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- First Address By Democrat Kamala Harris The Country Is Crying Out For Coming Out Of The Current Leadership; After Kamla Being The Vice President’s Nominee, The Party Received Rs 194 Crore In 24 Hours
वॉशिंगटन6 मिनट पहले
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अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने बुधवार को वेलिंगटन में लोगों को संबोधित किया। उन्होंने देश के आर्थिक संकट के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प को जिम्मेदार ठहराया।
- कमला हैरिस ने कहा-अब लोग सड़कों पर उतरकर नस्लवाद और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, बदलाव की मांग कर रहे हैं
- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने में पूरी तरह से नाकाम हुए हैं, उनकी वजह से महामारी देश में बड़े पैमाने पर फैली
डेमोक्रेटिक पार्टी की उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कमला हैरिस बुधवार को पहली बार लोगों से मुखातिब हुईं। भारतीय मूल की हैरिस इस दौरान पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन के साथ नजर आईं। विलिमिंगटन में लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- ‘‘बीते कुछ समय में हमने नस्लवाद और अन्याय को लेकर नई चीजें महसूस की हैं। अब लोग सड़कों पर उतरकर बदलाव की मांग कर रहे हैं। देश मौजूदा नेतृत्व से बाहर आने के लिए रो रहा है।’’
कमला को उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने से पार्टी को मिलने वाले फंड में तेजी आई है। बीते 24 घंटे में ही डेमोक्रेटिक पार्टी को 26 मिलियन डॉलर(करीब 194 करोड़ रु.) का फंड मिला है। बिडेन के कैंपेन ने बुधवार को बताया कि यह रकम पहले एक दिन में मिलने वाले फंड से दो गुना ज्यादा है।
ट्रम्प कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम हुए: हैरिस
हैरिस ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और बिडेन के कार्यकाल में अमेरिका में इबोला वायरस का संक्रमण फैला था। इसमें से सिर्फ दो लोगों की मौत हुई थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने में पूरी तरह से नाकाम हुए हैं। ट्रम्प की वजह से महामारी देश में बड़े पैमाने पर फैल चुकी है। इसकी वजह से देश 1929 में पैदा हुए ग्रेट डिप्रेशसन जैसी आर्थिक संकटों में घिर गया है। ऐसा तब होता है जब हम किसी ऐसे इंसान को चुनते हैं जो काम नहीं कर सकता।
‘सिविल राइट मूवमेंट की वजह से करीब आए मेरे माता-पिता’
हैरिस ने कहा कि मेरी मां और मेरे पिता दुनिया के दो अलग-अलग हिस्सों से अमेरिका आए। एक भारत से आए तो दूसरे जमैका से। वे यहां पर वर्ल्ड क्लास एजूकेशन लेने पहुंचे थे। हालांकि, 1960 में अमेरिका में शुरू हुए सिविल राइट मूवमेंट की वजह से दोनों करीब आए। उन्होंने एक स्टूडेंट के तौर पर इसमें हिस्सा लिया और ओकलैंड की सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की। मैं उस समय छोटी बच्ची थी। मेरे माता पिता मुझे अपने कंधों पर बांधकर इस प्रदर्शन में लाते थे। अन्याय के खिलाफ उस समय शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी है।
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