The boat of ‘Son of Sailor’, which gave the slogan of ‘Mahagathat’, will win the grand alliance, got stuck in the Mazdhar | माछ भात खाएंगे महागठबंधन को जिताएंगे का नारा देने वाले ‘सन ऑफ मल्लाह’ की नाव मजधार में फंसी

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पटना25 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद

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महागठबंधन में सीटों के बंटवारे की घोषणा के लिए बुलाए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में विरोध दर्ज कराते मुकेश सहनी।

  • मुंबई में फिल्मों के लिए सेट बनाने वाले मुकेश सहनी महागठबंधन में खुद को सेट नहीं कर पाए
  • सहनी को उम्मीद थी कि उन्हें 10 से ज्यादा सीटें महागठबंधन में मिलेगी

‘माछ भात खाएंगे महागठबंधन को जिताएंगे’ का नारा लगाने वाले सन ऑफ मल्लाह ने महागठबंधन के प्रेस कांफ्रेस में जब यह कहा कि उनके पीठ में खंजर भोंका गया है तो उनकी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के कार्यकर्ता उग्र हो उठे। तेजस्वी यादव के खिलाफ खूब नारेबाजी हुई। मुंबई में फिल्मों के लिए सेट बनाने वाले मुकेश सहनी महागठबंधन में खुद को सेट नहीं कर पाए।

तेजस्वी ने कह दिया कि दो दिन बाद बताया जाएगा कि वीआईपी पार्टी को कितनी सीटें दी जाएंगी। सहनी को उम्मीद थी कि उन्हें 10 से ज्यादा सीटें महागठबंधन में मिलेगी। पार्टी की मान्यता के लिए 10 सीटों पर लड़ने की अनिवार्यता है। सहनी 25 सीट की मांग कर रहे थे और उन्हें लगा था कि दो-तीन सीट आगे पीछे हो सकती है पर ऐसा नहीं हो सकता कि उनके साथ यह व्यवहार किया जाएगा। जिनको चार सीटें देनी थी उस सीपीएम के लिए भी घोषणा हो गई पर वीआईपी की नाव मझधार में फंस गई। इस नाव को सन ऑफ मल्लाह कैसे पार उतारेंगे यह रविवार को साफ होने की उम्मीद है।

सहनी का दावा रहा है कि उनकी जाति की आबादी 15 फीसदी है बिहार में। इसलिए उसी हिसाब से सीटें मिलनी चाहिए। मल्लाह जाति बिहार में अतिपिछड़ा वर्ग में आती है। इसके अनुसूचित जाति में शामिल करने की लड़ाई भी सहनी लड़ चुके हैं। वीआईपी पार्टी लोक सभा में तीन सीट पर लड़ी थी। तीनों सीट खगड़िया, मधुबनी और मुजफ्फरपुर में पार्टी की हार हुई थी।

सहनी के साथ आरजेडी ने ऐसा क्यों किया, इसके कारण तलाशे जा रहे हैं। यह भी सच है कि जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा और सहनी तीनों ही महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे थे। यह कोआर्डिनेशन कमेटी इसलिए चाहते थे कि कमेटी तय करे मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। एक बार तो वे कांग्रेस आलाकमान के पास भी इस मांग को लेकर तीनों गए थे। लेकिन बाद में सहनी ने खुद को इस मांग से अलग कर लिया। वे कांग्रेस आलाकमान के वर्चुअल सम्मेलन में शामिल भी नहीं हुए। बावजूद इसके सहनी, तेजस्वी की नजर पर चढ़ गए थे। नजर पर तो मांझी और उपेन्द्र भी चढ़ गए थे लेकिन दोनों ने समय रहते अपना रास्ता खोज लिया, बच गए थे सहनी।

सहनी उस समय चर्चा में आए थे जब सरकार ने आंध्र से मछलियां मंगाने पर रोक लगा दी थी और तब उन्होंने आमरण अनशन तक किया था। सहनी यह कहते रहे हैं कि वे जाति के मल्लाह हैं और मल्लाह पानी को उपछ देता है, मछलियों को ले लेता है। पर इस बार वे राजनीति की जाल में ऐसे फंसे कि पीठ में खंजर वाला मुहावरा बोलना पड़ा।

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