न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Sun, 21 Jun 2020 06:21 PM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पिक्साबे
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बिहार की राजधानी पटना में स्थित राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमआरआईएमएस) में कोविड-19 के नमूमों की तेज जांच के लिए आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने एक परिष्कृत जांच मशीन लगाई है। आईसीएमआर के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कोबास 6800 ( COBAS 6800 ) नामक यह मशीन एक दिन में 1500 जांच कर सकती है। यह मशीन पटना में जांच की संख्या में तेजी लाने में मदद करेगी।
रोबोटिक्स तकनीकी से लैस इस मशीन को बिना मानवीय हस्तक्षेप के दूर से ही संचालित किया जा सकता है। जिसके चलते यह मशीन संदूषण (कंटेमिनेशन) की आशंका को कम करती है और साथ ही साथ स्वास्थ्य कर्मियों के लिए संक्रमण के खतरे को भी कम करती है। आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा, ‘यह बिहार में अपनी तरह की पहली सुविधा है। यह संस्थान में कोविड-19 डायोग्नोस्टिक प्रयोगशाला की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी।’
भार्गव ने कहा, बिहार में देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं। ऐसे में यहां जांच की गति को तेज करने की आवश्यकता है। मशीन को स्थापित करने का यह कदम बिहार में कोरोना वायरस के नमूनों की जांच की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी। फिलहाल पटना में स्थित इस संस्थान में चार आरटी-पीसीआर मशीन से रोजाना दो हजार नमूनों की जांच की जा रही है। इसके लिए 25 लोग तीन शिफ्ट में चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।
प्रो. भार्गव ने कहा, कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रिक कर लेने के बाद, इस मशीन का इस्तेमाल अन्य रोगजनकों; जैसे- हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी), साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी, क्लेमेडिया, नाइसेरिया और डेंगू; आदि की पहचान करने में भी किया जा सकेगा। जानकारी के अनुसार आरएमआरआईएमएस में अभी तक कोरोना वायरस के करीब 65 हजार नमूनों की जांच की जा चुकी है।
बिहार की राजधानी पटना में स्थित राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमआरआईएमएस) में कोविड-19 के नमूमों की तेज जांच के लिए आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने एक परिष्कृत जांच मशीन लगाई है। आईसीएमआर के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कोबास 6800 ( COBAS 6800 ) नामक यह मशीन एक दिन में 1500 जांच कर सकती है। यह मशीन पटना में जांच की संख्या में तेजी लाने में मदद करेगी।
रोबोटिक्स तकनीकी से लैस इस मशीन को बिना मानवीय हस्तक्षेप के दूर से ही संचालित किया जा सकता है। जिसके चलते यह मशीन संदूषण (कंटेमिनेशन) की आशंका को कम करती है और साथ ही साथ स्वास्थ्य कर्मियों के लिए संक्रमण के खतरे को भी कम करती है। आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा, ‘यह बिहार में अपनी तरह की पहली सुविधा है। यह संस्थान में कोविड-19 डायोग्नोस्टिक प्रयोगशाला की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी।’
भार्गव ने कहा, बिहार में देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं। ऐसे में यहां जांच की गति को तेज करने की आवश्यकता है। मशीन को स्थापित करने का यह कदम बिहार में कोरोना वायरस के नमूनों की जांच की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी। फिलहाल पटना में स्थित इस संस्थान में चार आरटी-पीसीआर मशीन से रोजाना दो हजार नमूनों की जांच की जा रही है। इसके लिए 25 लोग तीन शिफ्ट में चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।
प्रो. भार्गव ने कहा, कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रिक कर लेने के बाद, इस मशीन का इस्तेमाल अन्य रोगजनकों; जैसे- हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी), साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी, क्लेमेडिया, नाइसेरिया और डेंगू; आदि की पहचान करने में भी किया जा सकेगा। जानकारी के अनुसार आरएमआरआईएमएस में अभी तक कोरोना वायरस के करीब 65 हजार नमूनों की जांच की जा चुकी है।
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Mon Jun 22 , 2020
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