वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Updated Tue, 01 Sep 2020 12:49 AM IST
कोरोना वैक्सीन (सांकेतिक) – फोटो : social media
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भारत में अभी कोविड-19 की वैक्सीन बनी भी नहीं है, लेकिन इस वैक्सीन को लेकर हो रहे प्रयोगों पर पड़ोसी देशों की उम्मीदें टिकी हैं। उन्हें लग रहा है कि भारत अगर वैक्सीन बना लेता है तो उससे उसका जल्दी से जल्दी फायदा होगा। उन्हें ये भी उम्मीद है कि भारत की वैक्सीन अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा कारगर हो सकती है और हो सकता है कि इसकी कीमत भी बाकी देशों से कम हो। बांग्लादेश का बेक्सिमको फर्मास्युटिकल्स भारत की सिरम इंस्टीट्यूट में इसी उम्मीद से निवेश कर रहा है कि वैक्सीन तैयार होते ही उसे प्राथमिकता के आधार पर वो मिल सकेगी।
ढाका में दोनों कंपनियों के बीच हुए करार के बाद कहा गया है कि दोनों ही कंपनियां चाहती हैं कि जल्दी से जल्दी इस महामारी से लड़ने की क्षमता पैदा हो और वैक्सीन लोगों तक पहुंचे। सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया की मशहूर कंपनी आस्ट्राजेनेका, द गेट्स फाउंडेशन और गावी वैक्सीन अलायंस के साथ साझेदारी की है ताकि कम से कम शुरुआती दौर में ही इसके एक करोड़ डोज तैयार किए जा सकें और इसका फायदा दुनिया के तमाम देश उठा सकें।
अभी ये साफ नहीं हुआ है कि बांग्लादेश की सबसे बड़ी दवा कंपनी बेक्सिमको फर्मा ने एसआईआई में कितना निवेश किया है। लेकिन कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि निवेश की राशि को अग्रिम बुकिंग की राशि की तरह माना जाएगा ताकि जैसे ही वैक्सिन को मंजूरी मिले और इसका उत्पादन शुरू हो तो बांग्लादेश को प्राथमिकता के आधार पर वह उपलब्ध हो सके।
इस निवेश को दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते की गहराई के तौर पर भी देखा जा रहा है। बयान में कहा गया है कि इससे दोनों देशों के नागरिकों को इस विश्वव्यापी महामारी से मुकाबला करने की ताकत मिलेगी, साथ ही स्वास्थ्य के इस सबसे बड़े संकट के दौर में ये सबसे बड़ी मदद भी होगी। दोनों ही कंपनियों ने ये साझा बयान जारी किया है और आने वाले वक्त में बेहतर नतीजों की उम्मीद जताई है।
एसआईआई दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी मानी जाती है जो बहुत ही बड़ी संख्या में वैक्सीन बनाने के काम के लिए मशहूर है। इसने तीन कोरोना वैक्सीन पर परीक्षण शुरु कर दिए हैं जिसमें एक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अधिकृत आस्ट्राजेनेका भी है।
दूसरी तरफ बांग्लादेश ने चीन की सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड में बन रही वैक्सीन को लेकर भी संभावनाएं तलाश रही है और उसे उम्मीद है कि वहां से भी जल्द ही वैक्सीन तैयार होकर बांग्लादेश तक पहुंच सकती है।
जाहिर है पिछले कई महीनों से कोरोना से हुई तबाही और आम लोगों के भीतर भरे डर को दूर करके जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशों में तमाम देश लगे हैं और अब सबकी उम्मीद इसके लिए बन रही वैक्सीन पर टिकी है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही इस दिशा में कामयाबी मिलेगी और महीनों से शोध और प्रयोग में लगे मेडिकल वैज्ञानिकों का मिशन कामयाब होगा।
सार
बांग्लादेश की बड़ी फार्मा कंपनियां कर रही हैं भारत में निवेश ताकि वैक्सीन पहले मिल सके
विस्तार
भारत में अभी कोविड-19 की वैक्सीन बनी भी नहीं है, लेकिन इस वैक्सीन को लेकर हो रहे प्रयोगों पर पड़ोसी देशों की उम्मीदें टिकी हैं। उन्हें लग रहा है कि भारत अगर वैक्सीन बना लेता है तो उससे उसका जल्दी से जल्दी फायदा होगा। उन्हें ये भी उम्मीद है कि भारत की वैक्सीन अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा कारगर हो सकती है और हो सकता है कि इसकी कीमत भी बाकी देशों से कम हो। बांग्लादेश का बेक्सिमको फर्मास्युटिकल्स भारत की सिरम इंस्टीट्यूट में इसी उम्मीद से निवेश कर रहा है कि वैक्सीन तैयार होते ही उसे प्राथमिकता के आधार पर वो मिल सकेगी।
ढाका में दोनों कंपनियों के बीच हुए करार के बाद कहा गया है कि दोनों ही कंपनियां चाहती हैं कि जल्दी से जल्दी इस महामारी से लड़ने की क्षमता पैदा हो और वैक्सीन लोगों तक पहुंचे। सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया की मशहूर कंपनी आस्ट्राजेनेका, द गेट्स फाउंडेशन और गावी वैक्सीन अलायंस के साथ साझेदारी की है ताकि कम से कम शुरुआती दौर में ही इसके एक करोड़ डोज तैयार किए जा सकें और इसका फायदा दुनिया के तमाम देश उठा सकें।
अभी ये साफ नहीं हुआ है कि बांग्लादेश की सबसे बड़ी दवा कंपनी बेक्सिमको फर्मा ने एसआईआई में कितना निवेश किया है। लेकिन कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि निवेश की राशि को अग्रिम बुकिंग की राशि की तरह माना जाएगा ताकि जैसे ही वैक्सिन को मंजूरी मिले और इसका उत्पादन शुरू हो तो बांग्लादेश को प्राथमिकता के आधार पर वह उपलब्ध हो सके।
इस निवेश को दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते की गहराई के तौर पर भी देखा जा रहा है। बयान में कहा गया है कि इससे दोनों देशों के नागरिकों को इस विश्वव्यापी महामारी से मुकाबला करने की ताकत मिलेगी, साथ ही स्वास्थ्य के इस सबसे बड़े संकट के दौर में ये सबसे बड़ी मदद भी होगी। दोनों ही कंपनियों ने ये साझा बयान जारी किया है और आने वाले वक्त में बेहतर नतीजों की उम्मीद जताई है।
एसआईआई दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी मानी जाती है जो बहुत ही बड़ी संख्या में वैक्सीन बनाने के काम के लिए मशहूर है। इसने तीन कोरोना वैक्सीन पर परीक्षण शुरु कर दिए हैं जिसमें एक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अधिकृत आस्ट्राजेनेका भी है।
दूसरी तरफ बांग्लादेश ने चीन की सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड में बन रही वैक्सीन को लेकर भी संभावनाएं तलाश रही है और उसे उम्मीद है कि वहां से भी जल्द ही वैक्सीन तैयार होकर बांग्लादेश तक पहुंच सकती है।
जाहिर है पिछले कई महीनों से कोरोना से हुई तबाही और आम लोगों के भीतर भरे डर को दूर करके जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशों में तमाम देश लगे हैं और अब सबकी उम्मीद इसके लिए बन रही वैक्सीन पर टिकी है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही इस दिशा में कामयाबी मिलेगी और महीनों से शोध और प्रयोग में लगे मेडिकल वैज्ञानिकों का मिशन कामयाब होगा।
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