India captain Virat Kohli feels, Sachin Tendulkar and a tip from head coach Ravi Shastri to stand outside the crease helped me to become a good test batsmen | भारतीय कप्तान ने कहा- कोच शास्त्री की क्रीज से बाहर खड़े होकर खेलने की सलाह और सचिन की छोटी सी टिप्स ने मेरी बल्लेबाजी बदल दी

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16 मिनट पहले

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भारतीय कप्तान विराट कोहली ने बताया कि कोच रवि शास्त्री के इस सुझाव पर मैंने उसी साल से अमल करना शुरू किया और इसके नतीजे चौंकाने वाले थे। -फाइल

  • विराट कोहली ने कहा- 2014 के इंग्लैंड दौरे से लौटने के बाद सचिन तेंदुलकर ने मुझे कूल्हे की पोजिशन ठीक रखने की सलाह दी थी
  • कोहली के मुताबिक, सचिन की सलाह पर अमल करने के बाद उन्होंने उसी साल ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 4 शतक लगाए थे
  • भारतीय कप्तान अपनी बल्लेबाजी में आए सुधार का श्रेय पूर्व कोच डंकन फ्लेचर को भी देते हैं

भारतीय कप्तान विराट कोहली ने बेहतर टेस्ट बल्लेबाज बनने के पीछे किसका हाथ है, यह खुलासा किया। उनका मानना है कि 2014 में इंग्लैंड के निराशाजनक दौरे के बाद सचिन तेंदुलकर की तेज गेंदबाजों के खिलाफ ‘फॉरवर्ड प्रेस’ (आगे झुककर खेलना) और कोच रवि शास्त्री की क्रीज के बाहर खड़े होने की सलाह के कारण वे बेहतर टेस्ट बल्लेबाज बन पाए।

कोहली के लिए 2014 का इंग्लैंड दौरा बहुत बुरा साबित हुआ था। वे लगातार 10 पारियों में नाकाम रहे थे। तब कोहली ने 23.4 की औसत से सिर्फ 134 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने दो फिफ्टी लगाई थी।  

मेरे करियर में 2014 का इंग्लैंड दौरा मील का पत्थर साबित हुआ: कोहली
भारतीय बल्लेबाज मयंक अग्रवाल से बीसीसीआई टीवी पर बातचीत करते हुए कोहली ने इंग्लैंड दौरे के बाद अपनी तकनीक में आए बदलाव का खुलासा किया। कोहली ने शो में मयंक से कहा कि 2014 का दौरा मेरे करियर में मील का पत्थर साबित हुआ। काफी लोग अच्छे दौरों को अपने करियर में मील का पत्थर मानते हैं, लेकिन मेरे लिए 2014 का इंग्लैंड दौरा मील का पत्थर रहेगा। 

‘सचिन ने चौड़े स्टांस की अहमित समझाई’
कोहली ने कहा कि मैं इंग्लैंड से लौटा और मैंने सचिन पाजी से बात की और मुंबई में उनके साथ नेट्स पर बल्लेबाजी की। मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने कूल्हे की पोजिशन पर काम कर रहा हूं। उन्होंने मुझे तेज गेंदबाजों के खिलाफ ‘फॉरवर्ड प्रेस’ की अहमियत के बारे में बताया। 

सचिन-शास्त्री की सलाह पर अमल करने से बल्लेबाजी सुधरी

कोहली ने कहा कि मैंने जैसे ही अपनी हिप पोजिशन को ठीक रखना शुरू किया, तो बल्लेबाजी में भी सुधार आने लगा। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरा हुआ और सचिन और शास्त्री की सलाह पर अमल करने के बाद मैंने उसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 शतक लगाकर शानदार वापसी की थी। तब मैंने 86.5 की औसत से 692 रन बनाए थे। 

हिप पोजिशन पर किया काम
उन्होंने इस शो में बताया कि 2014 के इंग्लैंड दौरे पर क्या गलत हुआ था और उन्हें कैसे इसका अहसास हुआ। विराट ने कहा कि इंग्लैंड दौरे के दौरान मेरी कूल्हे की पोजिशन बड़ा मुद्दा थी। इंग्लिश कंडीशंस के हिसाब से मैं तालमेल नहीं बैठा पा रहा था। मैं बहुत ज्यादा कोशिश कर रहा था। इससे नतीजे नहीं मिले। मेरे लिए यह काफी लंबा और दर्दनाक रहा। 

रवि शास्त्री के सुझाव पर बदला स्टांस
कोहली ने बताया कि 2014 के इंग्लैंड दौरे में नाकामी के बाद मैंने तकनीक बदली, इससे स्टांस में भी बदलाव आया। वे इसका श्रेय कोच रवि शास्त्री को देते हैं। शास्त्री 2014-15 में टीम के डायरेक्टर थे। उनके सुझाव के बाद 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सबकुछ बदल गया। 

शास्त्री के सुझाव से बल्लेबाजी में बदलाव आया

कोहली ने कहा कि उन्होंने (शास्त्री) मुझे क्रीज के थोड़ा बाहर खड़े होने की सलाह दी। इसके पीछे की मानसिकता के बारे में भी उन्होंने मुझे बताया। शास्त्री का कहना था कि आप जिस जगह खड़े होकर खेल रहे हैं, उस पर आपका पूरा नियंत्रण होना चाहिए और किसी भी सूरत में बॉलर को विकेट लेने का मौका नहीं देना चाहिए। 

कोहली अपने खेल के लिए कितने समर्पित है, इस शो में इससे जुड़ा एक किस्सा और सामने आया। कोहली ने हंसते हुए बताया कि शास्त्री भाई ने मुझसे एक बार पूछा कि क्या मैं शॉर्ट बॉल से डरता हूं, तो मैंने कहा कि मैं चोटिल होने से डरता नहीं हूं, लेकिन मैं आउट होना नहीं चाहता हूं। 

कोहली ने पूर्व कोच फ्लेचर को भी बेहतर बल्लेबाज बनाने का श्रेय दिया 
भारतीय कप्तान ने बताया कि शास्त्री के इस सुझाव पर मैंने उसी साल से अमल करना शुरू कर दिया और इसके नतीजे चौंकाने वाले थे। कोहली ने अपनी बल्लेबाजी में आए सुधार का श्रेय पूर्व कोच डंकन फ्लेचर को भी दिया। उन्होंने कहा कि फ्लेचर को बल्लेबाजी के बारे में काफी जानकारी है। 

कोहली ने कहा कि मैंने डंकन से बातचीत के बाद ही अपने स्टांस को बड़ा किया। उन्होंने मुझसे एक ही सवाल पूछा कि क्या मैं चौड़े स्टांस से शॉर्ट बॉल को खेल पाऊंगा, तो मैंने कहा कि हां, मैं ऐसा कर सकता हूं। 

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