Serious accusations of racism on Yorkshire, Pujara was called Steve, former staff said there were racist reference to people of colour | यॉर्कशायर टीम में पुजारा को स्टीव कहते थे, एशियाई खिलाड़ियों की तुलना टैक्सी ड्राइवर्स से होती थी

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यॉर्कशायरएक घंटा पहले

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यॉर्कशायर के पूर्व कर्मचारी ताज बट्ट ने कहा कि टीम वाले हर एशियाई मूल के खिलाड़ियों को स्टीव कहकर बुलाते थे। (फाइल फोटो)

इंग्लिश काउंटी टीम यॉर्कशायर पर नस्लवाद के गंभीर आरोप लगे हैं। 3 महीने पहले पूर्व क्रिकेटर अजीम रफीक ने यॉर्कशायर पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसका कई पूर्व खिलाड़ी और कर्मचारियों ने समर्थन किया है। पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा को उनके रंग के कारण स्टीव कह कर बुलाया जाता था। साथ ही एशियाई खिलाड़ियों की तुलना टैक्सी ड्राइवर्स से की जाती थी।

टीनो बेस्ट और राणा नावेद ने भी नस्लवाद की बात कबूली

वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर टीनो बेस्ट और पाकिस्तान के राणा नावेद उल हसन ने रफीक के आरोपों के समर्थन में सबूत भी पेश किए। जिसकी जांच चल रही है। क्रिकेट वेबसाइट ईएसपीएन क्रिकइन्फो के मुताबिक यॉर्कशायर के 2 पूर्व कर्मचारी ताज बट्ट और टोनी बाउरी ने भी काउंटी टीम के खिलाफ नस्लवाद के सबूत दिए हैं।

चेतेश्वर पुजारा को स्टीव के नाम से पुकारा जाता था

क्रिकइन्फो ने बट्टे के हवाले से कहा, ‘टीम में एशिया के लोगों का जिक्र करते समय बार-बार टैक्सी ड्राइवर्स और रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोगों का हवाला दिया जाता था। यॉर्कशायर वाले हर एशियाई मूल के खिलाड़ियों को स्टीव कहकर बुलाते थे। भारत के पुजारा को भी स्टीव कहकर बुलाया जाता था, क्योंकि वे उनका नाम नहीं पुकार पाते थे।’

बट्ट ने 6 हफ्ते में दिया था इस्तीफा

बट्ट ने कम्यूनिटी डेवलपमेंट ऑफिसर के पद पर यॉर्कशायर टीम को जॉइन किया था। हालांकि, जॉइन करने के एक हफ्ते के अंदर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

बाउरी ने भी लगाए गंभीर आरोप

वहीं, 1996 तक कोच के तौर पर काम करने के बाद टोनी बाउरी को टीम में कल्चरल डायवर्सिटी ऑफिसर बनाया गया था। वे 2011 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद टीम ने उन्हें अश्वेत समुदाय में खेल के विकास के लिए क्रिकेट डेवलपमेंट मैनेजर बनाया गया था।

एशियाई खिलाड़ियों पर की जाती थी नस्लवादी टिप्पणी

बाउरी ने कहा कि कई युवा खिलाड़ियों को ड्रेसिंग रूम में सामंजस्य बैठाने में दिक्कत हुई। उनपर नस्लवादी टिप्पणी की जाती थी। इससे उनके परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता था। एशियाई मूल के युवा खिलाड़ियों पर टीम में परेशानी खड़ी करने के भी आरोप लगे।

रफीक ने 2018 में यॉर्कशायर टीम छोड़ दिया था

वहीं विंडीज के टीनो बेस्ट और पाकिस्तान के राणा नावेद ने भी यॉर्कशायर में नस्लवाद के आरोपों को लेकर खुलकर सामने आए। उन्होंने पूर्व ऑफ स्पिनर अजीम रफीक के आरोपों का समर्थन किया। रफीक ने 2018 में यॉर्कशायर छोड़ दिया था। वे यॉर्कशायर के कप्तान भी रहे चुके हैं।

परिवार का सपना पूरा करते हुए मैं अंदर से मर रहा था

रफीक ने क्रिकेट वेबसाइट ईएसपीएन क्रिकइन्फो से कहा था, ‘मैं जानता हूं कि यॉर्कशायर की ओर से खेलने के दौरान मैं खुदकुशी करने के कितने करीब पहुंच गया था। मेरे परिवार का सपना था कि मैं बड़ा प्रोफेशनल क्रिकेट बनूं। इसी सपने के साथ मैं खेल रहा था, लेकिन सच कहूं तो अंदर से मैं मर रहा था। मैं काम पर जाते समय डरता था। मैं हर दिन दर्द में रहता था।’

रफीक के आरोपों के बाद यॉर्कशायर और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई थी। साथ ही मामले के जांच के आदेश भी दिए हैं।

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