भी कृष्णा नगर से दबोच लिया।

उपेंद्र के पिता ने बच्चे के पिता तरुण गुप्ता को लिया था गोद

उपेंद्र के पिता नरेंद्र गुप्ता बड़े कारोबारी थी। शुरूआत में उन्होंने तरुण को गोद लिया था। बाद में उनके अपने भी बच्चे हो गए। नरेंद्र की मौत के बाद उनकी प्रॉपर्टी बच्चों में बंट गई। अपने हिस्से की दौलत उपेंद्र ने जुए, सट्टे और अय्याशी में उड़ा दी। अब उस पर 37 लाख रुपये कर्जा हो गया। बच्चे के पिता तरुण का गारमेंट का अच्छा काम था। उपेंद्र को लगा कि वह तरुण की बच्ची को अगवा कर उससे 40 से 50 लाख रुपये की फिरौती मांग सकता है। इसके लिए उसने धीरज से बातचीत कर योजना बनाई। उपेंद्र ने बेहराइच के रहने वाले दो दोस्तों को मोटी रकम देने का वादा कर वारदात को अंजाम देने के लिए राजी किया। वारदात में धीरज की बाइक फर्जी नंबर प्लेट लगाकर इस्तेमाल करने के लिए कहा गया। योजना के तहत बेहराइच के दोनों युवक बच्ची को अगवा करने पहुंचे, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। पुलिस दोनों आरोपियों की तलाश कर रही है।

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