cosumer rights : कंस्यूमर फोरमः सरकारी अस्पतालों से भी लें हर्जाना – consumer forum: govt hospital

प्रेमलता, कंस्यूमर एक्सपर्ट

कुछ दिन पहले गोरखपुर के सरकारी हॉस्पिटल में ऑक्सिजन की कमी की वजह से मासूम बच्चों की मौत चर्चा में रही। इसमें दोष किसका था, यह तो जांच का विषय है, लेकिन किसी भी तरह की मेडिकल लापरवाही के मामले में लोगों को जो कानूनी अधिकार मिले हैं उन्हें जानना बहुत जरूरी है:

अस्पताल मूलभूत सुविधाओं के अलावा इन सभी इंतजामों के लिए भी जिम्मेदार होता है:

– मरीजों के लिए ऑपेरशन थिएटर

– मेडिकल उपकरण

– दवाइयां

– ऑक्सिजन

– डॉक्टर और नर्सें।

कंस्यूमर कोर्ट में जाने से पहले इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि लापरवाही डॉक्टर के स्तर पर हुई है या प्रशासनिक स्तर पर। अगर अस्पताल में नर्सों या ऑक्सिजन की सुविधा दुरुस्त नहीं है तो डॉक्टर की जगह दोष अस्पताल प्रशासन का माना जाएगा। डॉक्टर अस्पताल में सिर्फ एक एक्सपर्ट के तौर पर आमंत्रित होता है। हॉस्पिटल की रसीद न देना, डिस्चार्ज समरी या ट्रीटमेंट रेकॉर्ड देने से मना कर देना, जरूरी सामान की पूरी व्यवस्था न होना सेवा में कमी माना जाता है।

जिम्मेदारी के बारे में ये हैं नियम

अस्पताल सरकारी हो या प्राइवेट, उन्हें अपने दायित्व से मुक्ति नहीं मिल सकती है। किसी भी तरह की कमी के लिए दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि कंस्यूमर कोर्ट से मुआवजे की मांग के लिए कुछ मूल नियम हैं जैसे – इलाज के लिए कीमत चुकाना। चूंकि सरकारी अस्पताल मरीजों को मुफ्त में इलाज मुहैया कराते हैं, ऐसे में दावे में कठिनाई आ सकती है। लेकिन कुछ अपवाद भी हैं:

– यदि अस्पताल में कुछ लोगों से पैसे लिए जाते हैं और कुछ को मुफ्त में सेवाएं दी जाती हैं तो ऐसी स्थिति में शुल्क न देने पर भी कंस्यूमर कोर्ट जाया जा सकता है। सरकारी अस्पताल में प्राइवेट रूम भी हो सकते हैं, जिसकी फीस अलग से ली जाती है तो यह भी सेवा के दायरे में आता है और ऐसे सरकारी अस्पतालों के खिलाफ कंस्यूमर कोर्ट जाया जा सकता है।

– सरकारी कर्मचारियों को भी कुछ अस्पतालों में मुफ्त सेवाएं मिलती हैं। यह सेवा नियोक्ता के अस्पताल से कॉन्ट्रैक्ट होने की वजह से मिलती है। ऐसी स्थिति में उपचार कराने वाला कंस्यूमर कहलाता है।

– मेडिक्लेम कैशलेस सुविधा का फायदा पाने वाले भी कंस्यूमर होते हैं क्योंकि भुगतान बीमा कंपनी करती है।

– चैरिटेबल हॉस्पिटल में भी फ्री में उपचार कराने वालों के लिए कोई धनी इंसान पैसे खर्च करता है। ऐसे में उपचार करने वाला कंस्यूमर की श्रेणी में आएगा।



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