न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Thu, 12 Nov 2020 08:10 AM IST
तेजस्वी और तेज प्रताप यादव (फाइल फोटो) – फोटो : PTI
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
बिहार चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। एनडीए को बिहार की जनता ने स्पष्ट बहुमत दिया है। वहीं एनडीए को कड़ी चुनौती देने वाले महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी को 75 सीटों पर जीत हासिल हुई हैं जबकि भाजपा को 74 सीटें मिली हैं।
तेजस्वी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने की उनकी आकांक्षा पूरी नहीं हो सकी है। चुनाव में राजद नेता तेजस्वी और तेज प्रताप की विधानसभा सीटों पर एक संयोग सामने आया है। यह संयोग वोटों को लेकर है। चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, राघोपुर से तेजस्वी ने भाजपा प्रत्याशी सतीश कुमार को 38174 वोटों से हराया है। तीसरे स्थान पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राकेश रोशन रहे। उन्हें 24947 वोट मिले।
राघोपुर में 4458 मतदाताओं ने नन ऑफ द अबव (नोटा) यानी इनमें से कई नहीं के विकल्प को चुना। यह कुल मतदाताओं का 2.23 प्रतिशत है। वहीं तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने हसनपुर सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राज कुमार राय को 21139 वोटों से हराया है। यहां भी 4426 मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को चुना जो कुल मतदाताओं का 2.58 प्रतिशत है।
कब हुई थी नोटा की शुरुआत नोटा के विकल्प की शुरुआत सबसे पहले 2013 के छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली के चुनावों से की गई थी। यदि किसी मतदाता को अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वह इस विकल्प पर बटन दबा सकता है। हालांकि नोटा का नियम यह भी है कि कुल वोटों की गिनती में इसे वैध वोट नहीं माना जाए।
बिहार चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। एनडीए को बिहार की जनता ने स्पष्ट बहुमत दिया है। वहीं एनडीए को कड़ी चुनौती देने वाले महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी को 75 सीटों पर जीत हासिल हुई हैं जबकि भाजपा को 74 सीटें मिली हैं।
तेजस्वी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने की उनकी आकांक्षा पूरी नहीं हो सकी है। चुनाव में राजद नेता तेजस्वी और तेज प्रताप की विधानसभा सीटों पर एक संयोग सामने आया है। यह संयोग वोटों को लेकर है। चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, राघोपुर से तेजस्वी ने भाजपा प्रत्याशी सतीश कुमार को 38174 वोटों से हराया है। तीसरे स्थान पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राकेश रोशन रहे। उन्हें 24947 वोट मिले।
राघोपुर में 4458 मतदाताओं ने नन ऑफ द अबव (नोटा) यानी इनमें से कई नहीं के विकल्प को चुना। यह कुल मतदाताओं का 2.23 प्रतिशत है। वहीं तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने हसनपुर सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राज कुमार राय को 21139 वोटों से हराया है। यहां भी 4426 मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को चुना जो कुल मतदाताओं का 2.58 प्रतिशत है।
कब हुई थी नोटा की शुरुआत नोटा के विकल्प की शुरुआत सबसे पहले 2013 के छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली के चुनावों से की गई थी। यदि किसी मतदाता को अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वह इस विकल्प पर बटन दबा सकता है। हालांकि नोटा का नियम यह भी है कि कुल वोटों की गिनती में इसे वैध वोट नहीं माना जाए।
दिनभर की बड़ी खबरें। NATIONAL: राजनीति के साथ देश की हर एक बात यह खबर भी पढ़े: अयोध्या में दिवाली की धूम: दीप प्रज्ज्वलन में फिर से रचा इतिहास, 6,06,569 दीपों के साथ जगमग हुई रामनगरी यह खबर भी पढ़े: शाह और नकवी ने दी देशवासियों को दिवाली की हार्दिक […]