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- Bihar Vidhan Sabha Election Update, Patna News Update: East Ramakrishnanagar Locals Speaks On 30 Years Development
पटना21 मिनट पहले
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पूर्वी रामकृष्णानगर में सड़क पर भरे पानी के बीच से गुजरता बाइक सवार।
- पटना के पूर्वी रामकृष्णानगर का 30 साल में विकास नहीं हो पाया
- खराब सड़क और जल जमाव की समस्या से लोगों का जीवन मुश्किल है
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा हो गई है। सभी दल एक बार फिर जनता से विकास के दावे कर रहे हैं, लेकिन विकास के इन दावों की कलई पटना के पूर्वी रामकृष्णानगर के लोग खोल रहे हैं। बिहार की सत्ता के केंद्र से ये महज 6.5 किलोमीटर दूर हैं, लेकिन अब तक यहां के लोग सड़क और नाला जैसी मूलभूत सुविधाओं की बाट जोहते नजर आ रहे हैं। पिछले साल जब पटना डूबा था तब यहां के लोग अपने घर तक नाव से जाते थे। विकास की राह देखते-देखते जब लोगों की आंखें पथरा गईं तब उनका गुस्सा फूट पड़ा। यहां के लोगों ने फैसला किया है कि इस बार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
पूर्वी रामकृष्णानगर का 30 साल में विकास नहीं हो पाया। फुलवारी विधानसभा का यह क्षेत्र उपेक्षा का शिकार है। पचास हजार से अधिक आबादी हर दिन समस्या से जूझती है। खराब सड़क और जल जमाव की समस्या से लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पूर्वी राम कृष्णा नगर 30 साल पहले बसा था। इस विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्याम रजक हैं। मोहल्ले के लोग अलग-अलग बैठक कर विरोध की रणनीति बना रहे हैं। सभी जगह पोस्टर-बैनर भी लगाए गए हैं। घूम-घूमकर लोगों को वोटिंग का विरोध करने के लिए कहा जा रहा है। पोस्टर-बैनरों में लिखा है- ‘बहुत हो चुके झूठे वादे, हम सबके मजबूत इरादे, रोड नहीं तो वोट नहीं।’ स्थानीय निवासी संजय कुमार ने कहा कि हर चुनाव नेता आते हैं और नाली-गली और सड़क बनाने का भरोसा दिलाकर चले जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद सारे वादे भूल जाते हैं और हम मुहल्लेवासी हर बरसात में डूबते हैं। रोज खराब सड़कों पर हड्डियां तुड़वाते हैं।
इसी तरह बक्सर जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र (बक्सर, डुमरांव, राजपुर और ब्रह्मपुर) में विकास कार्यों के न होने के चलते लोगों में भारी आक्रोश है। यहां भी लोग कह रहे हैं कि सड़क नहीं तो वोट नहीं।

रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लेकर प्रदर्शन करते पूर्वी रामकृष्णानगर के लोग।
दरभंगा में भी हुआ था मतदान का विरोध
दरभंगा विधानसभा क्षेत्र में 2015 के चुनाव में मतदाताओं ने जमकर विरोध किया था। मतदाताओं का आरोप था कि विधायक जीतकर जाते हैं, लेकिन फिर क्षेत्र में नहीं आते हैं। विकास का कोई काम नहीं होता है। इस विधानसभा क्षेत्र में विरोध वाले बूथ पर दोपहर तक महज दो ही वोट पड़े थे। दोपहर बाद प्रशासन के अनुनय विनय पर लोगों ने मतदान किया था लेकिन प्रतिशत काफी कम रहा था।
मकदुमपुर में भी हुआ था बहिष्कार
नालंदा के मकदुमपुर में भी 2019 के लोकसभा चुनाव का मतदाताओं ने विरोध किया था। रोड नहीं बनने के चलते वोट का बहिष्कार किया गया था। रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा देकर जमकर विरोध हुआ था। मतदाताओं ने मतदान के दिन प्रशासन का पसीने छुड़ा दिए थे।
वोट का बहिष्कार होने पर प्रशासन को होती है परेशानी
मतदान का बहिष्कार मतदाता जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण करते हैं, लेकिन मुश्किल में प्रशासनिक अफसर फंसते हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों की गलती का खामियाजा अफसरों को भुगतना पड़ता है। यही कारण है कि निर्वाचन पदाधिकारी वोट का बहिष्कार करने वालों को वोटिंग के लिए मनाते हैं।
कंटेंट: मनीष मिश्रा