अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर।
Updated Tue, 28 Jul 2020 05:17 PM IST
परवेज परवाज। (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला।
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गोरखपुर में महमूद उर्फ जुम्मन बाबा व परवेज परवाज पर दुष्कर्म करने का आरोप सिद्ध हो गया है। ऐसे में जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोविंद बल्लभ शर्मा ने इन्हें कठोर आजीवन कारावास एवं 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
ये वहीं परवेज परवाज हैं, जिसने 2007 में दंगों को लेकर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ पर केस दर्ज कराया था। गौरतलब है कि राजघाट थाना क्षेत्र के तुर्कमानपुर मुहल्ला निवासी अभियुक्त महमूद उर्फ जुम्मन बाबा व परवेज परवाज दो साल से जेल में बंद थे।
अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता यशपाल सिंह का कहना था कि वादिनि ने थाना राजघाट में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने तहरीर में लिखा था कि ‘वह अपने पति से अलग रहती है। वह झाड़-फूंक के लिए मगहर मजार जाती थी जहां उसे महमूद उर्फ जुम्मन बाबा मिले। उन्होंने कई दरगाहों पर झाड़ फूंक की जिससे मुझे राहत मिली। तीन जून 2018 को उन्होंने रात 10.30 बजे पांडेयहाता के पास दुआ करने के बहाने बुलाया और एक सुनसान स्थान पर ले गए। वहां उन्होंने और उनके साथ मौजूद एक शख्स ने बलात्कार किया। उस शख्स को जुम्मन, परवेज भाई बोल रहे थे। घटना के बाद हमने मोबाइल से 100 नंबर पर फोन किया, तब पुलिस आई और हमें साथ ले गई।’
गौरतलब है कि परवेज परवाज और असद हयात ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (घटना के समय गोरखपुर के सांसद) पर 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर रेलवे स्टेशन गेट के सामने हेट स्पीच देने और उसके कारण गोरखपुर व आस-पास के जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा होने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में अदालत से हेट स्पीच और उसके कारण हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। बाद में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रमुख सचिव (गृह) ने मई, 2017 में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुकदमे से इनकार के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी।
गोरखपुर में महमूद उर्फ जुम्मन बाबा व परवेज परवाज पर दुष्कर्म करने का आरोप सिद्ध हो गया है। ऐसे में जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोविंद बल्लभ शर्मा ने इन्हें कठोर आजीवन कारावास एवं 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
ये वहीं परवेज परवाज हैं, जिसने 2007 में दंगों को लेकर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ पर केस दर्ज कराया था। गौरतलब है कि राजघाट थाना क्षेत्र के तुर्कमानपुर मुहल्ला निवासी अभियुक्त महमूद उर्फ जुम्मन बाबा व परवेज परवाज दो साल से जेल में बंद थे।
अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता यशपाल सिंह का कहना था कि वादिनि ने थाना राजघाट में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने तहरीर में लिखा था कि ‘वह अपने पति से अलग रहती है। वह झाड़-फूंक के लिए मगहर मजार जाती थी जहां उसे महमूद उर्फ जुम्मन बाबा मिले। उन्होंने कई दरगाहों पर झाड़ फूंक की जिससे मुझे राहत मिली। तीन जून 2018 को उन्होंने रात 10.30 बजे पांडेयहाता के पास दुआ करने के बहाने बुलाया और एक सुनसान स्थान पर ले गए। वहां उन्होंने और उनके साथ मौजूद एक शख्स ने बलात्कार किया। उस शख्स को जुम्मन, परवेज भाई बोल रहे थे। घटना के बाद हमने मोबाइल से 100 नंबर पर फोन किया, तब पुलिस आई और हमें साथ ले गई।’
गौरतलब है कि परवेज परवाज और असद हयात ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (घटना के समय गोरखपुर के सांसद) पर 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर रेलवे स्टेशन गेट के सामने हेट स्पीच देने और उसके कारण गोरखपुर व आस-पास के जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा होने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में अदालत से हेट स्पीच और उसके कारण हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। बाद में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रमुख सचिव (गृह) ने मई, 2017 में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुकदमे से इनकार के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी।
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Tue Jul 28 , 2020
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