Gupteshwar Pandey Bihar Dgp News In Hindi: Birth, Education, Career, Social Involvement Everything You Need Know About Gupteshwar Pandey – Gupteshwar Pandey: जानें कौन हैं गुप्तेश्वर पांडेय, जिन्होंने 5 महीने पहले ही छोड़ दिया बिहार डीजीपी का पद

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Gupteshwar Pandey: बिहार पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर सुर्खियों में छा गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब वे सुर्खियों में रहे हों या अपनी मौजूदगी दर्ज कराई हो। पांडेय ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले ली है। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक था। लेकिन अचानक हुए इस घटनाक्रम को बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं गुप्तेश्वर पांडेय कौन हैं। 

1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) थे जिन्होंने मंगलवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली। उन्होंने पुलिस महकमे में कई पदों पर काम किया। वे अपनी नई पहलों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें पुलिस का जनता के साथ दोस्ताना संबंध बनाना भी शुमार है।

आनन-फानन में हुए सेवानिवृत्त

प्रदेश के गृह विभाग ने मंगलवार देर शाम एक अधिसूचना के जरिए बताया कि राज्य सरकार की संस्तुति पर राज्यपाल ने पांडेय की वीआरएस के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। खास बात यह रही कि वीआरएस के लिए तीन महीने के पूर्व आवेदन देने के नियम से भी पांडेय को छूट मिल गई। इसके साथ ही राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और वर्तमान में प्रदेश में नागरिक सुरक्षा और अग्निशमन सेवा के डीजी के पद पर तैनात संजीव कुमार सिंघल को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

जन्म और पढ़ाई-लिखाई

गुप्तेश्वर पांडेय 11 फरवरी 1961 को बिहार के बक्सर जिले के गेरुवांबंद गांव में पैदा हुए। उनका जन्म एक मध्य-वर्गीय हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सरकारी स्कूल से हुई और उसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद, उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और 1987 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए। 

बचपन से ही उनका झुकाव सिविल सर्विस की ओर था और वह समाज के लिए कुछ करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने अपना बचपन एक गांव में बिताया जो बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम था। 

पांडेय का पुलिस करियर

1987 बैच में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार में पुलिस अधीक्षक (Superintendent of Police) के रूप में अपना करियर शुरू किया। उसके बाद, उन्होंने बिहार के कुछ प्रमुख जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने बिहार में मुजफ्फरपुर रेंज के तिरहुत डिवीजन में पुलिस महानिरीक्षक (Inspector General of police) के रूप में कार्य किया। पुलिस के आईजी के रूप में अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने अपराध पर लगाम लगाने और बिहार राज्य में पुलिस को जनता से जोड़ने के लिए कई पहल शुरू की। 

बिहार में लागू कराई शराबबंदी

उन्होंने पूरे बिहार में यात्रा भी की और नवंबर 2015 में जब बिहार सरकार ने राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया तो उन्होंने शराबबंदी के लिए अभियान चलाया। सरकार के इस अभियान को व्यापक समर्थन मिला था और खासकर महिलाओं ने उनके अभियान में बढ़चढ़ कर भागीदारी की थी। 

वे जनवरी 2019 में बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बने। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक था, लेकिन उन्होंने उससे पहले ही नौकरी छोड़ दी। आईपीएस अधिकारी के तौर पर पांडेय ने करीब 33 साल की सेवा पूरी की है। 

सुशांत सिंह राजपूत मामले में रहे सुर्खियों में

हाल में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में गुप्तेश्वर पांडेय ने महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार के बिहार की नीतीश सरकार पर हमले को लेकर बिहार सरकार का बचाव किया था। अपने बयानों से उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थी। लंबे समय से उनके वीआरएस की अटकलें चल रही थीं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था। 

2009 में भी ली थी वीआरएस

यह पहली बार नहीं जब सियासी पारी के लिए पांडेय ने आईपीएस की नौकरी छोड़ी है। इससे पूर्व 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी उन्होंने इस्तीफा दिया था। तब वह भाजपा के टिकट पर बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। पांडेय को इस बात का पूरा भरोसा था बक्सर से भाजपा के तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को पार्टी दोबारा टिकट नहीं देगी। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी तब फिर गया जब पार्टी ने लालमुनि चौबे को बक्सर से फिर से प्रत्याशी बना दिया था। 

राजनीतिक आगाज से पहले ही उनके अरमानों पर पानी फिर गया था। हालांकि टिकट न मिलने पर उन्होंने इस्तीफा वापस लेने की अर्जी दी जिसे तत्कालीन नीतीश कुमार सरकार ने मंजूर कर लिया। नौ महीनों के बाद वह फिर से पुलिस सेवा में बहाल हो गए थे। पांडेय ने 2009 में जब वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया।

एक बार फिर कूदे सियासी अखाड़े में

गुप्तेश्वर पांडेय ने अब जब एक बार फिर वीआरएस के लिए आवेदन किया तो उसे फौरन मंजूरी मिल गई। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पांडेय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए यह कदम उठाया है। अब वह जल्द ही विधिवत रूप से राजनीतिक पारी शुरू करने का एलान कर सकते हैं। माना जा रहा है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।  

एनडीए नेताओं से रहे हैं अच्छे संबंध

बताया जा रहा है कि बिहार सरकार ने गुप्तेश्वर पांडेय का वीआरएस का आवेदन केंद्र को मंगलवार की शाम को ही भेजा था। उनके इस्तीफे और वीआरएस की खबर पिछले कई दिनों से चर्चा में थी। हाल ही में उन्होंने अपने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था। यहां उन्होंने जिला जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी। हालांकि तब उन्होंने चुनाव लड़ने की खबरों से साफ इनकार कर दिया था। 

इसके बाद पटना लौटकर उन्होंने जदयू के कुछ और नेताओं से भी मुलाकात की थी। बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय के एनडीए के नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। 2009 लोकसभा चुनाव से पूर्व भी उन्होंने वीआरएस लिया था लेकिन टिकट न मिलने पर वे नीतीश कुमार की कृपा से सेवा में वापस आने में कामयाब हुए थे। 

Gupteshwar Pandey: बिहार पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर सुर्खियों में छा गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब वे सुर्खियों में रहे हों या अपनी मौजूदगी दर्ज कराई हो। पांडेय ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले ली है। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक था। लेकिन अचानक हुए इस घटनाक्रम को बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं गुप्तेश्वर पांडेय कौन हैं। 

1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) थे जिन्होंने मंगलवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली। उन्होंने पुलिस महकमे में कई पदों पर काम किया। वे अपनी नई पहलों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें पुलिस का जनता के साथ दोस्ताना संबंध बनाना भी शुमार है।

आनन-फानन में हुए सेवानिवृत्त

प्रदेश के गृह विभाग ने मंगलवार देर शाम एक अधिसूचना के जरिए बताया कि राज्य सरकार की संस्तुति पर राज्यपाल ने पांडेय की वीआरएस के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। खास बात यह रही कि वीआरएस के लिए तीन महीने के पूर्व आवेदन देने के नियम से भी पांडेय को छूट मिल गई। इसके साथ ही राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और वर्तमान में प्रदेश में नागरिक सुरक्षा और अग्निशमन सेवा के डीजी के पद पर तैनात संजीव कुमार सिंघल को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

जन्म और पढ़ाई-लिखाई

गुप्तेश्वर पांडेय 11 फरवरी 1961 को बिहार के बक्सर जिले के गेरुवांबंद गांव में पैदा हुए। उनका जन्म एक मध्य-वर्गीय हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सरकारी स्कूल से हुई और उसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद, उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और 1987 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए। 


बचपन से ही उनका झुकाव सिविल सर्विस की ओर था और वह समाज के लिए कुछ करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने अपना बचपन एक गांव में बिताया जो बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम था। 

पांडेय का पुलिस करियर

1987 बैच में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार में पुलिस अधीक्षक (Superintendent of Police) के रूप में अपना करियर शुरू किया। उसके बाद, उन्होंने बिहार के कुछ प्रमुख जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने बिहार में मुजफ्फरपुर रेंज के तिरहुत डिवीजन में पुलिस महानिरीक्षक (Inspector General of police) के रूप में कार्य किया। पुलिस के आईजी के रूप में अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने अपराध पर लगाम लगाने और बिहार राज्य में पुलिस को जनता से जोड़ने के लिए कई पहल शुरू की। 

बिहार में लागू कराई शराबबंदी

उन्होंने पूरे बिहार में यात्रा भी की और नवंबर 2015 में जब बिहार सरकार ने राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया तो उन्होंने शराबबंदी के लिए अभियान चलाया। सरकार के इस अभियान को व्यापक समर्थन मिला था और खासकर महिलाओं ने उनके अभियान में बढ़चढ़ कर भागीदारी की थी। 

वे जनवरी 2019 में बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बने। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक था, लेकिन उन्होंने उससे पहले ही नौकरी छोड़ दी। आईपीएस अधिकारी के तौर पर पांडेय ने करीब 33 साल की सेवा पूरी की है। 

सुशांत सिंह राजपूत मामले में रहे सुर्खियों में

हाल में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में गुप्तेश्वर पांडेय ने महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार के बिहार की नीतीश सरकार पर हमले को लेकर बिहार सरकार का बचाव किया था। अपने बयानों से उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थी। लंबे समय से उनके वीआरएस की अटकलें चल रही थीं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था। 

2009 में भी ली थी वीआरएस

यह पहली बार नहीं जब सियासी पारी के लिए पांडेय ने आईपीएस की नौकरी छोड़ी है। इससे पूर्व 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी उन्होंने इस्तीफा दिया था। तब वह भाजपा के टिकट पर बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। पांडेय को इस बात का पूरा भरोसा था बक्सर से भाजपा के तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को पार्टी दोबारा टिकट नहीं देगी। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी तब फिर गया जब पार्टी ने लालमुनि चौबे को बक्सर से फिर से प्रत्याशी बना दिया था। 

राजनीतिक आगाज से पहले ही उनके अरमानों पर पानी फिर गया था। हालांकि टिकट न मिलने पर उन्होंने इस्तीफा वापस लेने की अर्जी दी जिसे तत्कालीन नीतीश कुमार सरकार ने मंजूर कर लिया। नौ महीनों के बाद वह फिर से पुलिस सेवा में बहाल हो गए थे। पांडेय ने 2009 में जब वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया।

एक बार फिर कूदे सियासी अखाड़े में

गुप्तेश्वर पांडेय ने अब जब एक बार फिर वीआरएस के लिए आवेदन किया तो उसे फौरन मंजूरी मिल गई। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पांडेय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए यह कदम उठाया है। अब वह जल्द ही विधिवत रूप से राजनीतिक पारी शुरू करने का एलान कर सकते हैं। माना जा रहा है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।  

एनडीए नेताओं से रहे हैं अच्छे संबंध

बताया जा रहा है कि बिहार सरकार ने गुप्तेश्वर पांडेय का वीआरएस का आवेदन केंद्र को मंगलवार की शाम को ही भेजा था। उनके इस्तीफे और वीआरएस की खबर पिछले कई दिनों से चर्चा में थी। हाल ही में उन्होंने अपने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था। यहां उन्होंने जिला जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी। हालांकि तब उन्होंने चुनाव लड़ने की खबरों से साफ इनकार कर दिया था। 

इसके बाद पटना लौटकर उन्होंने जदयू के कुछ और नेताओं से भी मुलाकात की थी। बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय के एनडीए के नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। 2009 लोकसभा चुनाव से पूर्व भी उन्होंने वीआरएस लिया था लेकिन टिकट न मिलने पर वे नीतीश कुमार की कृपा से सेवा में वापस आने में कामयाब हुए थे। 

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