Pm Narendra Modi Mentioned The ‘barna’ Tradition Of Champaran, Underlined The Importance Of Nature – क्या है बिहार के चंपारण की परंपरा ‘बरना’, पीएम मोदी ने मन की बात में किया जिक्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 30 Aug 2020 11:28 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए बिहार के चंपारण जिले की एक परंपरा का जिक्र किया। इस परंपरा को ’60 घंटे के बरना’ के नाम से जाना जाता है। 

लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, बहुत बारीकी से देखने पर हमें पर्व और पर्यावरण के रिश्ते के बारे में पता चलता है। इन दोनों ही चीजों के बीच एक गहरा रिश्ता है। दरअसल, पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है, वहीं कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिए भी मनाए जाते हैं। 

उन्होंने कहा, बिहार के चंपारण में सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है। 

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी बोले- लोकल खिलौने के लिए वोकल बनना है 

पीएम मोदी ने कहा, इस दौरान न कोई गांव में आता है, न ही कोई अपने घरों से बाहर निकलता है और लोग मानते हैं कि अगर वो बाहर निकले या कोई बाहर से आया, तो उनके आने-जाने से, लोगों की रोजमर्रा की गतिविधियों से, नए पेड़-पौधों को नुकसान हो सकता है। 

प्रधानमंत्री ने बताया, बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परंपरा के गीत, संगीत, नृत्य के जमकर कार्यक्रम भी होते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह कोरोना के इस संकट में भी लोग त्योहारों के समय अनुशासन का पालन कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए बिहार के चंपारण जिले की एक परंपरा का जिक्र किया। इस परंपरा को ’60 घंटे के बरना’ के नाम से जाना जाता है। 

लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, बहुत बारीकी से देखने पर हमें पर्व और पर्यावरण के रिश्ते के बारे में पता चलता है। इन दोनों ही चीजों के बीच एक गहरा रिश्ता है। दरअसल, पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है, वहीं कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिए भी मनाए जाते हैं। 

उन्होंने कहा, बिहार के चंपारण में सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है। 

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पीएम मोदी ने कहा, इस दौरान न कोई गांव में आता है, न ही कोई अपने घरों से बाहर निकलता है और लोग मानते हैं कि अगर वो बाहर निकले या कोई बाहर से आया, तो उनके आने-जाने से, लोगों की रोजमर्रा की गतिविधियों से, नए पेड़-पौधों को नुकसान हो सकता है। 

प्रधानमंत्री ने बताया, बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परंपरा के गीत, संगीत, नृत्य के जमकर कार्यक्रम भी होते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह कोरोना के इस संकट में भी लोग त्योहारों के समय अनुशासन का पालन कर रहे हैं। 

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