IPL 2020 UAE Title Sponsorship List Patanjali Ayurved | Tata, Dream-11, Unacademy In The Race For Indian Premier League, Replacing Chinese Mobile Phone Company Vivo | देसी कंपनी ड्रीम-11 भी टाइटल स्पॉन्सरशिप की दौड़ में, लेकिन कंपनी में चीनी कंपनी का भी पैसा लगा

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9 घंटे पहले

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आईपीएल इस बार यूएई में 19 सितंबर से 10 नवंबर तक होगा। बीसीसीआई ने सभी टीमों को 20 अगस्त के बाद यूएई जाने की मंजूरी दी है। -फाइल फोटो

  • ड्रीम-11 में 4 इन्वेस्टर्स के 750 करोड़ रुपए लगे हुए, इनमें चीन और हॉन्ग कॉन्ग की 1-1 कंपनी भी
  • टाइटल स्पॉन्सरशिप की रेस में पतंजलि के बाद टाटा स्टील, अनअकेडमी, बायजू और अमेजन भी शामिल

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के नए टाइटल स्पॉन्सरशिप की दौड़ में पंतजलि के बाद ड्रीम-11, टाटा स्टील और एजुकेशनल टेक कंपनी अनअकेडमी भी शामिल हो गई हैं। चीन के साथ तनाव के कारण देशभर में चीनी कंपनियों का बायकॉट किया जा रहा है। इसी के चलते हाल ही में आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को हटाया था। साथ ही बोर्ड ने नए स्पॉन्सरशिप के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 14 अगस्त तय की थी।

हालांकि, गौर करने वाली बात यह भी है कि ड्रीम-11 में भी चीन की एक कंपनी का पैसा लगा हुआ है। ड्रीम-11 में 4 इन्वेस्टर्स के 750 करोड़ रुपए लगे हुए हैं। इनमें चीन की टेनसेंट होल्डिंग्स और हॉन्ग कॉन्ग की स्टीडव्यू कैपिटल्स कंपनी भी शामिल है।

बायजू और अमेजन भी इस रेस में शामिल
एजुकेशनल फर्म बायजू और अमेजन भी स्पॉन्सरशिप की रेस में शामिल हो चुकी हैं। हालांकि, अभी इस पर आधिकारिक स्टेटमेंट नहीं जारी किया गया है। बायजू भारतीय क्रिकेट टीम को स्पांसर करती है। वहीं अनअकेडमी अभी आईपीएल में सेंट्रल स्पॉन्सरशिप पूल का हिस्सा है। जो 2023 तक रहेगी। इसमें ड्रीम-11 और पेटीएम जैसी देसी कंपनियां भी शामिल हैं।

सेंट्रल और टाइटल स्पॉन्सरशिप में अंतर
आईपीएल के सेंट्रल स्पॉन्सरशिप में देसी कंपनियों का ही बोलबाला है। सेंट्रल और टाइटल स्पॉन्सरशिप दोनों के अधिकार अलग-अलग हैं। आईपीएल में सेंट्रल स्पॉन्सरशिप के तहत जर्सी के अधिकार नहीं आते हैं। यानि जर्सी पर छपे लोगो पर केवल टाइटल स्पॉन्सरशिप का ही अधिकार होता है। साथ ही कंपनी को अपने ब्रांडिंग के लिए मैच के बाद का प्रजंटेशन एरिया, डग आउट में बैकड्रॉप और बाउंड्री रोप जैसे बढ़िया स्पेस मिलते हैं। टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से ज्यादा पैसा देना होता है।

वीवो कंपनी हर साल 440 करोड़ रुपए देती थी
वीवो का आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 2190 करोड़ रुपए के साथ 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। कंपनी सालाना 440 करोड़ रुपए देती थी। यह कॉन्ट्रैक्ट 2018 से 2022 तक का था। बीसीसीआई सूत्रों की मानें तो वीवो के साथ एक साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया है। यह 2021 से 2023 तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।

बोर्ड ने टाइटल स्पॉन्सरशिप की रकम 100 करोड़ रुपए कम की
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भारतीय मूल की कंपनियों को लुभाने के लिए स्पॉन्सरशिप की रकम को पहले की तुलना में कम कर दिया है। पहले यह रकम 440 करोड़ रुपए सालाना थी, लेकिन बोर्ड ने इसको अब 300 से 350 करोड़ रुपए सालाना कर दिया है।

आरएसएस समेत कई संगठनों ने आईपीएल के बायकॉट किया था
चीन के साथ गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद चीनी सामानों और कंपनियों के खिलाफ देशभर में आवाजें उठने लगी थीं। बीसीसीआई पर भी चीनी कंपनियों को स्पॉन्सरशिप से हटाने का दबाव था। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) समेत कई संगठनों ने भी वीवो से करार जारी रखने पर आईपीएल के बायकॉट की बात कही थी। इस दबाव के कारण वीवो को हटाया गया।

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