Supreme Court Verdict On 31 August On Prashant Bhushan Contempt Case – प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट 31 अगस्त को फैसला सुनाएगा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 29 Aug 2020 07:16 PM IST

प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
– फोटो : social media

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वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले सुप्रीम कोर्ट 31 अगस्त यानी सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय मांगी थी। जिस पर वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए। 

इससे पहले प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया था। बता दें कि अदालत की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।
 

25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट 25 अगस्त को वकील प्रशांत भूषण से उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर माफी मंगवाने में सफल नहीं हो सका था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अवमानना में दोषी ठहराए गए भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अफसोस जताया कि जजों की निंदा की जाती है। उनके परिवारवालों को अपमानित किया जाता है और वह बोल तक नहीं सकते।

प्रशांत भूषण अपने बयान पर अड़े रहे
वहीं, भूषण इस बात पर अड़े रहे कि उनके द्वारा की गई टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला नहीं था। भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि अदालत को घोर आलोचना का सामना करने के लिए बड़ा दिल दिखाना चाहिए। अदालत को स्टेट्समैनशिप का परिचय देते हुए बिना किसी दंड या चेतावनी या वकालत पर पाबंदी लगाए, इस मामले को खत्म कर देना चाहिए। भविष्य में थोड़ा संयमित रहने के सामान्य संदेश देकर इस मामले को विराम दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम के खिलाफ पूर्व जजों के बयान भी उपलब्ध
25 अगस्त को सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा था कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल को सुझाव देने के लिए कहा। जिस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था, मेरे पास पूर्व जजों द्वारा सुप्रीम के खिलाफ दिए गए बयान भी उपलब्ध है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों की भी सूची है, जिन्होंने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात कही गई है।

भूषण को अपने बयान वापस लेने दिया जाए
अटॉर्नी जनरल ने सुझाव दिया था कि भूषण को अपने बयान वापस लेने दिया जाए। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अदालत को भूषण को चेतावनी देकर इस मामले को बंद कर देना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि हमने भूषण को तीन दिनों का वक्त इसीलिए दिया था। पीठ ने कहा, आखिर इससे क्या होगा? अगर किसी व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास न हो और वह बार-बार उसे दोहराएं।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त तक का दिया था समय 
अदालत ने 20 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट के लिए क्षमा याचना से इंकार करने संबंधी अपने बगावती बयान पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था। न्यायालय ने अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए भूषण की सजा के मामले पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई का उनका अनुरोध ठुकराया दिया था। 

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले सुप्रीम कोर्ट 31 अगस्त यानी सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय मांगी थी। जिस पर वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए। 

इससे पहले प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया था। बता दें कि अदालत की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।

 

25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट 25 अगस्त को वकील प्रशांत भूषण से उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर माफी मंगवाने में सफल नहीं हो सका था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अवमानना में दोषी ठहराए गए भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अफसोस जताया कि जजों की निंदा की जाती है। उनके परिवारवालों को अपमानित किया जाता है और वह बोल तक नहीं सकते।

प्रशांत भूषण अपने बयान पर अड़े रहे
वहीं, भूषण इस बात पर अड़े रहे कि उनके द्वारा की गई टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला नहीं था। भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि अदालत को घोर आलोचना का सामना करने के लिए बड़ा दिल दिखाना चाहिए। अदालत को स्टेट्समैनशिप का परिचय देते हुए बिना किसी दंड या चेतावनी या वकालत पर पाबंदी लगाए, इस मामले को खत्म कर देना चाहिए। भविष्य में थोड़ा संयमित रहने के सामान्य संदेश देकर इस मामले को विराम दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम के खिलाफ पूर्व जजों के बयान भी उपलब्ध
25 अगस्त को सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा था कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल को सुझाव देने के लिए कहा। जिस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था, मेरे पास पूर्व जजों द्वारा सुप्रीम के खिलाफ दिए गए बयान भी उपलब्ध है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों की भी सूची है, जिन्होंने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात कही गई है।

भूषण को अपने बयान वापस लेने दिया जाए
अटॉर्नी जनरल ने सुझाव दिया था कि भूषण को अपने बयान वापस लेने दिया जाए। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अदालत को भूषण को चेतावनी देकर इस मामले को बंद कर देना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि हमने भूषण को तीन दिनों का वक्त इसीलिए दिया था। पीठ ने कहा, आखिर इससे क्या होगा? अगर किसी व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास न हो और वह बार-बार उसे दोहराएं।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त तक का दिया था समय 
अदालत ने 20 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट के लिए क्षमा याचना से इंकार करने संबंधी अपने बगावती बयान पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था। न्यायालय ने अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए भूषण की सजा के मामले पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई का उनका अनुरोध ठुकराया दिया था। 



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