इंदौर। मप्र के हाईप्रोफाइल हनीट्रैप मामले की हाईकोर्ट की निगरानी में जांच विशेष जांच दल (एसआटी) द्वारा की जाएगी। मप्र हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया है। मप्र हाईकोर्ट की इंदौर बैंच द्वारा शनिवार को मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर लगाई गई जनहित याचिकाओं की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है।
दरअसल, मध्यप्रदेश में पिछले साल हाईप्रोफाइल लोगों को हनीट्रैप में फंसाकर उनसे करोड़ों रुपये वसूलने के मामले में पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला देशभर में सुर्खियों में छा गया था। तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था।
लेकिन उसमें बार-बार किये गये बदलाव के चलते हाईकोर्ट में मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर सात अलग-अलग चायिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाओं में कहा गया था कि एसआईटी सरकार के निर्देश पर कार्य कर रही है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।
मप्र हाईकोर्ट की इंदौर बैंच में गत 18 अगस्त को सभी सातों याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को अदालत ने मामले में अपना 27 पेज का फैसला सुनाया और सभी याचिकाओं का निराकरण करते हुए स्पष्ट कर दिया कि हनीट्रैप मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंपी जाएगी।
अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई तथ्य नहीं रखा, जिसके आधार पर कहा जा सके कि इस मामले में जांच सही तरीके से नहीं हुई है। एसआइटी ने कोर्ट की निगरानी में जांच की है और समय-समय पर प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पेश की है। ऐसी स्थिति में ऐसा कोई तथ्य कोर्ट के समक्ष नहीं है, जिसे आधार बनाकर जांच सीबीआई को सौंपी जाए। अदालत ने यह भी कहा कि मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी करेगी।
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