वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Updated Tue, 23 Jun 2020 12:28 AM IST
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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘अपने संबोधन में कुरैशी ने ओआईसी से कश्मीर मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।’
कुरैशी ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि ओआईसी का समूह कश्मीर की स्थिति को जानने के लिए एक अवलोकन मिशन बनाने पर सहमत हुआ। बता दें कि इस बैठक में अजरबैजान, नाइजर, सऊदी अरब और तुर्की के विदेश मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू और कश्मीर पर ओआईसी संपर्क समूह की यह तीसरी बैठक थी।
भारत ने 57 सदस्यीय समूह में पहले ही यह साफ कह दिया था कि ओआईसी जैसी संस्थाओं को गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए।
पाकिस्तान की चाल को मालदीव ने किया नाकाम
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में ओआईसी की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान ने भारत में इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगाया था, जिस पर मालदीव ने न केवल कड़ी आपत्ति जताई थी बल्कि यह भी कहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर कुछ लोगों की तरफ से कही बातें 130 करोड़ भारतीयों की राय नहीं मानी जा सकती।
दरअसल ओआईसी में पाकिस्तानी प्रतिनिधी मुनीर अकरम ने भारत पर कई आरोप लगाए थे। इस पर यूएन में मालदीव की स्थायी प्रतिनिधी थिलमीजा हुसैन ने कहा, कुछ लोगों की तरफ से सोशल मीडिया पर फैलाई बातें भारत के 130 करोड़ लोगों की राय नहीं हो सकती। इस दौरान उन्होंंने कहा था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वहां कई धर्मों के लोगों के अलावा 20 करोड़ मुस्लिम भी रहते हैं। ऐसे में इस्लामोफोबिया की बात करना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा।
उन्होंने कहा था कि भारत में सदियों से इस्लाम है। इस्लाम भारत का दूसरा सबसे बड़ा मजहब है। वहां की कुल आबादी में 14.2 फीसदी मुस्लिम हैं। उन्होंने पाकिस्तान की चाल का करारा जवाब देते हुए साफ कहा था कि मालदीव ओआईसी में ऐसी किसी कार्रवाई का समर्थन नहीं करेगा जो भारत के खिलाफ हो।