VRS fed up with opponents and trollers, former DGP said – I will definitely contest elections if I get a chance | विरोधियों और ट्रोलर्स से तंग आकर लिया वीआरएस, पूर्व डीजीपी बोले-मौका मिला तो जरूर लड़ूंगा चुनाव

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पटनाएक घंटा पहले

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वीआरएस लेने के बाद पहली बार गुप्तेश्वर पांडेय फेसबुक पर लाइव थे।

  • वीआरएस लेने के बाद पहली बार फेसबुक लाइव थे गुप्तेयश्वर पांडेय, विरोधियों और ट्रोलर्स को दिया करारा जवाब
  • बोले पांडेय-वीआरएस नहीं लेता तो निष्पक्ष चुनाव नहीं कराने का लग सकता था कलंक

बिहार के डीजीपी पद से वीआरएस लेने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने विरोधियों और ट्रोलर्स को करार जवाब दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा है कि मैं चुनाव क्यों नहीं लड़ूं? मैंने कोई चोरी नहीं की है। कोई पाप नहीं किया है। चरित्रहीन नहीं हूं। कोई गुनाह नहीं किया है। किसी प्रकार का कोई अनैतिक काम नहीं किया है। फिर क्यों कुछ लोग मुझे बदनाम कर रहे हैं।

गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि जनता की सेवा करना कोई गलत काम नहीं है। बक्सर का रहने वाला हूं। वहां के लोग ही तय करेंगे कि मुझे क्या करना है। मौका मिला तो चुनाव जरूर लड़ूंगा। जनता की सेवा करूंगा और सकारात्मक राजनीति करने के साथ किसी के ऊपर पर्सनल कमेंट नहीं करूंगा। अब मैं एक स्वतंत्र नागिरक हूं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे विरोधियों से डर कर बैठने वाले नहीं हैं। वे सेवक बनेंगे। राजनीति में आने पर हर वर्ग, धर्म, जाति व समुदाय की सेवा करेंगे। बुधवार शाम पांडेय फेसबुक पर लाइव थे और करीब एक घंटे तक उन्होंने अपनी बात रखी।

अपने बचपन से लेकर स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई से लेकर आईपीएस बनने तक का सफर कैसा रहा, इस बारे में उन्होंने विस्तार से बात की और सुनहरी यादों को शेयर किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से विरोधी और ट्रोलर्स लगातार उन्हें परेशान कर रहे थे। जबरन नौकरी से इस्तीफा देने का दबाव बना रहे थे। लगातार किसी न किसी राजीनितक पार्टी से उनका नाम जोड़ा जा रहा था। उन्हें राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता और कार्यकर्ता तक बताया जा रहा था। मोबाइल पर हजारों कॉल और सैंकड़ों मैसेज आ रहे थे। हर कोई पूछ रहा था कि इस्तीफा कब दे रहे हैं? इन सवालों से मेरी रात की नींद उड़ गई थी। बिहार में चुनाव होना है। विरोधियों के गलत प्रचार की वजह से डीजीपी के पद पर बने रहने पर मेरे ऊपर कई सवाल उठते। निष्पक्ष चुनाव नहीं कराने का कलंक लग सकता था। इसलिए मैंने वीआरएस ले लिया। नहीं बाकी बचे महीनों की नौकरी मैं बड़े आराम से कर सकता था। विराधियों और ट्रोलर्स की वजह से मुझे यह कदम उठाना पड़ा है।

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